नवरात्रि का त्योहार सभी त्योहार में काफी खास होता है। नवरात्रि में श्रद्धालु मां की भक्ति में डूबे नजर आते हैं और नाच-गाकर जश्न मनाते हैं। इसे पूरे भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता और मनाया जाता है। नौ दुर्गा के इस पर्व को खास बनाता है गरबा और डांडिया जिसमें शक्ति, भक्ति और जश्न का एक अनोखा संगम देखने को मिलता है।

 

बंगाल में धुनुची नृत्य होता है खास

 

दक्षिण भारत में नवरात्रि के पहले दिन गरबा-मिट्टी के घड़ों को फूल-पत्तियों और रंगीन कपड़ों, सितारों से सजाया जाता है और उनकी स्थापना की जाती है। इसमें चार ज्योतियां प्रज्वलित की जाती हैं और महिलाएं उसके चारों ओर ताली बजाती व फेरे लगाती हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा मुख्य त्योहारों में से एक है। यहां दुर्गा पूजा के दौरान धुनुची नृत्य किया जाता है।धुनुची एक प्रकार का मिट्टी से बना बर्तन होता है, जिसमें नारियल के छिलके जलाकर मां की आरती की जाती है। श्रद्धालु दोनों हाथों में धुनुची लेकर नाचते हैं।

 

गुजरात में रहती है गरबा-डांडिया की धूम

 

वहीं अगर बात गुजरात की करें तो कई जगहों पर मां दुर्गा की आरती से पहले गरबा नृत्य किया जाता है। आरती के बाद लोग डांडिया नृत्य करते हैं। बदलते समय के साथ गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्य में बदलाव भी आए और फ्यूजन के साथ ही इसने बॉलिवुड की राह भी पकड़ी है। बॉलिवुड पहुंचते ही यह और रंगीन और चर्चित हो गया। गरबा का मूल उद्गम गुजरात से हुआ है। गरबा नृत्य में ताली व चुटकी का प्रयोग किया जाता है वहीं डांडिया में खंजरी, डंडा,मंजीरा से ताल दिया जाता है।

गरबा-डांडिया का उद्गम

 

गरबा और डांडिया गुजरात के प्रसिद्ध लोकनृत्य हैं। डांडिया रास की उत्पत्ति मां दुर्गा और महिषासुर, पराक्रमी राक्षस राजा के बीच एक नकली लड़ाई के मंचन से शुरू हुई। इसीलिए इसका उपनाम तलवार नृत्य भी है। इस नृत्य के दौरान युवतियां संगीत की धुन पर नृत्य के रूप में दुर्गा और राक्षस की लड़ाई पेश करती हैं। इस नृत्य में छड़ें दुर्गा की तलवार का प्रतिनिधित्व करती हैं। वहीं गरबा दुर्गा मां के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में आरती से पहले किया जाता है। गरबा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रों की पहली रात्रि को गरबा की स्थापना होती है। फिर उसमें चार ज्योतियां प्रज्वलित कर उसके चारों ओर ताली बजाती हुए फेरे लगाए जाते हैं।

 

मॉडर्न हुआ गरबा और डांडिया

 

आधुनिक गरबा और डांडिया रास से प्रभावित नृत्य है। नवरात्रि में पुरुष और महिलाएं रंगीन वेश-भूषा पहने हुए गरबा और डांडिया करते हैं। युवतियां इस दौरान पारंपरिक चनिया-चोली और आभूषण पहनती हैं और युवक गुजराती केडिया पहनकर सिर पर पगड़ी बांधते हैं। बदलते समय के साथ गरबा और डांडिया के साथ के स्टेप्स में भी बदलाव आया है। अब श्रद्धालु फिल्मी गीतों पर झूमते-नाचते नजर आते हैं। यह नृत्य पूरी रात चलता है और युवा, बच्चे बुजुर्ग सभी नवरात्रि की भक्ति में लीन नजर आते हैं। 

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