Natural and Organic Food: बीते पिछले दस सालों से नेचुरल फूड मार्केट का दायरा बहुत ज्यादा बढ़ा है। फिर चाहे वह उत्पादन हो, प्रोसेसिंग हो, वितरण हो या रिटेल सिस्टम। यह आपको हर कहीं मौजूद मिलेगा। लेकिन जब आप इसे खरीद रहे हैं तो यह जानना आपका अधिकार है कि आखिर यह है क्या?
ऑर्गेनिक और नेचुरल के आखिर मायने क्या हैं। इसके क्या फायदे हैं। यह दूसरे उत्पादों से किस तरह अलग है? क्या ऑर्गेनिक सेहत के लिए वाकई फायदेमंद होते हैं। बहुत से सवाल हैं और इन सब सवालों और ज्ञिज्ञासों का हल आपके लिए इस लेख में मौजूद है।
ऑर्गेनिक उत्पाद आखिर हैं क्या
यूएसडी, नेशनल ऑर्गेनिक प्रोग्राम (एनओपी) और एफएसएसएआई के अनुसार ऑर्गेनिक उत्पाद वे होते हैं जिनका उत्पादन करने में किसान मिट्टी, पानी रिनेवेबल स्रोत को इस तरह से इस्तेमाल करे ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण का स्तर सुधरे।
दूसरे शब्दों में इसे ऐसे समझें कि ऑर्गेनिक उत्पाद वे उत्पाद होते हैं जिनकी पूरी कृषि पद्दति प्राकृतिक होती है। यानी इसमें बिना किसी रसायन के प्राकृतिक तरीके से पौधे उगाए जाते हैं। सेहत कैमिकल फ्री इनपुट्स को डालना होता है। इस दौरान आपको ऑर्गेनिक उत्पादन पैमाने का ध्यान रखते हुए पर्यावरण और सामाजिक रूप से उत्तरदायी होना होता है।
काम की बात: ऑर्गेनिक खाने हमेशा हेल्दी नहीं होते। आपको बता दें कि ऑर्गेनिक मक्खन में रेगुलर मक्खन की तरह ही इसमें फैट और कैलोरी होती है। ऑर्गेनिक फूड ‘क्लीनर इंग्रीडिएंट्सÓ की श्रेणी में आते हैं, यानी इनमें कम से कम सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है। देखा जाए तो इन सब चीजों का वजन घटाने से कोई लेना-देना नहीं होता, इसलिए सही खाना खाना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
प्राकृतिक उत्पाद क्या हैं?
प्राकृतिक उत्पाद वे होते हैं जिन्हें कम से कम प्रोसेस्सड किया जाता है। यह किसी भी तरह के सिंथेटिक या आर्टीफिशअल इंग्रीडिएंट्स से मुक्त होते हैं। इसमें प्रिजर्वेशन और कैमिकल्स प्रोसेस्ड उत्पादों की तुलना में बहुत कम होते हैं। हालांकि, यह ऑर्गेनिक उत्पादों की तरह रेगुलेट नहीं किए जाते।
अगर आप उत्पाद को पूरा प्राकृतिक कहेंगे तो उत्पाद में जो सामग्री है वह प्राकृतिक होनी चाहिए, जिसमें फल, सब्जियां, नॉनवेज और डेयरी प्रोडक्ट शामिल हो सकते हैं। इसका रंग या फ्लेवर भी प्राकृतिक चीजों का बना हुआ होना चाहिए।
याद रखें कि जब ऑर्गेनिक फूड सर्टिफाइड होता है इसका मतलब है कि वह ऑर्गेनिक फूड स्तर के पैमाने पर खरा उतरा है।
आपको पता चल ही गया होगा कि प्राकृतिक और ऑर्गेनिक एक जैसे भले ही लगते हैं, लेकिन इनका बनने का प्रोसेस अलग है। ऑर्गेनिक उत्पाद बिना सिंथेटिक कैमिकल का प्रयोग किए उगाए जाते हैं। जैसे कि पारंपरिक फर्टिलाइजर और पैस्टीसाइड्स। इनमें जैनिटिकली मॉडिफाइड ऑर्गेनिजम (जीएमओ) नहीं होते। जबकि नेचुरल प्रोडक्ट्स सिंथेटिक या आर्टीफिशयल साम्रग्री से फ्री हो सकते हैं। उनमें यह चीजें नहीं हो, यह जरूरी नहीं है। फल और सब्जियां ऑर्गेनिक का एक उदाहरण है। यह ऐसी मिट्टी में उगाई जाती है, जिसमें कोई भी सिंथेटिक कैमिकल या पेस्टीसाइड नहीं डाला जाता। ऑर्गेनिक उत्पाद सर्टिफाइड बॉडीज से निरीक्षत होती हैं। इनकी सख्त गाइडलाइंस होती हैं। दूसरी ओर प्राकृतिक उत्पाद सर्टिफाइड नहीं होते।
सभी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट नेचुरल होते हैं। लेकिन सभी नेचुरल प्रोडक्ट्स को आप ऑर्गेनिक के तौर पर शामिल नहीं कर सकते। हम इसे एक सेब के उदाहरण से समझ सकते हैं। एक प्राकृतिक तरीके से उगाया गया है और दूसरा सामान्य अवस्था में। सामान्य अवस्था वाले में कुछ हानिकारक प्रिजर्वेटिव्ज हो सकते हैं, नेचुरल कंडीशन वाला उसकी तुलना में अच्छा होगा।
फ्रंट लेबल के दावों को न देखें
अगर आपके दिमाग में यह तथ्य रहेंगे तो आप यह तय कर पाएंगे कि आप कौन सा लें और कौन सा ना लें। आप बस इतना ध्यान दें कि जब भी आप कोई प्रोडक्ट लें। उसकी सामग्री को देखें। उसके फ्रंट लेबल पर जो दावे किए गए हैं, उन पर ध्यान न दें। आप यह देखें कि उसकी न्यूट्रिशन फैक्ट कितने हैं उसमें क्या सामग्री रखी गई है।
कैंसर का हो सकता है खतरा
अध्यनों में यह बात साबित हुई है कि जो आम पेस्टीसाइड या फर्टिलाजर हम इस्तेमाल करते हैं वह भी हमारे नर्वस सिस्टम, इंडोक्राइन और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे कैंसर का भी खतरा हो सकता है। यह सच है कि ऑर्गेनिक प्रोडक्ट थोड़े महंगे आते हैं, लेकिन आप जान लें कि सेहत से बढ़कर तो कुछ भी नहीं है। बहुत से लोगों को लगता है कि पता नहीं अगर ऑर्गेनिक प्रोडक्ट हम ले रहे हैं वह ऑर्गेनिक है भी या नहीं। इस संशय का समाधान आपके पास है। खरीदने से पहले उसके न्यूट्रिशन लेबल को जरूर पढ़ें। ठ्ठ