आज रिया का बाहरवीं का नतीजा आने वाला है। मां-पापा की इच्छा है रिया 90 त्से  अधिक अंक लेकर इंजीनियरिंग करे। उधर रिया का दिल बैठा जा रहा है। परीक्षा पेपर मुश्किल थे तो ज्यादा अच्छा नहीं कर पाई थी। डर के मारे बुरा हाल था। खाना-पीना छोड़ दरवाजा बंद कर यही सोच रही है अब क्या होगा? पापा ने साफ शब्दों में कहा था, ‘किसी भी हालत मे 90 से कम अंक नहीं आने चाहिए।

रिया की शुरू से ही पढ़ाई में कम और नृत्य में ज्यादा रूचि थी पर ये पापा की पसंद नहीं थी। साफ शब्दों में कहा, ‘कुछ नहीं रखा नृत्य में और न ही अच्छे परिवार की लड़कियों को शोभा देता है। इसे भूलकर पढ़ाई में मन लगाओ।

और फिर रिया मन मसोस कर रह गई। उसे याद आ रहा था इम्तिहान शुरू होने से कुछ रोज पहले चाचा परिवार सहित उनके घर आए। कितना मन था चचेरी बहनों के साथ ढेरों बातें करने का पर मां ने कहा, ‘अपने कमरे में जाकर पढ़ाई करो। चाची ने रोकना चाहा पर मां नहीं मानी। पिछले छह महीनों में उसे नहीं याद कभी घर से बाहर निकल कोई मस्ती की हो या फिर टेलीविजन में कोई मनपसंद कार्यक्रम देख पाई हो। हर वक्त बस एक ही बात सुनने को मिलती, पढ़ो-पढ़ो, बस पढ़ो। 

तंग आ चुकी थी पढ़ाई से। सोचा जैसे-तैसे इम्तिहान हो गए तो शायद कुछ चैन मिले पर अगले दिन पापा ने कहा एंटरेंस की तैयारी शुरू कर दो। मतलब फिर से पढ़ो और आज तो रिया को साफ पता था वह मां पापा की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाएगी। न जाने क्या-क्या सुनना पड़ेगा। 

दोस्तों आज रिया जैसे न जाने कितने बच्चे तनावग्रस्त माहौल में जी रहे हैं। कारण कोई और नहीं उनके अपने अभिभावक है, जो आज इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि अपनी इच्छाएं बच्चों पर थोप देते हैं, बिना सोचे समझे कि बच्चे क्या चाहते हैं। नतीजा तनाव रूपी राक्षस हमारे समाज में सिर चढ़ नाच रहा है। हम क्यों भूल गए परिवार में या फिर हम उम्र दोस्तों के साथ रहकर बच्चे वे सब कुछ अपने-आप सीख सकते हैं जो किताबें नहीं सिखा सकती। जिस प्रकार बहता पानी अपना रास्ता खुद ढूंढ़ लेता है ठीक वैसे ही हमारे बच्चे भी अपना भविष्य खुद बना सकते हैं। आइये आज से ही इन नन्ही कलियों को पूरा खिलने की आजादी दे अपना प्यार, दोस्ती, अपनापन देकर। जहां तनाव हमारे अपनों को हमसे छीन रहा है, वहीं थोड़ा-सा अपनापन हमें उनके बहुत करीब ला देगा। 

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