Holashtak Upay 2025
Holashtak Upay 2025

Overview:

होलाष्टक होली से पहले आते हैं। इस साल होली 14 मार्च, 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च यानी होलिका दहन तक रहेंगे। होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित रहेगा।

Holashtak 2025 Start and End Date: सनातन धर्म में कुछ माह और दिन शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। वहीं कुछ दिन किसी भी नए काम को करने के लिए अशुभ बताए गए हैं। फाल्गुन मास में भी ऐसे आठ दिन आते हैं, जब कोई भी शुभ या नया काम करने से परहेज किया जाता है। इन दिनों को ‘होलाष्टक’ कहा जाता है। होलाष्टक होली से पहले आते हैं। इस साल होली 14 मार्च, 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च यानी होलिका दहन तक रहेंगे। होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित रहेगा। आइए जानते हैं कि इस समय हमें क्या करना चाहिए व क्या नहीं और इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है।

होलाष्टक का महत्व और धार्मिक कथा

There is a legend behind Holashtak.
Holashtak Festival

होलाष्टक के पीछे एक पौराणिक कथा है। यह कथा भक्त प्रहलाद और भगवान विष्णु से जुड़ी है। मान्यताओं के अनुसार प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु के परम भक्त थे। अपने पिता हिरण्यकश्यप की प्रताड़ना के बावजूद वह अपनी भक्ति पर अडिग रहे। इस बात से क्रोधित हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को मार डाले। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती थी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद की भक्ति की विजय हुई। माना जाता है कि होलिका दहन से पहले आठ दिनों तक प्रहलाद को कई यातनाएं दी गई थीं, जिसके कारण सभी ग्रह और नक्षत्र उग्र हो गए थे। इसलिए इन आठ दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

कामदेव से जुड़ी है एक अन्य कथा

होलाष्टक से एक अन्य कथा भी जुड़ी है। जिसके अनुसार होलाष्टक के दौरान ही भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया था, जिसके कारण देवलोक शोक में डूब गया था। बाद में रति की प्रार्थना पर भगवान शिव शंकर ने कामदेव को पुनर्जीवित किया। इन दोनों कथाओं के कारण होलाष्टक का समय विशेष रूप से अशुभ माना गया है।

भूलकर भी न करें ये काम

शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दौरान आठ ग्रहों की स्थिति अशुभ मानी जाती है। इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए इस समय कोई भी नया शुभ मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। अगर इस समय नए कार्य शुरू किए जाते हैं तो उनमें विघ्न और रुकावटें आ सकती हैं। इसलिए होलाष्टक के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण, वाहन खरीदारी या नया व्यापार शुरू करने से बचने की सलाह दी जाती है। इसी के साथ नए वस्त्र, वाहन या आभूषण भी नहीं खरीदने चाहिए। क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। वहीं नया व्यापार शुरू करने से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

होलाष्टक के प्रभाव को ऐसे करें कम

होलाष्टक के दौरान कुछ उपाय और पूजा करके आप इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। इस दौरान विशेष रूप से भगवान विष्णु के सहस्रनाम, हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। इन मंत्रों का जाप घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। साथ ही अन्न, वस्त्र और धन का दान करना पुण्यकारी होता है। यह दान जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। माना जाता है कि होलाष्टक में पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना और तर्पण करना बेहद लाभकारी होता है। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...