कैसा हो गेस्ट रूम: Guest Room Tips
Guest Room Tips

Guest Room Tips: प्रत्येक घर में कभी न कभी अतिथि आते ही हैं। इसलिए उनके लिए अतिथि कक्ष की व्यवस्था की जाती है। इसलिए हम यहां आपको अतिथि कक्ष से जुड़ी आवश्यक बातें बता रहे हैं, जो वास्तु व अतिथियों की सुविधा-अनुकूल हैं।

  • अतिथि कक्ष का निर्माण वायव्य कोण, उत्तर दिशा के मध्य अथवा पश्चिम एवं वायव्य कोण के मध्य स्थान पर करवाना चाहिए।
  • यदि भवन दो-मंजिला या तीन-मंजिला हो तो भूतल पर पश्चिम अथवा उत्तर दिशा में अतिथि कक्ष बनवाना उचित होता है।
  • यदि भूतल पर स्थान उपलब्ध हो तो अतिथि कक्ष को प्रथम तल (फर्स्ट फ्लोर) पर ही बनवाया जाना चाहिए लेकिन इस कक्ष का स्थान पूर्वोक्त दिशा में ही रखना चाहिए।
  • अतिथि कक्ष का निर्माण आग्नेय, ईशान अथवा नैऋत्य कोण में ही करवाना चाहिए। इससे भवन स्वामी तथा परिवार के सदस्य सदैव परेशान एवं अशांत रहते हैं। उन्हें कई तरह की आपदाओं, असफलताओं एवं रोगों का सामना करना पड़ता है।
  • अतिथि गेस्ट रूम में अधिक दिनों तक न रहे अर्थात् वह स्वयं जल्द से जल्द अपने गंतव्य को चला जाए, इसके लिए वायव्य कोण में अतिथि कक्ष बनवाना चाहिए।
  • भवन या प्रतिष्ठान के ब्रह्म् स्थान अर्थात् बीचो-बीच में गेस्ट रूम का निर्माण नहीं करना चाहिए। यह अत्यंत कष्टप्रद होता है। इससे परिवार के सभी सदस्य मृत्यु तुल्य कष्ट भोगते हैं।
  • अतिथि कक्ष में ही अटैच बाथरूम एवं शौचालय होना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो अतिथि कक्ष के निकट ही शौचालय एवं बाथरूम होना आवश्यक है।
  • अतिथि कक्ष का आकार भवन के आकार-प्रकार के अनुसार छोटा-बड़ा रखा जा सकता है। वैसे इसका आकार अतिथियों के संभावित आगमन पर निर्भर करता है।
  • कुछ घरों में बैठक कक्ष में अतिथि के रुकने एवं सोने की व्यवस्था कर दी जाती है किंतु यथासंभव अतिथि कक्ष का निर्माण अलग से ही किया जाना चाहिए।
  • अतिथि कक्ष का निर्माण शौचालय, बाथरूम, सीढ़ियों के नीचे या दुछत्ती के नीचे नहीं करवाना चाहिए।
  • अतिथि कक्ष अतिथियों के विश्राम करने तथा सोने के काम आता है। इसलिए यह एक प्रकार का शयनकक्ष ही होता है।
  • अतिथि कक्ष की खिड़कियां इस तरह होनी चाहिए कि हवा और प्रकाश पूरे कमरे में पड़े।
  • अतिथि कक्ष में पलंग को पश्चिमी दीवार के साथ लगाकर सिरहाना पश्चिम की ओर लगाएं। यदि अतिथि ज्यादा आते हों तो एक-दो अन्य पलंग भी अतिथि कक्ष में होना चाहिए।