बचपन से एक कदम आगे और जवानी से एक कदम पहले की अवस्था यानि कि किशोरावस्था …… एक ऐसी अवस्था जब मन सातवें आसमान पर होता है और बच्चा जो भी करता है उसे सही ही मानता है। इस अवस्था में बच्चे में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं हार्मोनल चेंजेज़ की वजह से कुछ शारीरिक बदलाव तो बदलती उम्र के साथ कुछ मानसिक बदलाव। ऐसे में पेरेंट्स को भी कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है। आइए आपको बताते हैं कि किशोरों में ऐसे कौन से बदलाव आते हैं और पेरेंट्स किस तरह से उनकी परवरिश करें जिससे वो कोई ग़लत रास्ता न अपना लें ….
किशोरावस्था में बच्चों में आने वाले बदलाव
- दोस्तों की कंपनी प्रेफर करते हैं जिसकी वजह से कई बार उनके ऐसे दोस्त भी बन जाते हैं जो उनको गलत रास्ते पर ले जाते हैं जिसकी वजह से काम उम्र में ही शराब,सिगरेट की लत तक लग जाती है।
- ये अपनी अलग ही दुनिया में मस्त रहते हैं और अकेला रहना ज्यादा पसंद करते हैं जैसे पेरेंट्स किसी फॅमिली फंक्शन में जा रहे हों तो उनके साथ बार जाने की बजाय मोबाइल या लैपटॉप में अकेले व्यस्त रहना पसंद करते हैं।
- ऐसे बच्चे थोड़े उद्दंड स्वभाव के हो जाते हैं जिससे वो बहुत बार अपने पेरेंट्स के साथ गलत व्यवहार तक करने लगते है या गलत शब्दों का प्रयोग करते हैं।
- किशोरावस्था की ओर बढ़ते बच्चे हर बात में अपने आप को सही मानते हैं इसीलिए वो माता-पिता की हर बात को गलत ठहराते हुए उनसे बहस करने लगते हैं।
- बच्चेस्वभाव से गुस्सैल हो जाते हैं वो ये भी भूल जाते हैं की माता -पिता जो भी करते हैं उनके अच्छे के लिए ही करते हैं। ये बच्चे घर ही नहीं बल्कि बाहर भी बहुत बार दूसरों से गुस्से में लड़ाई कर लेते हैं। कई बार गुस्सा दिखा के घर छोड़ने की धमकी तक दे डालते हैं।
किशोरावस्था के बच्चों की परवरिश के तरीके
बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करें
किशोरावस्था बहुत ही नाज़ुक अवस्था है इसलिए इस अवस्था के बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि उनके साथ फ्रेंडली रहें जैसे कि बच्चों के साथ बैठकर मूवी देखें, उनके साथ गेम्स खेलें और उनकी पसंद के हिसाब से उनके लिए गिफ्ट लाएं।
प्रशंसा करें
बच्चों की बात-बात पर प्रशंसा करते रहें। बच्चा कुछ गलत करे तो उस पर गुस्सा दिखाने की जगह अच्छे काम करने की प्रेरणा दें।
कम्युनिकेशन गैप न आने दें
माता -पिता को चाहिए की बच्चों से हर टॉपिक पर बात करें बढ़ती उम्र के बच्चों की बहुत सी जिज्ञासाएं होती हैं जो घर में कम्यूनिकेशन गैप की वजह से वो बाहर शांत करते हैं। पेरेंट्स यदि बच्चों से खुलकर हर टॉपिक पर बात करते हैं तो बच्चों को अपने प्रश्नों के उत्तर ढूढ़ने के लिए किसी और का सहारा नहीं लेना पड़ता है ।
दूसरों से सलाह दिलवाना
बहुत बार किशोरावस्था के बच्चे अपने माता-पिता की बात को नज़रअंदाज़ करने लगते हैं और दूसरे रिश्तों को अहमियत देने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को उस व्यक्ति से सलाह ये प्रेरणा दिलवाएं जिससे बच्चे ज्यादा प्रभावित हैं। जैसे किसी अंकल या आंटी जिनको बच्चे पसंद करते हैं उनसे बोलें कि वो समय-समय पर बच्चों को प्रेरित करते रहें।
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