Gaya Mein Ghumne ki Best Jagah: बिहार राज्य में स्थित गया जिला यहां के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोग यहां मुख्य रूप से पिंडदान के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां पर अगर पित्रों का पिंडदान किया जाए, तो उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। लेकिन पिंडदान के अलावा आप गया के कई पवित्र स्थल को देखने के लिए भी जा सकते हैं। यहां कई ऐसे खूबसूरत मंदिर, स्तूप और पवित्र स्थल हैं। आइए जानते हैं गया के 20+ घूमने के लिए बेहतरीन स्थान और प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन से हैं?
गया में घूमने के लिए 20 खूबसूरत जगह – Famous Places in Gaya in Hindi
| जगह | किलोमीटर (शहर से दूरी) |
| महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) | 12.1 किलोमीटर |
| विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple) | 2.3 किलोमीटर |
| तिब्बतियन रिफ्यूज मार्केट (Tibetan Refugee Market) | 14.5 किलोमीटर |
| महाबोधि मंदिर कॉम्प्लेक्स बुक स्टोर (Mahabodhi Temple Complex Book store | 12.1 किलोमीटर |
| सीता कुंड गया (Sita Kund) | 5.8 किलोमीटर |
| बोधि का पेड़ (Bodhi Tree, Bodh Gaya) | 12.3 किलोमीटर |
| मंगला गौरी मंदिर (Mangla Gauri Temple) | 2.9 किलोमीटर |
| दुख हरनी मंदिर (Dukh Harni Temple) | 2.2 किलोमीटर |
| महान बुद्ध प्रतिमा (Great Buddha Statue) | 1.5 किलोमीटर |
| सुजाता कुटी (Sujata Kuti) | 1 किलोमीटर |
| ब्रह्मयोनि पहाड़ी मंदिर (brahmayoni Temple) | 9 किलोमीटर |
| पुरातत्व संग्रहालय बोधगया (Archaeological Society of India Museum) – .8 | 8 किलोमीटर |
| डुंगेश्वरी हिल्स (Dungeshwari Hills) | 7 किलोमीटर |
| प्रेतशिला मंदिर (Pretshila Temple) | 3.4 किलोमीटर |
| वाट थाई मॉनेस्ट्री बोधगया (Thai Monastery) | 0 किलोमीटर |
| वियतनामी मंदिर (Vietnamese Temple) | 1 किलोमीटर |
| कुंदन बाजार (Kundan Bazar) | 2 किलोमीटर |
| जमा मस्जिद, बोध गया (Jama Masjid) | 12 किलोमीटर |
| सुजाता मंदिर (Sujata Temple) | 2 किलोमीटर |
| अजापाला निग्रोधा ट्री (Ajapala Nigrodha Tree) | 0 किलोमीटर |
महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple)
महाबोधि मंदिर, जिसे “महान जागृति मंदिर” भी कहा जाता है। बिहार के बोधगया में स्थित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। यह एक बौद्ध मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। भगवान बुद्ध भारत के धार्मिक इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह पृथ्वी पर अवतरित होने वाले भगवान विष्णु के 9वें और सबसे हाल के अवतार थे। यह मंदिर 4.8 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है और 55 मीटर ऊंचा है।

प्रवेश शुल्क
महाबोधि मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 5 से 12 और शाम में 4 से रात के 9 बजे तक जा सकते हैं।
विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple)
इस मंदिर के नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यब भगवान विष्णु को समर्पित है। इसमें भगवान विष्णु के 40 सेमी लंबे पदचिह्न हैं, जो चांदी की प्लेटों से बने बेसिन से घिरे हुए हैं।
यह पदचिह्न भगवान विष्णु द्वारा गयासुर की छाती पर पैर रखकर उसे वश में करने के कार्य को दर्शाता है। प्रांगण के अंदर अन्य मंदिर भी स्थित हैं। एक भगवान नरसिम्हा को समर्पित है और दूसरा फाल्ग्विस्वर के रूप में भगवान शिव को समर्पित है।

प्रवेश शुल्क
इस मंदिर में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 4 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक दर्शन के लिए जा सकते हैं।
तिब्बतियन रिफ्यूज मार्केट (Tibetan Refugee Market)
गया जाकर अगर आप शॉपिंग करना चाहते हैं, तो इस खूबसूरत से मार्केट में विजिट कर सकते हैं। यहां आपको कई तरह के खूबसूरत डिजाइन के कपड़े, हस्तशिल्प और स्मृति चिन्ह मिल जाएंगे। यहां से आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए गिफ्ट्स ले जा सकते हैं।

