शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवें दिन दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि के अवसर पर पूरे देश में विभिन्न जगहों पर मेलों का आयोजन किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसी भी जगहें हैं, जहां नवरात्रि के दौरान भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है। आइए आपको बताते हैं ऐसी कुछ जगहें जहां आपको नवरात्रि के दौरान ज़रूर जाना चाहिए।
कटरा
वैसे तो माता वैष्णो का द्वार कटरा में ही सजता है इसलिए यहां पूरे साल मेले जैसा ही माहौल रहता है लेकिन यहां नवरात्रि में कुछ अलग ही रौनक होती है। नवरात्रि के दौरान कटरा में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में भक्तगणों के लिए कई विशिष्ट आकर्षण उपलब्ध होते हैं। बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा भजन संध्या का आयोजन होता है। इसके अलावा नवरात्रि के दौरान लगने वाली यहां की फुटकर दुकानें लोगों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र होती हैं।

कोलकाता
नवरात्रि के दौरान पूरे देश में अलग ही धूम होती है लेकिन पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है जिसका अलग ही महत्त्व होता है। यहां नवरात्रि बहुत ही विशेष तरीके से मनाई जाती है। यहां कई तरह के आयोजन होते हैं। पूरे कोलकाता शहर में कई जगहों पर मां दुर्गा के भव्य पंडाल तैयार किए जाते हैं। सभी पंडालों की अपना एक अलग थीम होती है। नवरात्रि के अंतिम तीन दिन सप्तमी, अष्टमी और नवमी को पूरे कोलकाता में जश्न का मौहाल होता है और लोग इसकी मस्ती में पूरी तरह से सराबोर हो जाते हैं।

वाराणसी
वाराणसी के गंगा घाट, गंगा आरती और बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए नवरात्रि के दौरान देश -विदेश से भारी मात्रा में पर्यटक आते हैं। लेकिन वाराणसी की रामलीला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। अगर आप भी नवरात्रि के दौरान वाराणसी जाने का प्लान बना रहे हैं तो इस रामलीला का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। यहां रामलीला लगभग 45 दिनों तक चलती है और इस रामलीला में हर एक सीन के लिए अलग स्थान को चुना जाता है।

गुजरात
नवरात्र के दौरान जब पूरा देश जश्न में डूब जाता है तब गुजरात में डांडिया खेलकर नवरात्रि के पर्व को कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है। डांडिया गुजरात का पारंपारिक नृत्य है। नवरात्रों में शाम को डांडिया नृत्य के जरिए मां दुर्गा की पूजा की जाती है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में ही जाना जाता है। यह पूरी रात चलता है। डांडिया का अनुभव बड़ा ही असाधारण होता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद।
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