कान्हा के जन्मदिन पर बनाएं खास रंगोली, खुश होंगे कन्हैया: Janmashtami Rangoli Designs
Janmashtami Rangoli Designs

Janmashtami Rangoli Designs: कृष्ण जन्माष्टमी नजदीक है और सभी कृष्ण भक्त अपने कन्हैया के स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं। कृष्ण जन्माष्टमी का महापर्व भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।  हालांकि इस बार जन्माष्टमी की तारीख को लेकर काफी असमंजस है। इसका कारण है इस बार दो दिन अष्टमी का होना। जानकारी के अनुसार 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर भाद्रपद शुक्ल पक्ष का आरंभ होगा, जो 7 सितंबर को 4 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 6 सितंबर को जन्माष्टमी का व्रत रखना फलदायी रहेगा।

खास अंदाज में करें कान्हा का स्वागत

जन्माष्टमी पर कृष्ण के बालरूप का पूजन किया जाता है। उनका स्वागत किया जाता है और कोई भी स्वागत रंगोली के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसे में इस बार अपने कान्हा के लिए आप भी रंग बिरंगी रंगोली बनाकर अपने घर को सजाएं। कहते हैं कान्हा को हरियाली से विशेष प्यार है। जंगलों के बीच रहना, फूलों से सजे झूले पर बैठना उन्हें पसंद है। इसलिए उनके श्रृंगार में भी फूलों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस जन्माष्टमी पर आप रंग बिरंगे फूलों की रंगोली बनाकर कन्हैया का स्वागत कर सकते हैं।

कान्हा को पसंद आएगी माखन मटकी रंगोली

रंगोली बनाने के लिए आमतौर पर लोग गुलाल का उपयोग करते हैं, लेकिन रंगोली के लिए गुलाल यानी रंग अलग से भी आते हैं। ये आराम से फैलते हैं, जिससे आपकी रंगोली साफ सुथरी नजर आती है। आप भी जन्माष्टमी पर यह खास रंगोली बना सकते हैं। इसमें कान्हा की माखन मटकी भी जरूर बनाएं। वैसे भी माखन कृष्णा को बहुत पसंद है।

कन्हैया के मयूर को न भूलें

मयूर के बिना कृष्णा की कल्पना करना असंभव है। ऐसे में कन्हैया के स्वागत के लिए आप मयूर रंगोली भी बना सकते हैं। खास बात यह है कि इस रंगोली में बहुत सारे रंगों का उपयोग होता है, जिसके कारण यह रंगोली काफी आकर्षक लगती है। इसे बनाना भी काफी आसान है।

दीपक रंगोली है खास

दीपों के बिना हमारा कोई भी त्योहार अधूरा है। ऐसे में आप दीप रंगोली जरूर बनाएं। इसे बनाना भी आसान है और यह देखने में बहुत ही सुंदर लगती है।

आटे-हल्दी से सजाएं घर

आटा और हल्दी दोनों का ही हमारे रीति रिवाजों और पूजा में विशेष महत्व होता है। कई जगह तो आटे और हल्दी की रंगोली के बिना पूजन भी अधूरा माना जाता है। ऐसे में आप इन दोनों का उपयोग कर सुंदर रंगोली बना सकते हैं। ये आसानी से मिल भी जाते हैं और बेहद शुभ भी माने जाते हैं।

शुभ होते हैं मांडणे

मांडणे हमारी संस्कृति से जुड़े हैं। चूने और गेरू का अलग-अलग घोल बनाकर ब्रश या फिर रूई की मदद से सुंदर डिजाइन जमीन पर बनाई जाती है। राजस्थान के गांवों में लोग इन्हें घरों की दीवारों पर भी बनाते हैं। इन्हें हर पूजन से पहले बनाना शुभ माना जाता है। इस जन्माष्टमी आप भी इन्हें बनाकर श्री कृष्ण का स्वागत करें।