प्रवेश शुल्क
यह एक शॉपिंग मार्केट है, जिसमें प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 10 बजे से देर रात तक यहां शॉपिंग कर सकते हैं।
महाबोधि मंदिर कॉम्प्लेक्स बुक स्टोर (Mahabodhi Temple Complex Book store)
बोध का इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए आप इस बुक कॉम्प्लेक्स जा सकते हैं। यबां आपको कई तरह के बौद्ध संस्कृति और महाबोधि मंदिर के इतिहास से पुस्तकों का संग्रह आसानी से मिल जाएगा।

प्रवेश शुल्क
इस बुक स्टोर पर जाने के लिए किसी तरह का शुल्क नहीं है। हालांकि, बुक खरीदने की दर अलग-अलग है। आप सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक बुक स्टोर जा सकते हैं।
सीता कुंड गया (Sita Kund)
सीता कुंड विष्णुपद मंदिर के ठीक विपरीत दिशा में स्थित है। सांस्कृतिक दृष्टि से इस कुंड का विशेष महत्व है। इस कुंड को लेकर ऐसा कहा जाता है कि 14 वर्ष के लिए वनवास जाते समय सीता माता ने इसी कुंड में स्नान किया था। इसी वजह से इस कुंड का नाम सीता कुंड पड़ा।

प्रवेश शुल्क
इस कुंड को देखने के लिए आपको कई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप इसे किसी भी समय देख सकते हैं।
बोधि का पेड़ (Bodhi Tree, Bodh Gaya)
बोधि का पेड़ गया में स्थित है, जो बिहार के पटना जिसे से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समृद्ध ऐतिहासिक महत्व के कारण इस पेड़ को बौद्ध धर्म में सबसे प्रमुख और सम्मानित पवित्र स्थान माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी वृक्ष के नीचे आध्यात्मिक शिक्षक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम, जो बाद में बुद्ध के नाम से जाने गए, को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

प्रवेश शुल्क
इस बोधि पेड़ को देखने के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी समय जाकर पेड़ देख सकते हैं।
मंगला गौरी मंदिर (Mangla Gauri Temple)
मंगला गौरी मंदिर 15वीं सदी में बना है। यह देवी सती को समर्पित 52 महाशक्तिपीठों में गिना जाता है, जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। यह मंदिर पहाड़ी पर विराजमान है। वर्षा ऋतु में प्रत्येक मंगलवार को यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं ताकि उनके परिवार में समृद्धि आए।

प्रवेश शुल्क
मंदिर में प्रवेश के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। इस मंदिर के दर्शन के लिए आप सूर्योदय के बाद और सुर्यास्त से पहले जा सकते हैं।
दुख हरनी मंदिर (Dukh Harni Temple)
गया में स्थित दुख हरनी मंदिर लगभग 450 साल पुराना है। यहां महालक्ष्मी, त्रिपुर दुर्गा आदिशक्ति महाकाली और महासरस्वती विराजित हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के दर्शन से मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं।

प्रवेश शुल्क
दुख हरनी मंदिर में जाने के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 5 बजे से लेकर रात में 10 बजे तक दर्शन के लिए जा सकते हैं।
महान बुद्ध प्रतिमा (Great Buddha Statue)
गया में स्थित भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा भारत में सबसे ऊंची है और इसे 1989 में XIV दलाई लामा द्वारा स्थापित किया गया था। यह एक विशाल कमल पर आराम करते हुए ध्यानमग्न बुद्ध की मूर्ति है, जिसका निर्माण जटिल नक्काशी वाले बलुआ पत्थर और लाल ग्रेनाइट के इस्तेमाल से बनाई गई है।

प्रवेश शुल्क
महान बुद्ध प्रतिमा को देखने के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 7 से 12 और दोपहर में 2 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक जा सकते हैं।
सुजाता कुटी (Sujata Kuti)
सुजाता कुटी का निर्माण सुजाता नाम की एक आदिवासी महिला के सम्मान में बनाया गया। यह एक स्तूप है। ऐसा कहा जाता है कि सुजाता ने गौतम बुद्ध को निर्वाण प्राप्त करने और भोजन सहित हर विलासिता को त्यागने की प्रक्रिया में वर्षों तक भूखा रहने के बाद चावल का हलवा खिलाकर उनकी जान बचाई थी। इसलिए सुजाता कुटी को बौद्ध संस्कृति में धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रवेश शुल्क
सुजाता कुटी में प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक यहां जा सकते हैं।
ब्रह्मयोनि पहाड़ी मंदिर (Brahmayoni Temple)
यह अष्टभुजादेवी का एक प्राचीन मंदिर है। इसके साथ-साथ पहाड़ी पर ब्रह्मयोनी और मत्रेओनी नामक दो गुफाएं भी स्थित हैं। ब्रह्मयोनि पहाड़ी वह स्थान था जहां बुद्ध ने एक हजार पूर्व अग्निपूजक तपस्वियों को अग्नि-उपदेश दिया था और कहा जाता है कि उनकी शिक्षाओं को सुनने के बाद प्रत्येक तपस्वी प्रबुद्ध हो गया था। इस मंदिर में जाने के लिए आपको 424 ऊंची पत्थर की सीढ़ियों की कठिन चढ़ाई से गुजरना पड़ता है।

