तनाव रहित पेरेंटिंग के लिए ये 3 टिप्स आज़माना ना भूलें
आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम अपने बच्चों पर ध्यान कम दे पाते हैं,और इसी के चलते हमारे मन में ये बातें बैठ जाती हैं,ना जाने हमारे बच्चों का भविष्य क्या होगा।
Parenting Stress: गलतियाँ करना इंसान का स्वभाव है। इसमें कुछ गलत नहीं। ये गलत तब होगा जब आप अपनी गलतियों से सीख ले कर भी खुद पर काम ना करें। अपनी गलत आदतों को ना सुधारें। पेरेंटिंग जर्नी में भी हम कभी कभी गलती कर बैठते हैं। हालांकि ये बिलकुल सच बात है पेरेंटिंग बहुत टफ जॉब है। इसमें हमें सब्र और धैर्य की बहुत जरुरत होती है। यही दोनों पेरेंटिंग का मूल मंत्र हैं। अगर आप ये बात समझ गए हैं तो समझिये आपकी आधी मुश्किलें तो दूर हो गयी हैं।बच्चों की परवरिश में माता पिता कोई कमी नहीं करते। हर माता पिता यही चाहतें हैं उनका बच्चा एक अच्छा इंसान बने। अपनी एक अलग पहचान बनाये।इसके लिए वो पूरी तरह से मेहनत भी करते हैं।अब इतने दबाव के बाद तनाव से घिर जाना आजकल के माता पिता के लिए आम बात हो गयी हैं। आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम अपने बच्चों पर ध्यान कम दे पाते हैं और इसी के चलते हमारे मन में ये बातें बैठ जाती हैं, ना जाने हमारे बच्चों का भविष्य क्या होगा।
हम अच्छे माता पिता साबित होंगे या नहीं। ये सारी बातें तनाव को बढ़ावा देती हैं।तनाव मुक्त रहने के लिए हमें कुछ बातों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसी बातें जिन पर अमल कर के हम पेरेंटिंग को तनाव मुक्त बनाकर खूबसूरत एहसासों से भर सकते हैं।
सामाजिक बनें
माता पिता बन जाने के बाद बेशक हमारी जिम्म्मेदारियाँ काफी बढ़ जाती हैं।लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं कि हम समाज से कटे कटे रहने लगें।हमें लगने लगता हैं अगर हम अपना सामजिक दायरा बढ़ाएंगे तो बच्चों पर काम ध्यान दे पाएंगी।जबकि हमें ये सोचना चाहिए अगर हम दूसरे माता पिता के संपर्क में रहेंगे, तो हमें उनकी पेरेंटिंग का तरीका भी देखने को मिलेगा और हो सकता हैं हमारा पेरेंटिंग का तरीका उनसे अलग हो।इस तरह हम बच्चों कि परवरिश और बेहतर तरीके से कर पाएंगे। समाज से मिलजुल कर रहने पर हमें बहुत सी बातें पता चलेंगी। बेहतर होगा आप अपना सामजिक दायरा बढ़ाएं।
बच्चों के साथ बॉन्डिंग मजबूत करें
हर बच्चा चाहता हैं उसके माता पिता उसपर ध्यान दें,उसकी बात सुनें,समझें,और उनकी बातों पर प्रतिक्रिया दें।बच्चों का इस तरह सोचना बिल्कुल सही हैं।अगर माता पिता बच्चे को थोड़ा समय दे कर उसकी बातें सुनें और समझने कि कोशिश करें तो उनके बीच संबंध बेहतर हो जायेंगे।अपने काम कि वजह से जब माता पिता बच्चे पर ध्यान नहीं दे पातें हैं, तो बच्चे छोटी छोटी बातों पर रिएक्ट करना शुरू कर देते हैं।वो चाहतें हैं आप उनपर ध्यान दें उनके साथ थोड़ा समय बिताएं।कुछ समय के लिए काम एक तरफ रख कर बच्चों के साथ अच्छे से समय बिताएं। इस तरह माता पिता और बच्चे के बीच कि बॉन्डिंग काफी मजबूत हो जायेगी।
घर के बुजुर्गों से सलाह लें
जब कभी आप बच्चों कि परवरिश को ले कर तनाव में हो तो घर के बड़े बुजुर्गों से सलाह लें। आपका मन भी काफी हल्का हो जाएगा साथ ही वो अपने अनुभव से आपको ऐसी सलाह देंगे जो शायद आप सोच भी नहीं सकते। हम भी कभी बच्चे थे और हमारा स्वभाव भी जिद्दी नटखट या बहुत ज्यादा शांत रहा होगा। उस ज़माने में उनके पास घर के काम कि मदद के लिए कोई नहीं होता था,ना ही कोई आधुनिक मशीन थीं जिनकी मदद से काम कर के वो अपना समय बचा सकते थे। उनके पास ऐसे बहुत से तरीके होंगे ,जिनकी मदद से आप बेहतर माता पिता बन सकते हैं और आपके बच्चे के स्वभाव के साथ अच्छे से डील कर सकते हैं।