तकनीकि की ख़ास बात
कृषि के क्षेत्र में आधुनिक कृषि तकनीकों ने क्रांति लाने का काम किया है। इन तकनीकों ने छोटे स्थानों में अधिकतम फसल उत्पादन की संभावनाओं को बढ़ाया है।
Grafting of Plants: वर्तमान के समय को लोग वैज्ञानिक युग कहते हैं। कृषि के क्षेत्र में आधुनिक कृषि तकनीकों ने क्रांति लाने का काम किया है। इन तकनीकों ने छोटे स्थानों में अधिकतम फसल उत्पादन की संभावनाओं को बढ़ाया है। ऐसी ही एक अनूठी विधि है जिससे एक ही पौधे पर टमाटर और आलू दोनों उगाए जा सकते हैं। इस तकनीक को ग्राफ्टिंग कहा जाता है। यह तकनीक न केवल छोटे किसानों और शहरी बागवानी प्रेमियों के लिए लाभकारी है बल्कि यह सतत कृषि की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तकनीकि से हम सब अधिक से अधिक पैदावार ले सकते हैं।
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Grafting of Plants-ग्राफ्टिंग तकनीक का परिचय और प्रक्रिया

ग्राफ्टिंग एक ऐसी पद्धति है जिसमें दो पौधों को एक साथ जोड़ा जाता है ताकि वे एक ही इकाई के रूप में विकसित हों। इस प्रक्रिया में टमाटर के पौधे का ऊपरी भाग (स्टेम) और आलू के पौधे की जड़ (रूट स्टॉक) को एक साथ जोड़ा जाता है। चूंकि टमाटर और आलू एक ही सोलानेसी परिवार से संबंधित हैं, इनके ऊतक आसानी से जुड़ जाते हैं। इसके लिए, सबसे पहले टमाटर और आलू के पौधों को अलग-अलग उगाया जाता है। जब दोनों पौधे पर्याप्त रूप से विकसित हो जाते हैं, तो उनके तनों को सावधानीपूर्वक काटकर जोड़ दिया जाता है। ग्राफ्टिंग प्रक्रिया के बाद पौधे को कुछ दिनों तक विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसे नमीयुक्त और नियंत्रित वातावरण में रखा जाता है ताकि जोड़ ठीक से विकसित हो सके। कुछ हफ्तों बाद, जब दोनों हिस्से पूरी तरह से जुड़ जाते हैं, तो यह पौधा मिट्टी में लगाया जाता है। इस एक ही पौधे से ऊपर टमाटर और नीचे आलू प्राप्त किए जा सकते हैं।
इस विधि के लाभ
ग्राफ्टिंग तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सीमित स्थान में अधिक फसल उत्पादन करने की अनुमति देती है। शहरों में, जहां जगह की कमी होती है, इस विधि से छोटे गमलों या बालकनी में भी खेती की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, यह पद्धति समय और श्रम दोनों की बचत करती है, क्योंकि एक ही पौधे से दो प्रकार की फसलें प्राप्त होती हैं। यह तकनीक किसानों के लिए भी आर्थिक रूप से फायदेमंद है। इससे उत्पादन लागत कम होती है और खेती की उत्पादकता बढ़ती है। इसके अलावा, टमाटर और आलू दोनों ही रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग होने वाली मुख्य फसलें हैं, इसलिए इनकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है।
चुनौतियां और सावधानियां

हालांकि यह तकनीक कई फायदे प्रदान करती है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए विशेष कौशल और देखभाल की आवश्यकता होती है। ग्राफ्टिंग के दौरान पौधों को जोड़ते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ती है, क्योंकि थोड़ा-सा भी असावधानी पौधे को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा, इस प्रक्रिया में तापमान और नमी का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। ग्राफ्टिंग के बाद पौधे को संक्रमण से बचाना एक और चुनौती है। इसके लिए पौधे को कीट और बीमारियों से बचाने के उपाय अपनाने होते हैं। यह तकनीक शुरुआती किसानों या बागवानी प्रेमियों के लिए जटिल हो सकती है, क्योंकि इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अनुभव और अभ्यास की आवश्यकता होती है।
