Ashadha Maah 2024: पंचांग के अनुसार, आषाढ़ वर्ष का चौथा महीना होता है। यह महीना भगवान सूर्य, शिव और विष्णु की पूजा के लिए अति उत्तम माना जाता है। शास्त्रों में भी इस माह में हवन-यज्ञ करने का विशेष महत्व बताया गया है। आषाढ़ माह में किए गए पूजा-पाठ 1000 यज्ञों के बराबर फल प्रदान करते हैं। इस माह सूर्यदेव को अर्घ्य देने का भी विशेष विधान है। सूर्य को जल में एक वस्तु मिलाकर अर्पित करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, आषाढ़ माह में सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करना चाहिए। काले तिल सूर्यदेव को अति प्रिय हैं। इनसे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तिल के अलावा, गुड़ और लाल चावल भी जल में मिलाकर अर्पित किए जा सकते हैं।
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सूर्य की उपासना का विशेष महत्व
आषाढ़ के दिनों सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस महीने सूर्य को काले तिल मिश्रित जल से अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है। लाख कोशिशों के बाद भी रुकी हुई तरक्की फिर से गति पकड़ लेती है। काले तिल सूर्यदेव को प्रिय हैं और ये सूर्य ग्रह को मजबूत करते हैं। तो देर किस बात की? इस आषाढ़, सूर्यदेव को तिल अर्घ्य देकर अपने भाग्य को जगाएं।
काले तिल का महत्त्व
तिल हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनका उपयोग पूजा-पाठ, दान, स्नान और अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। शास्त्रों में तिल का संबंध पितरों और सूर्यदेव से भी माना गया है। पितृ पक्ष में पितरों को तर्पण करने के लिए काले तिल का उपयोग किया जाता है। काले तिल को जल में मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों को तृप्ति मिलती है और वे सुखी रहते हैं। पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी काले तिल का उपयोग किया जाता है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
काले तिल का दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। सूर्यदेव को प्रिय रविवार को सूर्य पूजन में तिल का उपयोग किया जाता है। सूर्य अर्घ्य में जल में काले तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य, धन-दौलत और सफलता प्रदान करते हैं। आषाढ़ माह में सूर्य पूजन का विशेष महत्व है। इस महीने में सूर्यदेव की उपासना करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। आषाढ़ माह में सूर्य अर्घ्य में जल में काले तिल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित करना चाहिए।
