Summary: झूठ बोलने की आदत बच्चों में क्यों बनती है और कैसे छुड़ाएं?
झूठ बोलना बच्चों के विकास का हिस्सा हो सकता है, लेकिन जब यह आदत बन जाए तो ध्यान देना ज़रूरी है। माता-पिता समझदारी, प्यार और सही उदाहरण से बच्चों की झूठ बोलने की आदत को सुधार सकते हैं।
Stop Child Lying Habit: झूठ बोलना बच्चों के विकास का सामान्य चरण है। इसमें बहुत ज्यादा घबराने जैसी कोई बात नहीं है। बच्चे अलग-अलग उम्र में अलग-अलग भावना के कारण झूठ बोल सकते हैं। लेकिन जब झूठ बोलना बच्चों की लगातार आदत में शामिल हो जाए, वह हर छोटी-छोटी बात पर बेझिझक, बिना डर के झूठ बोलने लगे तो यह एक समस्या है, जिसका निवारण करना माता-पिता के लिए आवश्यक हो जाता है। माता-पिता किस तरह अपने बच्चों के झूठ बोलने की आदत का निवारण कर सकते हैं, आईए जानते हैं इस लेख में।
झूठ बोलने के पीछे बच्चों की भावना

बच्चों के विकास के दौरान वह उम्र के अलग-अलग चरणों पर अलग-अलग भावना के कारण झूठ बोल सकते हैं। जैसे,
2 से 4 वर्ष की उम्र में बच्चा अत्यधिक काल्पनिक होते है। वह इस उम्र में कल्पना और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाते हैं, जिस कारण से वह अपने कहानियों में अपनी कल्पना के अनुसार झूठ बोलते हैं।
5 से 8 वर्ष के बच्चे में झूठ बोलने के पीछे दंड से बचने की भावना होती है। बच्चा सीखने के दौरान कई गलतियां करता है। उस गलती को छुपाना तथा डांट से बचना ही बच्चों के झूठ का कारण होता है।
9 से 12 वर्ष इस उम्र में बच्चा अपने दोस्तों के आगे खुद को बेहतर दिखना चाहता है, जिसके लिए वह आसानी से झूठ का सहारा ले सकता है।
किशोरावस्था में बच्चा अपने माता-पिता से अपनी निजता छिपाने या दोस्तों के बीच अपनी अच्छी छवि को बनाने के लिए झूठ बोलता है।
झूठ बोलने के पीछे का डर
बच्चों के झूठ बोलने के पीछे कई बार माता-पिता की अनदेखी या अत्यधिक सतर्कता भी कारण होता है।
माता पिता अनदेखी: माता-पिता का अपने बच्चों पर उम्मीद से अधिक भरोसा करना तथा उनकी छोटी-छोटी गलतियों को अनदेखा करना।
अत्यधिक सतर्कता: माता-पिता का अपने बच्चों को छोटी गलती के लिए भी अत्यधिक दंड देना, सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करना या बच्चों के साथ ब्लेमगेम खेलना।
दोनों ही अवस्था में बच्चा अपने माता-पिता से झूठ बोल सकता है।
झूठ रोकने के व्यावहारिक उपाय
स्वयं उदाहरण बने: बच्चों को कुछ भी सीखाने के लिए जरूरी है कि आप स्वयं उनके रोल मॉडल बनें। बच्चा सबसे ज्यादा अपने परिवार को देखकर सीखता है। बच्चों के सामने अपनी छोटे-छोटे झूठ को सही बता कर गलत रोल मॉडल ना बने। अगर आपसे गलती हो तो उसे छुपाने की बजाय ईमानदारी से स्वीकार करें। आपकी ईमानदारी बच्चों को ईमानदार बनने के लिए प्रेरित करती है।
झूठ के पीछे की भावना को समझने की कोशिश करें: क्या बच्चा आपसे बार-बार झूठ बोल रहा है, अगर हां तो समझे उसके पीछे की भावना को। क्या डर के कारण, डांट से बचने के लिए या आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए, किस वजह से बच्चा झूठ बोल रहा है। इस बात को नोटिस करें।
डांट का डर ना दिखाएं: अगर बच्चा झूठ अपनी गलतियों को छिपाने के लिए बोलता है तो उसे प्यार से भरोसा दिलवाएं की उसकी गलती स्वीकारने पर आप उसका समाधान करेंगे बिना किसी दण्ड के।
बच्चे सार्वजनिक अवहेलना या अपमान ना करें: बच्चों की किसी भी बुरी आदत की सार्वजनिक रूप से अवहेलना करना उसे उस आदत के लिए दृढ़ बनता है तथा वह खुद को अपमानित महसूस करता है।
यह कुछ छोटी-छोटी व्यवहारिक बातें हैं जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चों की झूठ बोलने की आदत को कम कर सकते हैं।
