Life Lesson: तुम्हारी ऊर्जा केवल उसी सीमा तक जाती है जो तुम्हारे अहम् के लिए सुविधाजनक होता है; थोड़ी सी और ऊर्जा और तुम्हारा अहम् फट पड़ेगा। जैसे ही तुम्हारे भीतर ऊर्जा चढ़ती है कि सबकुछ विसर्जित हो जाता है।
मार्ग अपने आप में जटिल नहीं है। अध्यात्म-मार्ग पर जिन जटिलताओं का कोई सामना करता है, वे मार्ग के कारण नहीं है। जटिलताएं मात्र उस गंदगी के कारण है, जो तुम्हारा मन है। मार्ग बहुत आसान है, लेकिन चूंकि तुम वहां होते हो, यह बेहद जटिल हो जाता है। तुम्हारे भीतर कुछ भी सरकता नहीं है। तुम जकड़ जाते हो। जैसे कि कोई मृत शरीर हो। अपने मन की विक्षिप्तता को शांत करने के लिए तुम्हें गुरुकृपा की जरूरत पड़ती है। अगर तुम इसे होने देते हो। फिर मार्ग बहुत आसान हो जाता है, जैसे कि मार्ग ही मंजिल हो। अभी अगर तुम यहां सहज बैठ सको, सभी चीजें अस्तित्व के साथ स्पंदित होने लगेंगी। अगर तुम यहां बस बैठ पाते हो, तो तुम्हारा अपना अस्तित्व संपूर्ण अस्तित्व के साथ स्पंदित होने लगेगा। होने का और कोई दूसरा तरीका नहीं है, जब तक कि तुम किसी दूसरे तरह से होने का प्रयास नहीं करते हो। उस अस्तित्व से, जिसमें तुम रहते हो, तुम अलग कैसे हो सकते हो? यह कैसे संभव है? यह अंदर, बाहर और हरेक तरह से तुम्हें अपने में लिए हुए है। कोई भी इससे कभी भी अलग नहीं हो सकता। बस इससे अलग रहने के लिए तुम सब चीज किए जा रहे हो, संभवत: अचेतनतापूर्वक कर रहे हो। मात्र वह करना बंद कर दो और सभी चीजें ठीक हो जाएंगी। तुमने अपनी ऊर्जा को उस हद तक दबा रखा है, मन इतना दमनकारी हो गया है कि इसने जीवन को उस बिन्दु तक दमित कर रखा है, जहां किसी प्रकार की गति नहीं है, सिवाय इसके कि जो अहम् को मजबूत रखने के लिए जरूरी है। तुम्हारी ऊर्जा केवल उसी सीमा तक जाती है जो तुम्हारे अहम् के लिए सुविधाजनक होता है; थोड़ी सी और ऊर्जा और तुम्हारा अहम् फट पड़ेगा। जैसे ही तुम्हारे भीतर ऊर्जा चढ़ती है कि सबकुछ विसर्जित हो जाता है। अहम्। इसे अच्छी तरह से जानता है। यही कारण है कि इसने इसे दमित कर रखा है। अगर तुम्हारे पास कोई ऊर्जा नहीं है, तो फिर अहम् बहुत कमजोर हो जाता है। जब सारी ऊर्जा खत्म हो जाती है- अहम् बहुत कमजोर महसूस करता है, और यह उसे पसंद नहीं है। अगर ऊर्जा बहुत अधिक हो जाती है, फिर अहम् चूर-चूर हो जाएगा। जब कुण्डलिनी जागृत होने लगेगी, सब कुछ चूर-चूर हो जाएगा। तुम अपने चारों तरफ की सभी चीजों के साथ विलय करती हुई मात्र एक शक्ति के रूप में रह जाओगे। फिर तुम्हारी अपनी कोई इच्छा नहीं रह जाएगी। चूंकि तुम अपनी इच्छा को समर्पित करने के लिए तैयार नहीं हो इस साधना के माध्यम से तुम्हारी ऊर्जा को उकसाने के लिए हम तुम्हें धक्का दे रहे हैं।
इसीलिए साधना और क्रिया का मार्ग है। चूंकि तुम खुद इसे नहीं कर पाते हो। फिर तुम सृष्टि को ही एक खास तरह से सक्रिय कर दो। अगर यह गतिशील होने लगती है, फिर यह हर चीज को व्यवस्थित कर देती है। यह एक बाढ़ की तरह है। बाढ़ के तुरंत बाद क्या तुमने किसी जगह का भ्रमण किया है? अगर तुमने उस जगह को पहले देखा हो और फिर बाद में देखते हो, जो परिवर्तन आता है वह अविश्वसनीय होता है।हां, स्वाभाविक है कि यह एक हादसा है, अगर तुम देखोगे कि यह क्या छोड़ जाता है, या यह क्या बहा ले जाता है – मात्र कुछ घंटों के प्रलय में, तुम्हारे घर, तुम्हारी फसल या तुम्हारी सदियों पुरानी दुनिया पूरी तरह से मिट जाती है। इसलिए तुम्हारी साधना कहीं जाने के संबंध में नहीं है। यह मात्र एक तरीका है, एक प्रक्रिया है। बेतहाशा बाढ़ लाने की, इतनी भयंकर कि यह तुम्हारे तुच्छ सृजनों को पूरी तरह से मिटा दे, और तुम्हें ऐसा बनाकर छोड़े जैसा कि सृष्टा ने तुम्हें चाहा है।
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