प्रवेश शुल्क
मंदिर में दर्शन के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक दर्शन के लिए जा सकते हैं।
पुरातत्व संग्रहालय बोधगया (Archaeological Society of India Museum)
भारतीय पुरातत्व सोसायटी संग्रहालय की स्थापना ब्राह्मणवादी और बौद्ध विश्वास से संबंधित प्राचीन लेखों को प्रदर्शित करने के लिए की गई थी, जो ज्यादातर पाल काल से संबंधित थे। महाबोधि मंदिर परिसर के अंदर स्थित संग्रहालय की दीर्घाओं, प्रांगण और बरामदे में शानदार पत्थर और कांस्य की मूर्तियों हैं। साथ ही पैनलों, छड़ों, पट्टिकाओं, स्तंभों, रेलिंगों आदि की प्रदर्शनी काफी आकर्षक है।

प्रवेश शुल्क
इस म्यूजियम में प्रवेश के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 10 रुपये देना होता है। आप यहां बच्चों के साथ सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 5 बजे तक जा सकते हैं।
डुंगेश्वरी हिल्स (Dungeshwari Hills)
डुंगेश्वरी हिल्स वह जगह है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान की तलाश में बोधगया की यात्रा से पहले कुछ साल बिताए थे। पहाड़ियां ज्यादातर उन गुफाओं के लिए जानी जाती हैं जिनका उपयोग गौतम बुद्ध ने आश्रय और ध्यान के लिए किया था। यहां सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के बीच स्तूप/बौद्ध मंदिर आज भी मौजूद हैं। डुंगेश्वरी पहाड़ियों के कुछ जगह काफी खूबसूरत ट्रैकिंग स्थल है और बड़ी संख्या में लोगों को यह आकर्षित करता है।

प्रवेश शुल्क
डुंगेश्वरी हिल्स पर जाने के लिए आपको कई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां कभी भी जा सकते हैं। लेकिन सुर्यास्त से पहले और सूर्योदय के बाद जाना ही सही है।
प्रेतशिला मंदिर (Pretshila Temple)
प्रेतशिला गया शहर से लगभग 8 किमी उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। यह हिंदूओं का एक पवित्र स्थान हैं, जहां वे पिंड दान (दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए एक धार्मिक अनुष्ठान) करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और लोगों का मानना है कि इस स्थान पर पिंडदान करने के बाद आत्मा को मोक्ष मिलता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां की पड़ाही पर मृत्यु के देवता भगवान यम को समर्पित एक मंदिर है। मंदिर का निर्माण शुरू में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था लेकिन इसका कई बार जीर्णोद्धार किया गया। आप मंदिर के पास रामकुंड नामक एक तालाब देख सकते हैं, ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने एक बार इसमें स्नान किया था।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप किसी भी समय यहां जा सकते हैं।
वाट थाई मॉनेस्ट्री बोधगया (Thai Monastery)
यह मॉनेस्ट्री सोने की उत्कृष्ट टाइलों से ढकी अपनी घुमावदार छत के लिए प्रसिद्ध, थाई मठ में बुद्ध की एक कांस्य प्रतिमा और बगीचे में हाल ही में बनाई गई 25 मीटर ऊंची एक और प्रतिमा है। बौद्ध धर्म का पालन करने वाले लोगों के लिए यह काफी प्रसिद्ध और आकर्षक क्षेत्र है।

प्रवेश शुल्क
यहां जाने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक जा सकते हैं।
वियतनामी मंदिर (Vietnamese Temple)
वियतनामी मंदिर को गया सा सबसे नवीनतम मंदिर माना जाता है। इसका निर्माण हाल ही में किया गया है। इस मंदिर में बुद्ध की एक शांत दिखने वाली मूर्ति है, जो एक शांत आभा का अनुभव करती है और मुस्कुराती हुई प्रतीत होती है।

प्रवेश शुल्क
यहां प्रवेश के लिए आपको किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 7 बजे से शाम के 6 बजे तक घूम सकते हैं।
कुंदन बाजार (Kundan Bazaar)
गया का कुंदन बाजार पर्यटकों के बीच काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यह बाज़ार उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान है, जो घर अपने घर के लिए स्मृति चिन्ह, किताबें और क्षेत्र के अन्य हस्तशिल्प की तलाश में हैं।

