क्यों मनाया जाता है जितिया व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि: Jitiya Vrat 2023
Jitiya Vrat 2023

Jitiya Vrat 2023: हिन्दू धर्म में अश्विन मास का विशेष महत्त्व है। इस माह में जितिया व्रत, शारदीय नवरात्रि, दशहरा और शरद पूर्णिमा जैसे कई विशेष व्रत-त्यौहार आएंगे। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। अक्टूबर माह में 6 तारीख को जितिया व्रत रखा जाएगा। इस दिन माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत करती हैं। ये त्यौहार तीन दिनों तक पुरे विधि विधान के साथ मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको जितिया व्रत से जुड़ी जानकारियां देंगे।

महाभारत से जुड़ी है जितिया व्रत की कथा

जितिया व्रत की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। महाभारत युद्ध में अश्वत्थामा अपने पिता की मृत्यु से बेहद नाराज हुआ था। उसी क्रोध के चलते उसने पांडव समझकर पांडवों के पांचों पुत्रों को मार डाला था। फिर अर्जुन ने अश्वत्थामा के सिर में लगी मणि को छीन लिया था, जिसके बाद अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उतरा के गर्भ में पल रहे शिशु को मार डाला था। ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के बदले उतरा के अजन्मे पुत्र को पुनःजीवित किया था। भगवान कृष्ण की कृपा से जीवित हुए इस पुत्र को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया। यही बालक आगे चलकर राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तभी से माताएं अपनी संतानों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जितिया व्रत की परंपरा निभा रही हैं।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त

जितिया व्रत तीन दिन का पर्व है। ऐसे में 5 अक्टूबर को नहाय-खाय होगा। 6 अक्टूबर को व्रत रखा जाएगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से होकर 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। वहीं पूजा मुहूर्त 6 अक्टूबर को 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही पारण की शुरुआत 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बाद होगी।

जितिया व्रत की पूजा विधि

Puja Vidhi
Jitiya Vrat 2023-Puja

जितिया व्रत के पहले दिन यानी 5 अक्टूबर को महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर व्रत का संकल्प लेकर पूजा शुरू करें। इसके बाद फलाहार ग्रहण करें और पूरा दिन कुछ न खाएं। अगर दिन सुबह उठकर व्रती महिलाएं स्नान के बाद पूरा दिन निर्जला व्रत करें। इस व्रत का पारण व्रत के अगले दिन किया जाएगा। पारण से पहले महिलाएं सूर्य को अर्घ्य दें और फिर कुछ ग्रहण करें। पारण के दिन झोर भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाने की परंपरा है। अष्टमी के दिन व्रती महिलाएं जीमूत वाहन की पूजा के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनती हैं।