Overview: नागनाथस्वामी मंदिर की रहस्यमयी मान्यताएं
केतु ग्रह वैदिक ज्योतिष में एक रहस्यमयी छाया ग्रह है, जो आध्यात्मिकता, पूर्व जन्म के कर्म और मानसिक दशाओं से जुड़ा होता है; तमिलनाडु के नागनाथस्वामी मंदिर में पूजा से इसके दोषों से मुक्ति मिलती है।
Ketu Dosha Remedies : वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों की सूची में राहु और केतु को विशेष स्थान प्राप्त है, लेकिन ये दोनों भौतिक ग्रह नहीं हैं। इन्हें छाया ग्रह कहा जाता है, क्योंकि इनका कोई ठोस आकार नहीं होता, फिर भी इनका प्रभाव जीवन पर गहरा पड़ता है।
खासकर कलियुग में इन दोनों ग्रहों का प्रभाव सबसे अधिक माना गया है। केतु विशेष रूप से व्यक्ति के आध्यात्मिक पहलुओं, गुप्त शत्रुओं, मानसिक भ्रम, रोग, और रहस्यमयी घटनाओं से जुड़ा हुआ होता है। यदि यह अशुभ स्थिति में हो, तो जातक के जीवन में मानसिक तनाव, धोखा, और बाधाएं आ सकती हैं।
केतु: आध्यात्मिकता और पूर्व जन्म के कर्मों का कारक
केतु का संबंध व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों से भी जोड़ा जाता है। यह यह निर्धारित करता है कि इस जन्म में व्यक्ति को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। साथ ही, केतु गुप्त विद्या, तंत्र, साधना, और मोक्ष की ओर भी संकेत करता है। यह ग्रह उन लोगों के लिए विशेष प्रभावशाली होता है जो जीवन में आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं या गहरे ज्ञान की खोज में लगे रहते हैं।
केतु का शुभ प्रभाव: जब जीवन बन जाए सकारात्मक
जब कुंडली में केतु शुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को गहन बुद्धि, ज्ञान की भूख, और तेज निर्णय क्षमता प्रदान करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को करियर में सफलता, पारिवारिक समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। केतु को विशेष रूप से तीन नक्षत्रों अश्विनी, मघा और मूल का स्वामी माना गया है।
इसके अधिदेव भगवान गणेश माने जाते हैं, जो विघ्नों को हरने वाले हैं। साथ ही भगवान भैरव को भी केतु से जुड़ा हुआ देवता माना जाता है। मंगलवार का दिन केतु के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव मंगल ग्रह के समान होता है, साहस, शक्ति और तीव्रता से भरपूर।
केतु शांति के लिए विशेष पूजा स्थल
केतु के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने के लिए दक्षिण भारत में एक अत्यंत प्रसिद्ध और पवित्र स्थल है – नागनाथस्वामी मंदिर, जो तमिलनाडु के कीझापेरुमपल्लम गांव में स्थित है। इस मंदिर को ‘केतु स्थल’ के नाम से भी जाना जाता है। कावेरी नदी के किनारे बसे इस प्राचीन मंदिर में केतु देवता की विशेष पूजा होती है। यहां के मुख्य देव भगवान शिव हैं, लेकिन केतु की मूर्ति भी यहां विशेष रूप से स्थापित की गई है। केतु को यहां एक सांप के सिर और राक्षस के शरीर के रूप में दर्शाया गया है, जो शिव आराधना में लीन हैं।
नागनाथस्वामी मंदिर की रहस्यमयी मान्यताएं
यह मंदिर चोल वंश के समय निर्मित हुआ था और आज भी अपनी पौराणिक मान्यताओं और रहस्यमयी घटनाओं के कारण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मान्यता है कि यहां केतु दोष से पीड़ित व्यक्ति जब पूजा करता है, तो उसकी कुंडली के दोष कम हो जाते हैं और उसे मानसिक शांति एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
एक और रहस्य यह है कि जब भक्त यहां राहु देव पर दूध चढ़ाते हैं, तो वह दूध नीला हो जाता है। यह चमत्कार अभी भी वैज्ञानिक दृष्टि से स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन भक्तों की आस्था इसे दैवीय संकेत मानती है।
पौराणिक कथा और केतु की तपस्या
एक कथा के अनुसार, केतु एक ऋषि के श्राप से पीड़ित थे और मुक्ति की खोज में वे इसी स्थान पर आकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गए। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया कि इस स्थान पर केतु की पूजा करने से जातकों को केतु दोष से मुक्ति मिलेगी। तभी से यह मंदिर केतु शांति के लिए प्रसिद्ध है।
