Jitiya Vrat 2023: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों का बड़ा महत्व है। हर व्रत व त्योहार को तिथि पर पूर्ण विधिवत रूप से मनाया जाता है। अश्विन माह में भी कई प्रमुख व्रत त्योहार आते हैं। हर वर्ष अश्विन माह में कृष्प पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता है। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जानते हैं। अपने पुत्र की सुख—समृद्धि व उसकी दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखा जाता है। धार्मिक शास्त्रों में जितिया व्रत का महत्व बताया गया है। पंडित इंद्र मणि घनस्याल बताते हैं कि माताएं जितिया व्रत पर निर्जला उपवास रखती हैं। इस व्रत के फल स्वरूप संतान को बुद्धि, बल व तेज की प्राप्ति होती है। इस बार जितिया व्रत की तारीख को लेकर सशंय बना हुआ है। कोई 6 तो कोई 7 तारीख को जितिया व्रत बता रहा है। ऐसे में पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानेंगे कि इस बार जितिया व्रत कब रखा जाएगा और इसकी पूजा विधि व महत्व क्या है।
कब है जितिया व्रत 2023?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जितिया व्रत हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है। इस साल अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर 2023 को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो अगले दिन 7 अक्टूबर 2023 को सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, जितिया व्रत 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को रखा जाएगा। जितिया व्रत में तीन दिन तक उपवास रखा जाता है, जिसकी शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, 5 अक्टूबर 2023 को नहाय खाय, 6 अक्टूबर 2023 को जितिया व्रत है। इस व्रत का पारण 7 अक्टूबर 2023 को किया जाएगा।
जितिया व्रत की कथा व महत्व

महाभारत में जितिया व्रत का उल्लेख मिलता है। जिसमें श्रीकृष्ण ने उत्तरा की गर्भ में बच्चे को दोबारा जीवन दान दिया। इस कारण उसका नाम जीवित पुत्र रखा गया। आगे चलकर जीवित पुत्र राजा परीक्षित बना। इस दौरान उत्तरा ने निर्जला व्रत रखकर पुत्र की कामना की। जिस कारण इस व्रत का नाम जितिया पड़ गया। तब से जितिया व्रत का प्रारंभ हुआ। इस दिन जीवित वाहन भगवान की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के फल से माताओं की संतान को लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुख—समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जितिया व्रत की पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत पर सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन को याद करते हुए व्रत का संकल्प लें। व्रत के दिन कुशा से प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा करें। भगवान को धूप दीप, चावल, पुष्प, सिंदूर आदि अर्पित करें। मिट्टी व गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं। इसके बाद जितिया व्रत की कथा सुनें और अपने पुत्र की लंबी आयु व सुख—समृद्धि की कामना करें।
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