Summary: बच्चों को पॉकेट मनी देना सीखाता है सही बजटिंग और फैसले लेना
बच्चों को पॉकेट मनी देना उन्हें पैसे की सही कद्र और जिम्मेदारी सिखाने का सबसे असरदार तरीका है। इससे वे बचत, बजटिंग और सही निर्णय लेना सीखकर आत्मनिर्भर बनते हैं।
Pocket Money to Kids: बच्चों को मनी मैनेजमेंट सिखाने के लिए पॉकेट मनी देना बहुत अच्छा तरीक़ा है। इससे वे अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों को ख़ुद पूरा कर सकते हैं। हालाँकि, बच्चों को पॉकेट मनी देना चाहिये या नहीं इसको लेकर पैरेंट्स की सोच अलग-अलग है। कुछ माता-पिता इसे ज़रूरी मानते हैं, जबकि कुछ इसे बच्चों को बिगाड़ने वाला मानते हैं। लेकिन अगर पॉकेट मनी को सही दिशा और सीमाओं के साथ दिया जाए, तो यह बच्चों के आर्थिक और व्यक्तिiगत विकास में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है। जानते हैं कि बच्चों को पॉकेट मनी क्यों देनी चाहिए और इससे उन्हें क्या-क्या सीखने को मिल सकता है।
जिम्मेदारी का एहसास
जब बच्चा अपनी पॉकेट मनी से कुछ खरीदता है, तो वह समझता है कि पैसे को कितना सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। उसे यह अहसास होता है कि हर चीज़ मुफ्त में नहीं मिलती और हर खर्च की एक सीमा होनी चाहिए। इससे वो एक तरफ़ खर्च के प्रति जागरूक बनते हैं दूसरी तरफ़ इम्पल्सिव बाइंग से ख़ुद को रोक पाते हैं। यह सही मायनों में फाइनेंशियल डिसिप्लिन की शुरुआत है।
बजट बनाना और प्लानिंग सीखना

अगर बच्चा महीने भर की पॉकेट मनी पाता है, तो उसे अपनी जरूरतों और इच्छाओं को प्राथमिकता देने की आदत पड़ती है। वह धीरे-धीरे सीखता है कि क्या ज़रूरी है और क्या टाला जा सकता है। जैसे अगर किसी बच्चे को 500 रुपए महीने मिलते हैं और उसे 700 रुपए की कोई चीज़ चाहिए, तो वह या तो बचत करना सीखेगा या प्राथमिकता तय करेगा।
निर्णय लेना सीखता है
पॉकेट मनी मिलने से बच्चा खुद निर्णय लेना सीखता है — उसे क्या खरीदना है, कितना खर्च करना है और कब रोकना है। यह आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। सही निर्णय लेने की आदत बचपन से ही विकसित होती है, और पॉकेट मनी इसमें एक प्रभावी टूल है।
बचत और निवेश की आदत डालना
पॉकेट मनी से बच्चों को “सेविंग” का कॉन्सेप्ट समझाना आसान होता है। आप उन्हें गुल्लक दे सकते हैं या बच्चों के लिए कोई डिजिटल सेविंग ऐप का इस्तेमाल करा सकते हैं। बच्चों से हर खर्च का हिसाब लिखवाएं, उन्हें एक छोटा “संकल्प लक्ष्य” दें — जैसे किताब खरीदना, खिलौना लेना आदि। साथ ही उन्हें बताएं कि बचत से बड़ा लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है
लालच और ज़रूरत के बीच फर्क समझना
अगर बच्चा हर बार चीज़ों के लिए माता-पिता पर निर्भर रहता है, तो वह ज़रूरत और लालच का फर्क नहीं समझ पाता। जब उसे सीमित पॉकेट मनी मिलती है, तो वह समझता है कि हर इच्छा पूरी करना ज़रूरी नहीं होता। इससे बच्चा संतोष और संयम की भावना सीखता है — जो जीवन में बहुत जरूरी है।
कैसे दें पॉकेट मनी
- उम्र और ज़रूरत के अनुसार पॉकेट मनी तय करें
- साप्ताहिक या मासिक रूप में दें
- उनके खर्चों पर नज़र रखें लेकिन हस्तक्षेप कम करें
- अच्छा उपयोग करने पर प्रशंसा करें
- ग़लतियों पर शांति से समझाएं, डांटे नहीं
पॉकेट मनी बच्चों को केवल खर्च करने की आज़ादी नहीं देती, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए तैयार करती है। इससे वे आत्मनिर्भर, ज़िम्मेदार और समझदार बनते हैं। ज़रूरत है सिर्फ सही गाइडेंस और सीमाओं की। सही मायनों में पॉकेट मनी एक निवेश है — उनके व्यक्तित्व निर्माण में। जितनी जल्दी वे पैसे का सही उपयोग सीखेंगे, उतना ही मज़बूत होगा उनका भविष्य।
