cisf scam
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Summary: Fake CISF Officer Scam: यूनिफॉर्म में ठग, भरोसे का फायदा उठाकर लूट रहे लोगों के पैसे

ऑनलाइन रेंटल और सेल प्लेटफॉर्म्स पर ठग अब CISF अफसर बनकर लोगों से ठगी कर रहे हैं। नकली आईडी और यूनिफॉर्म दिखाकर वे एडवांस पेमेंट या खरीद-फरोख्त के नाम पर बैंक अकाउंट साफ कर देते हैं।

दिल्ली की सीमा वर्मा (काल्पनिक नाम) को एक दिन ऑनलाइन रेंटल प्लेटफॉर्म पर उनके फ्लैट के लिए एक संदेश मिला सामने वाला खुद को CISF सब-इंस्पेक्टर बता रहा था। उसने अपना पहचान पत्र, आधार और पैन कार्ड भेजे। सब कुछ असली लग रहा था। कुछ मिनटों बाद उसने कहा, “मैडम, एडवांस किराया ट्रांसफर कर रहा हूं, बैंक डिटेल भेजिए।” सीमा ने जैसे ही बैंक डिटेल दी, कुछ ही सेकंड में खाते से 45,000 रुपये गायब हो गए। कॉल काटी तो फोन हमेशा के लिए स्विच ऑफ।

यह कोई एक मामला नहीं, बल्कि पूरे देश में फैल चुका नया ऑनलाइन फ्रॉड मॉडल है “फेक CISF अफसर स्कैम”।

डिजिटल अरेस्ट और इन्वेस्टमेंट स्कैम के बाद अब साइबर ठगों ने नया तरीका ढूंढ़ निकाला है। वे CISF (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स) के जवान या अफसर बनकर लोगों को निशाना बना रहे हैं। इस ठगी का सबसे बड़ा हथियार फर्जी CISF आईडी कार्ड, जिसमें ठग की फोटो वर्दी में लगी होती है।

CISF जैसी प्रतिष्ठित सुरक्षा एजेंसी का नाम सुनते ही लोगों का भरोसा बढ़ जाता है। ठग इसी साइकोलॉजी का फायदा उठाते हैं और ‘विश्वसनीय सरकारी कर्मचारी’ का भ्रम पैदा करके पैसों पर हाथ साफ कर देते हैं।

किराये का घर लेकर बैंक खाते उड़ाना

ठग OLX, नोब्रोकर, मैजिकब्रिक्स जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से मकान मालिकों की डिटेल्स निकालते हैं। खुद को CISF कर्मी बताकर कहते हैं कि उनका ट्रांसफर हुआ है और उन्हें तुरंत घर चाहिए। असली दिखने वाले फेक आईडी कार्ड, आधार और पैन शेयर करते हैं। फिर कहते हैं कि “एडवांस पेमेंट ट्रांसफर कर रहा हूं, बैंक डिटेल भेजिए।” जैसे ही जानकारी मिलती है, बैंक अकाउंट से पैसे गायब हो जाते हैं।

 “ट्रांसफर हो गया, सामान और गाड़ी बेचनी है” वाला जाल

OLX और फेसबुक मार्केटप्लेस पर ठग CISF अधिकारी बनकर विज्ञापन डालते हैं। वे कहते हैं कि ट्रांसफर हो गया है, इसलिए सस्ते में फर्नीचर, टीवी या गाड़ी बेचनी है। खरीदार को तुरंत पैसे भेजने का दबाव बनाया जाता है, यह कहकर कि ट्रक आज ही रवाना हो रहा है। जैसे ही पेमेंट होता है, ठग गायब हो जाते हैं न गाड़ी आती है, न सामान।

CISF ने जनवरी में ही लोगों को चेताया था कि फर्जी आईडी और नामों का इस्तेमाल करके लोग आम नागरिकों को ठग रहे हैं।

एडवाइजरी में कहा गया था, “ऑनलाइन बेचने या खरीदने के दौरान सावधानी बरतें। यदि कोई खुद को CISF कर्मी बताकर पेमेंट मांगता है, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें।”

सरकारी यूनिफॉर्म या ID देखकर तुरंत भरोसा न करें

कई ठग नकली यूनिफॉर्म और फर्जी ID कार्ड बनवाकर खुद को सरकारी अधिकारी बताते हैं। इसलिए सिर्फ वर्दी या पहचान पत्र देखकर निर्णय न लें, उसकी पुष्टि जरूर करें।

किसी भी ऑनलाइन लेन-देन से पहले व्यक्ति से आमने-सामने मिलें

फर्जीवाड़े में ज्यादातर धोखा फोन या चैट के ज़रिए होता है। अगर कोई सच में खरीदार या किरायेदार है, तो वह मिलने से नहीं बचेगा  इस तरह पहचान आसान होती है।

फोटो या पहचान पत्र की सच्चाई ऑनलाइन वेरिफाई करें

सरकारी ID कार्ड, PAN या आधार की जानकारी को ऑनलाइन जांचें या संबंधित संस्था से सत्यापन करें। असली दस्तावेज़ों में QR कोड और वैध नंबर होते हैं, जिन्हें मिलान किया जा सकता है।

संदिग्ध लिंक या QR कोड पर क्लिक न करें

ऐसे लिंक या कोड आपके बैंक अकाउंट की जानकारी चुरा सकते हैं या आपके मोबाइल में हैकिंग ऐप डाउनलोड करवा सकते हैं। किसी भी अनजान लिंक को खोलने से पहले सोचें। सिर्फ एक क्लिक आपको ठगों के जाल में फंसा सकता है।

सोनल शर्मा एक अनुभवी कंटेंट राइटर और पत्रकार हैं, जिन्हें डिजिटल मीडिया, प्रिंट और पीआर में 20 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने दैनिक भास्कर, पत्रिका, नईदुनिया-जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया और द हितवाद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया...