Ganesh Chaturthi 2023: किसी भी कार्य का आरम्भ गणेश जी का नाम लेकर किया जाता है। शादी-विवाह हो या भूमि पूजन हो या फिर बच्चे का नामकरण भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है। विवाह में सबसे पहले भगवान गणेश को निमंत्रण दिया जाता है। हर कार्य को मंगल करने के लिए सर्व प्रथम जिसका नाम लिया जाता है वो विघ्नहर्ता गणेश बहुत बुद्धिमान माने जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान गणेश को क्यों कहते हैं बुद्धि का देवता? इसके पीछे की कई पौराणिक कहानियां मौजूद है लेकिन ये कहानी सबसे प्रचलित है। तो चलिए जानते हैं क्या है ये कहानी।
इसलिए कहते हैं भगवान गणेश को बुद्धि का देवता

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शिव जी ने प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता के अनुसार जो भी पृथ्वी का चक्कर लगाकर सबसे पहले आएगा वही प्रतियोगिता को जीतेगा। बस ये सुनते ही सभी देवता अपनी तैयारी में लग गए। सभी देवी देवता अपने वाहन के साथ चल पड़े। वहीं भगवान गणेश ने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया। उन्होंने पृथ्वी की बजाए अपने माता पिता के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू कर दिया। जब गणेश से ऐसा करने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा ‘चरण मातु पितु के धर लीन्हें, तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें’ यानी कि उनके माता-पिता ही उनका संसार हैं। उनका ये जवाब सुनकर शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने गणेश जी को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया। उन्हें इसी बुद्धिबल के कारण बुद्धि का देवता कहा जाता है।
भगवान गणेश का शक्तिशाली मंत्र
हम जिस भी ईश्वर को मानते हैं उनसे जुड़े मन्त्र , चालीसा का जाप करने से हमारे मन को शांति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शांति और शक्ति प्राप्त होती है। इसी तरह भक्त अपने-अपने आराध्य को प्रसन्न करने और आशीर्वाद पाने के लिए मन्त्रों का जाप करता है। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं ऐसे में हर भक्त चाहेगा कि उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसे अच्छी बुद्धि का आशीर्वाद दें। ‘वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा’, ये मंत्र श्री गणेश जी का वो मंत्र है जो हर कार्य से पहले पढ़ा जाता है। कहा जाता है इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि का विकास होता है। ये मंत्र अत्यंत शक्तिशाली मंत्र माना जाता है।