प्रवेश शुल्क
यहां आपको कई प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप यहां किसी भी समय जा सकते हैं। यह देर रात खुला रहता है।
जामा मस्जिद, बोध गया (Jama Masjid)
गया में स्थित जामा मस्जिद बिहार की सबसे बड़ी मस्जिद है और लगभग 200 साल पुरानी है। इसे मुजफ्फरपुर के शाही परिवार ने बनवाया था। यह दरगाह अपने त्योहार शबीना के लिए प्रसिद्ध है, इस दौरान रमजान की 27वीं रात को नमाज़ अदा की जाती है।

प्रवेश शुल्क
मस्जिद में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है। आप सुबह 4.30 से शाम के 7.30 तक प्रवेश कर सकते हैं।
सुजाथा मंदिर (Sujatha Temple)
सुजाता मंदिर सुजाता नाम की एक आदिवासी महिला को समर्पित है, जिसने गौतम बुद्ध को हलवा खिलाया था। मंदिर को धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सुजाता द्वारा दिए गए प्रसाद ने ही भगवान बुद्ध की जान बचाई थी।

प्रवेश शुल्क
इस मंदिर में प्रवेश के लिए आपको कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह 7 बजे से शाम के 6 बजे तक प्रवेश के लिए जा सकते हैं।
अजापाला निग्रोधा ट्री (Ajapala Nigrodha Tree)
यह वृक्ष अब अस्तित्व में नहीं है, एक समय यह विरासत वृक्ष माना जाने वाला था। अजापाला निग्रोधा ट्री जहां स्थित था, वह पवित्र स्थान है। ऐसा कहा जाता है कि यहां गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपने ध्यान का पांचवां सप्ताह पूरा किया था और स्थानीय लोगों के धर्म, मानवता और समानता के बारे में प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक प्रवचन आयोजित किया था।

प्रवेश शुल्क
यहां किसी तरह का कोई प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। आप सुबह से रात तक किसी भी वक्त यहां जा सकते हैं।
गया घूमने का सबसे सही समय कौन सा है?
गया में जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का माना जाता है। आप दिसंबर से मार्च माह के बीच यहां जा सकते हैं। इस सीजन में घूमने के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी का अनुभव नहीं होगा।
गया कैसे पहुंचे?
रेलवे मार्ग : आप अपने शहर से गया जंक्शन के लिए टिकट ले सकते हैं। यहां से आप प्राइवेट गाड़ी या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की मदद से गया घूम सकते हैं।
हवाई मार्ग : गया पहुंचने के लिए हवाई मार्ग का भी प्रयोग किया जा सकता है। गया में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। आप अपने शहर या फिर अपने आसपास के शहर के हवाई अड्डे से गया हवाई अड्डा के लिए एयर टिकट लें और फिर यहां से गाड़ी की मदद से गया घूमें।
सड़क मार्ग : सड़क मार्ग से गया पहुंचना काफी आसान है। अगर आपके यहां से बस की सुविधा है, तो आप बस ले सकते हैं। वहीं, प्राइवेट कैब बुक करके भी गया पहुंच सकते हैं।
गया में ठहरने के लिए होटल
होटल आकाश पैलेस गया
पता : रेलवे स्टेशन, लक्ष्मण सहाय लेन, गया के पास, गोल बगीचा, गया, बिहार
होटल गया इंटरनेशनल
पता : लक्ष्मण सहाय लेन, स्टेशन रोड, गया, बिहार 823002
होटल गया रीजेंसी
पता : स्टेशन रोड, गुरुद्वारा मोड़, गया, बिहार 823001
FAQ | क्या आप जानते हैं
गया घूमने के लिए आपको 10 हजार से 15 हजार रुपये की जरूरत होती है। हालांकि, यह बजट हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है। बजट आपके जाने का मार्ग और होटल की बुकिंग पर निर्भर करता है।
गया घूमने के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर से मार्च के बीच का महीना माना जाता है।
गया में आप किसी अच्छे होटल में रुक सकते हैं। हालांकि, होटल में रुकने से पहले यहां की रेटिंग चेक करें। साथ ही आपको रुकने के लिए कई आश्रम भी मिल जाएंगे।
रात में घूमने के लिए महाबोधि मंदिर, तिब्बतियन रिफ्यूज मार्केट जैसे स्थानों पर घूम सकते हैं।
रात में आप मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। इसके अलावा यहां शॉपिंग भी रात के समय किया जा सकता है।
