Panchak Ka Rahasya : हिंदू धर्म में पंचक काल को अशुभ माना जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है। खासकर, इस समय यात्रा और विशेष रूप से दक्षिण दिशा में जाने को वर्जित माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी की मृत्यु पंचक में होती है, तो इससे परिवार के अन्य सदस्यों के लिए भी संकट उत्पन्न हो सकता है। आइए, इस विषय को विस्तार से समझते हैं।
पंचक में मृत्यु का असर
हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचक के समय किसी की मृत्यु होना अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर इस दौरान किसी का निधन हो जाए, तो परिवार या रिश्तेदारों में पांच और लोगों पर भी संकट आ सकता है। वहीं, अगर पंचक में किसी बच्चे का जन्म होता है, तो यह संकेत देता है कि परिवार में लगातार खुशखबरी मिलती रहेगी। इसलिए पंचक काल में विशेष रूप से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
पिंड दान से कैसे दूर होता है पंचक दोष?
गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाए तो परिवार पर कोई अशुभ असर न पड़े, इसके लिए एक विशेष उपाय किया जाता है। मृतक के साथ आटे या कुशा के पांच पुतले बनाकर उनका भी अंतिम संस्कार किया जाता है। अगर यह संभव न हो, तो पांच पिंड बनाकर जलाने से भी पंचक दोष का असर कम हो जाता है। इस उपाय से माना जाता है कि परिवार के अन्य सदस्यों पर किसी भी तरह का संकट नहीं आता।
महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राभिषेक का महत्व
पंचक काल में मृत्यु होने पर परिवार पर अशुभ प्रभाव न पड़े, इसके लिए कुछ विशेष धार्मिक उपाय किए जाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस समय धनिष्ठा पंचक शांति पूजा और रुद्राभिषेक करवाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों को भगवान का ध्यान करते हुए महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। अगर संभव हो, तो महामृत्युंजय मंत्र का महा अनुष्ठान भी करवाना चाहिए, जिससे मृत्यु संकट का असर टल जाता है और परिवार सुरक्षित रहता है।
