Summary: "ब्रिटेन में पानी बचाने के लिए सरकार की अनोखी अपील: पुराने ईमेल और डेटा करें डिलीट
ब्रिटेन में सूखे और बढ़ते पानी संकट के बीच सरकार ने लोगों से फोटो, फाइलें और ईमेल डिलीट करने की अपील की है। दरअसल, डिजिटल डेटा स्टोर करने वाले डाटा सेंटर को ठंडा रखने में भारी मात्रा में पानी खर्च होता है।
Deleting Files can Save Water: ब्रिटेन में इस समय सूखे की स्थिति बनी हुई है और सरकार लगातार लोगों से पानी बचाने की अपील कर रही है। जगह-जगह पानी बचाने को लेकर मुहिम चलाई जा रही है और लोगों को समझाइश दी जा रही है। इसी बीच सरकार ने एक ऐसी अपील कर दी है जिसने लोगों को हैरान कर दिया है।दरअसल ब्रिटेन में सरकार ने पानी बचाने के लिए लोगों को अपने फोटो, फाइल्स और ईमेल डिलीट करने को कहा है।
पानी बचाने की स्थिति के बीच की गई इस अपील ने लोगों को हैरान कर दिया है। यह सवाल किया जा रहे हैं कि आखिरकार डाटा डिलीट करने से पानी बचाने का क्या संबंध है। इस पर जवाब देते हुए ब्रिटेन सरकार ने यह बताया है कि इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं को चलाने वाले जो डाटा सेंटर होते हैं। इनमें पानी की खपत को कम करना जरूरी है। यह खपत तब कम होगी जब लोग अपने मोबाइल में स्टोर किए गए ईमेल और पुराने डाटा को हटाएंगे।
ब्रिटेन में सूखे की स्थिति

ब्रिटेन के पांच इलाके इस समय सूखे की मार झेल रहे हैं। 6 इलाके के ऐसे हैं जहां लंबे समय से बहुत कम बारिश हो रही है। अगस्त में यहां तगड़ी गर्मी की शुरुआत हो जाएगी, जुलाई तक का जो समय रहा है वह 1976 के बाद अब तक का सबसे सूखा टाइम है। पहले से पड़ रहा सूखा और अब आने वाली रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पानी के संकट को बढ़ाती हुई दिखाई दे रही है। इसी को लेकर एनवायरमेंट एजेंसी का कहना है कि छोटी-छोटी आदतों को बदलकर पानी बचाया जा सकता है। इसमें नल बंद करने से लेकर पुराने ईमेल हटाना तक शामिल है।
ईमेल और डाटा से कैसे बचेगा पानी

अगर आप भी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिरकार पुराने फोटो, ईमेल और डाटा हटाने से पानी कैसे बचेगा तो हम आपको आसान भाषा में बता देते हैं। हमारे जो भी ईमेल फोटो या डिजिटल डाटा होता है वह डाटा सेंटर स्टोर करते हैं। इतना सारा डाटा स्टोर किया जाता है तो वहां के सर्वर को ठंडा रखना पड़ता है। इसके लिए ढेर सारे पानी का इस्तेमाल किया जाता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग और साइंस विभाग की माने तो एक मेगावाट का छोटा डाटा सेंटर 1000 घरों को बिजली देने जितना पानी खर्च करता है। इसमें लगभग 2.6 करोड़ लीटर पानी हर साल इस्तेमाल होता है। सर्वर को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किए गए पानी के अलावा डाटा सेंटर को चलाने के लिए जिस बिजली का उपयोग होता है, उसमें भी पानी खर्च होता है।
टेक कंपनीज़ की सराहनीय पहल
पानी की कमी को देखते हुए टेक कंपनियों ने इसे बचाने के लिए नए नए तरीके खोजना करना शुरू कर दिए है। माइक्रोसॉफ्ट ने भी सराहनीय कदम उठाते हुए डाटा सेंटर को पानी के नीचे रखने और लिक्विड इमर्शन कूलिंग जैसे नए तरीके अपनाए हैं। गूगल जॉर्जिया के केंद्र में रीसायकल पानी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। मेटा ने स्टेटपॉइंट लिक्विड कूलिंग सिस्टम तैयार किया है, जिससे पानी का इस्तेमाल कम होता है। टोरंटो की इक्विनिक्स कंपनी ओंटारियो झील के ठंडे पानी से अपने सर्वर को ठंडा करती है।
