बच्चों को अंदर से मजबूत बनाना है तो न कहे ऐसी बातें: Things Not to Say to Your Child
बच्चों का मानसिक और भावनात्मक विकास उनके जीवन के सबसे अहम पहलुओं में से एक है। यदि बच्चों को आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती देनी है, तो यह बहुत जरूरी है कि हम उनसे ऐसी बातें न कहें जो उनके आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाती हैं ।
Things Not to Say to Child: बच्चों का मानसिक और भावनात्मक विकास उनके जीवन के सबसे अहम पहलुओं में से एक है। यदि बच्चों को आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती देनी है, तो यह बहुत जरूरी है कि हम उनसे ऐसी बातें न कहें जो उनके आत्म-सम्मान को नुकसान पहुंचाती हैं या जो उन्हें हीनभावना का शिकार बनाती हैं। ऐसी बातें न केवल उनके आत्मविश्वास को तोड़ सकती हैं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकती हैं। आइए जानते हैं कि हमें बच्चों से कौन सी बातें नहीं कहनी चाहिए।
तुमसे कुछ नहीं होगा

यह सबसे हानिकारक बात हो सकती है जो आप बच्चे से कह सकते हैं। इस तरह की बातें बच्चे को यह संदेश देती हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं, जो उनके आत्म-सम्मान को गहरे तौर पर चोट कर सकती हैं। यदि बच्चा किसी कार्य में विफल हो जाता है, तो उसे यह समझाना ज़रूरी है कि विफलता सीखने का एक हिस्सा है और इसमें कोई बुराई नहीं है।
तुलना

बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करना उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचाता है। हर बच्चा अलग है, और अगर आप उनके दोस्त, भाई-बहन या किसी और से उनकी तुलना करते हैं, तो यह उन्हें असुरक्षित और खुद को कमतर महसूस करवा सकता है। बच्चों को यह सिखाना ज़रूरी है कि उनकी अहमियत दूसरों से तुलना करने में नहीं, बल्कि उनके खुद के प्रयासों और क्षमताओं में है।
हर बात में दोष देना
हर बात में दोष देने से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है और वे यह महसूस करने लगते हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं। जब बच्चों को लगातार नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो यह उनका मनोबल तोड़ सकता है और उनकी मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल सकता है। ऐसे में, बच्चों को उनके प्रयासों और गलतियों से सीखने का अवसर देना जरूरी है। अगर हम उन्हें यह सिखाते हैं कि गलतियां करना एक आम बात है और उससे सुधार कर आगे बढ़ा जा सकता है, तो वे अपने आत्मविश्वास को बनाए रखते हैं। बच्चे जब अपनी गलतियों को समझते हैं और उन्हें सुधारने का मौका मिलता है, तो वे न केवल खुद पर विश्वास करते हैं, बल्कि अपने प्रयासों में भी सुधार करते हैं।
तुमने ये क्यों किया
जब बच्चा कोई गलती करता है, तो उसकी आलोचना करना और बार-बार उसकी गलती के बारे में बात करना, उसे मानसिक रूप से परेशान कर सकता है। अगर आप उसे बार-बार यह याद दिलाएंगे कि उसने क्या गलत किया, तो वह उस गलती को लेकर तनाव में आ सकता है। इसके बजाय, हमें बच्चों को समझाना चाहिए कि हर गलती से सीखना ज़रूरी है।
परफेक्शन का दबाव
यह बात बच्चों पर मानसिक दबाव डालती है और उन्हें यह महसूस कराती है कि उन्हें हमेशा हर काम में परफेक्ट होना चाहिए, जो कि असंभव है। इससे बच्चे में न केवल डर पैदा होता है, बल्कि तनाव भी बढ़ सकता है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि सफलता का मतलब परफेक्ट होना नहीं है, बल्कि निरंतर प्रयास और सुधार करना है।
