Massage Oil Benefits: सुश्रुत संहिता में कहा गया है- जैसे वृक्ष की जड़ में पानी डालने से उसकी डालियों एवं पत्तों से अंकुर फूटते हैं, वैसे ही तेल मालिश करने से शरीर में रस, रक्त आदि धातुओं की वृद्धि होती है। तेल-मालिश द्वारा शरीर के विभिन्न रोगों का निवारण भी सरलतापूर्वक किया जा सकता है, इसके लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के तेल उपयोग में लाए जाते हैं।
- बादाम के तेल द्वारा सिर की मालिश करने से मानसिक तनाव, चिंता तथा दिमागी थकान आदि का निवारण होता है। इससे नेत्र ज्योति में वृद्धि भी होती है। यह स्मरण शक्ति बढ़ाता है तथा मस्तिष्क को ताजगी देता है।
- पेट पर सरसों का तेल मलने से यकृत और प्लीहा के विकार दूर होते हैं। यदि इस तेल में कमीला मिलाकर दाद, खाज, चकत्ता, व्रण एवं अग्निदग्ध पर लगाएं तो शीघ्र ही इन त्वचा रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
- नारायण तेल द्वारा शरीर की मालिश करने से लकवा, पक्षाघात, शरीर में कंपन, शरीर में सूजन, गठिया, सन्निपात, छाती या पसली का दर्द, निम्न रक्तचाप तथा अन्य वात रोगों में काफी लाभ होता है।
- लहसुन के तेल को सीने और छाती पर मलें। फेफड़ों के विकार, सर्दी-जुकाम तथा पसली चलने में लाभ होता है।
- दालचीनी के तेल द्वारा यथास्थान मालिश करने से शरीर की सूजन, स्नायु, दुर्बलता, वात विकार, ध्वजभंग, अग्निमांद्य तथा शरीर की पीड़ा दूर होती है।
- बिनौले के तेल द्वारा शरीर की मालिश करें। गठिया, सूजन तथा दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।
- पुदीने के तेल से शरीर की मालिश करने से शरीर का दर्द तथा दुर्गंधयुक्त व्रण दूर हो जाता है।
- बहेड़े के तेल द्वारा सिर की मालिश करें। मिरगी, हिस्टीरिया आदि के दौरे नहीं पड़ेंगे।
- काले जीरे के तेल द्वारा पेट पर मालिश करने से अफरा, पेट दर्द, वायु गोला तथा मरोड़ का निवारण होता है।
- विजया अर्थात् भांग के बीज के तेल से यथास्थान मालिश करें। जीर्ण आमवात में काफी लाभ होगा।
- तिल के 20 ग्राम तेल में 5 ग्राम कपूर मिलाकर मालिश करने से चोट, मोच, खांसी, निमोनिया, पार्श्वशूल तथा मांसपेशियों का खिंचाव नष्ट होता है।
- यदि हैजा, चोट, मोच, जीर्ण आदि के कारण हाथ-पैरों में पीड़ा या ऐंठन हो तो जायफल का तेल मलें।
- एरंड के तेल से शरीर की मालिश करें। सायटिका, हृदय की पीड़ा, कटिशूल, आमवात तथा संधिशोध दूर हो जाएगा।
- शिकाकाई के तेल से सिर की मालिश करने से बालों के पकने, झड़ने, रूसी होने या जूं पड़ जाने पर लाभ होता है।
- नीम के तेल द्वारा मालिश करने से श्वेत कुष्ठ, दाद, अकौता, शीत-पित्त, अपच, नाड़ीव्रण और पामा रोग नष्ट होता है।
- यदि शरीर में हड़कन, दर्द एवं सूजन हो अथवा वातदोष के कारण बेचैनी हो तो लाक्षादि तेल की मालिश उपयोगी है। पुराना ज्वर, शरीर दाह, अधिक पसीना आने, खुजली होने तथा शरीर के असंतुलित होने पर महासुगंधादि तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
- भृंगराज आंवला तेल से सिर की मालिश करें। गंजे सिर में भी बाल उगने लगेंगे। यह बालों के सफेद होने, बालों के झड़ने तथा सिर में रूसी पड़ने के रोग में काफी लाभदायक है।
- केशराज तेल द्वारा सिर की मालिश करें। बाल सुंदर, काले और घने हो जाएंगे। यह सिर दर्द दूर करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने तथा नेत्र क्षीणता का नाश करने में भी कारगर है।
- यदि नाक से बदबू आती हो, पीप या मवाद बहता हो, सुगंध-दुर्गंध की पहचान मुश्किल हो अथवा पीनस रोग हो तो पाठादि तेल की मालिश करने से लाभ होता है।