Summary : इस पेट्रोल को 5 साल बाद आना था लेकिन यह जल्दी आ गया
भारत में ई20 पेट्रोल का तेजी से रोलआउट तेल आयात घटाने और प्रदूषण कम करने की योजना का हिस्सा है, लेकिन पुराने वाहनों के मालिक इसके नुकसान और माइलेज गिरने को लेकर चिंतित हैं।
E20 Petrol Damage: भारत में ई20 पेट्रोल को अपनाना देश की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत कच्चे तेल के आयात को कम करना और वाहनों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को घटाना है। ई20 पेट्रोल की उपलब्धता तय समय से पहले ही पूरे देश में हो चुकी है, पहले इसका लक्ष्य 2030 रखा गया था। लेकिन इसकी तेजी से शुरुआत और कम एथनॉल वाले ईंधन जैसे ई10 (जो अब तक ज्यादा इस्तेमाल होता था) की कमी ने लोगों में नाराजगी पैदा कर दी है। वाहन मालिकों को डर है कि ई20 उनके उन इंजनों को नुकसान पहुंचा सकता है जो इस ईंधन के लिए बने ही नहीं हैं। जानिए ई20 पेट्रोल क्या है, वाहन मालिक क्यों परेशान हैं और इसके रोलआउट से जुड़ी बाकी बातें।
ई20 पेट्रोल क्या है?
ई20 या एथनॉल 20 का मतलब है ऐसा पेट्रोल जिसमें 20% एथनॉल मिला हो। एथनॉल एक बायोफ्यूल है, जिसे आमतौर पर गन्ने, मक्का या अतिरिक्त अनाज से बनाया जाता है। भारत ने 2003 में ई5 (5% एथनॉल) से शुरुआत की थी, 2022 तक ई10 (10% एथनॉल) तक पहुंचा, और अब ई20 का कदम लक्ष्य से 5 साल पहले ही उठा लिया है।
भारत इतनी जल्दी ई20 पर क्यों जा रहा है?
- तेल आयात में कमी: भारत हर साल 130 अरब डॉलर (1.1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा) का कच्चा तेल आयात करता है।
- ऊर्जा सुरक्षा: विदेश पर निर्भरता और भू-राजनीतिक तनाव (जैसे अमेरिका के साथ रूस से तेल खरीदने को लेकर विवाद) हमें असुरक्षित बनाते हैं।
- पर्यावरण लाभ: एथनॉल, पेट्रोल से ज्यादा साफ जलता है और कम प्रदूषण करता है।
- किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा: एथनॉल उत्पादन से लाखों किसानों को आमदनी मिलती है।
वाहन मालिक नाराज क्यों हैं?
- ई20 को अचानक पूरे देश में लागू कर दिया गया और ई10 की कमी हो गई। कई लोग सोशल मीडिया पर 15-20% माइलेज गिरने की शिकायत कर रहे हैं, जबकि एआरएआई के टेस्ट में सिर्फ 1-6% की गिरावट और कोई बड़ा नुकसान नहीं मिला। ऑटोमोबाइल कंपनियां इंजन के नुकसान की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं।
क्या ई20 मेरी गाड़ी को नुकसान पहुंचाएगा?

अगर आपकी कार या बाइक ई20-प्रमाणित नहीं है, तो लंबे समय में कुछ हिस्सों पर असर पड़ सकता है। यह उतना खतरनाक नहीं है जितना डीजल इंजन में पेट्रोल भर देना, लेकिन समय के साथ नुकसान हो सकते हैं…
- प्लास्टिक और रबर का नुकसान: एथनॉल इन हिस्सों को धीरे-धीरे खा जाता है, जिससे पाइप, गैसकेट आदि सिकुड़ने, फूलने या टूटने लगते हैं।
- धातु में जंग: एथनॉल नमी सोखता है, जिससे फ्यूल टैंक में जंग लग सकती है। लंबे समय तक गाड़ी खड़ी रहने पर पानी और पेट्रोल अलग हो सकते हैं, जिससे फ्यूल सिस्टम में दिक्कत आती है।
- ईंधन का घुलनशील स्वभाव: एथनॉल जमा हुई गंदगी को घोल सकता है, जिससे फिल्टर और इंजेक्टर जाम हो सकते हैं।
क्या ई20 इस्तेमाल करने से वारंटी खत्म हो जाएगी?
- मैनुअल में लिखे मानक से ज्यादा एथनॉल वाला ईंधन इस्तेमाल करने पर वारंटी खत्म हो सकती है।
- कई कंपनियां यही कह रही हैं, हालांकि कुछ ब्रांड इस मामले में थोड़ी नरमी दिखा सकते हैं, क्योंकि यह बदलाव गाड़ी मालिक की गलती से नहीं हुआ।
- पुराने वाहनों के मालिक ई10 की उपलब्धता की मांग कर रहे हैं।
ऐसे पता करें कि आपकी गाड़ी ई20 लायक है या नहीं?
- 2012 से 2023 के बीच बनी गाड़ियां ई10-प्रमाणित हैं।
- एक अप्रैल 2023 के बाद बनी सभी गाड़ियां ई20-प्रमाणित होना अनिवार्य है।
- कई निर्माता पहले ही धीरे-धीरे अपने मॉडल में ई20 की क्षमता जोड़ने लगे थे, इसलिए मालिक मैनुअल देखकर ही तय करें।
