भारत त्यौहारों का देश है, जहां हर काल और मौसम का उत्सव त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। जैसे कि माघ माह की कृष्ण पंचमी को बसन्त के आगमन का उत्सव मनाया जाता है। ज्योतिष और हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में परिवर्तन करते हैं, ऐसे में ये त्यौहार मकर संक्रांति कहलाता है। गौरतलब है कि मकर सक्रांति देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग सांस्कृतिक रूपों में मनाई जाती है। जी हां, आपको बता दें कि मकर संक्राति है तो एक ही त्यौहार, सिर्फ नाम और इसके मनाने के तरीके अलग-अलग संस्कृति के अनुसार बदल जाते हैं। जैसे तमिलनाडु में पोंगल तो असम में ये बिहू के रूप में मनाई जाती है। तो वहीं उत्तरप्रदेश और बिहार मे जहां ये खिचड़ी के रूप में जाना जाता है, जबकि गुजरात में उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। चलिए अलग-अलग राज्यो के अनुसार मकरसंक्रांति के अलग-अलग स्वरूपों से आपका परिचय करवाते हैं।

पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी

वहीं पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति से एक दिन पहले नई फसल के स्वागत में लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें रात के समय लोग आग जला उसकी परिक्रमा करते हुए नाचते-गाते हैं। साथ ही इस आग में मूंगफली, मक्के के दाने और रेवड़ी की आहुति करते हैं और उसे प्रसाद के रूप में बांटते हैं।

गुजरात में उत्तरायण

वहीं गुजरात में मकर संक्रांति का त्यौहार उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है, जोकि गुजराती लोगों के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। इस दिन अच्छे खान-पान के साथ ही यहां पतंग उड़ाने की भी प्रथा है। मकर संक्रांति के दिन हर घरों की छतों पर आपको लोग पतंग की कलाबाजियां लड़ाते दिख जाएंगे। इसके आलावा इस दिन सार्वजनिक तौर पर भी पंतगोत्सव का आयेाजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से लोग हिस्सा और ऐसे आयोजन का आनंद लेने लोग आते हैं।

असम में बिहू

असम में मकर संक्रांति बिहू के रूप मे मनाई जाती है, जहां लोग इस त्योहार के साथ बसंत के आगमन की खुशियां मनाते हैं। इस दिन लोग गाय के उपले और लकड़िया जला कर उसमें अपने पुराने कपड़े जलाते हैं और इसके बाद स्नान करके अपने पशुओं, खेती और धरती मां की पूजा करते हैं। एक सप्ताह तक चलने वाले इस त्यौहार में लोग समूह में पाम्परिक नृत्य करते हैं।

तमिलनाडु में पोंगल

वहीं तमिलनाडु में मकर संक्रांति चार दिवसीयी त्यौहार पोंगल के रूप में मनाई जाती है… जहां पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है। तमिलनाडु में इस त्योहार को मनाने के लिए सबसे स्नान ध्यान करके घर में खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है और इसी को पोंगल कहा जाता है। इसके बाद सूर्य देव की पूजा होती है और फिर उसी खीर को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

उत्तर प्रदेश और बिहार में खिचड़ी का त्योहार

उत्तरप्रदेश और बिहार मे मकर संक्रांति, खिचड़ी के रूप में मनाई जाती है, जिसमें दिन स्नान और दान-पुण्य का खास महत्व माना जाता है। प्रयागराज में तो इसी दिन से माघ मेले की शुरूआत होती है, जहां पुण्य की कामना लिए संगम में स्नान करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। वहीं इस इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डू और दूसरे पकवान बनाए और चढ़ाएं जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन घरों में और सार्वजनिक रूप से भोग के लिए खिचड़ी पकाई जाती है।

राजस्थान में मकर संक्रांति

राजस्थान में भी मकर संक्राति का त्यौहार अलग तरीके मनाया जाता है, खासतौर पर सुहागन महिलाएं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपनी सास को वस्त्र, आभूषण आदि बायना के रूप में देती हैं और उनका आशीर्वाद लेती हैं।

पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति

पश्चिम बंगाल में भी मकर संक्रांति काफी धूम धाम से मनाई जाती है। दरअसल, ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगा भागीरथी के पीछे-पीछे चलकर बंगाल की खाड़ी में सागर से जा मिली थी। ऐसे में इस दिन यहां संगम में डुबकी लगाने और स्नान ध्यान का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं इस दिन यहां पर गंगासागर नाम का मेला लगता है। 

कर्नाटक में मकर संक्रांति

कर्नाटक में मकर संक्रांति फसल के त्यौहार के रूप में मनाई जाती है, यहां लोग इस दिन अपने गाय-बैलों को सजा−धजाकर शोभा यात्रा निकालते है। इसके साथ ही गुजरात की ही तरह यहां भी मकर संक्रांति के दिन पंतगबाजी का आनंद लिया जाता है।

महाराष्ट्र में मकर−संक्रांति

महाराष्ट्र में भी मकर−संक्रांति का त्यौहार काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। खासतौर पर विवाहित महिलाओं के लिए उनका पहली मकर संक्रांति विशेष महत्व रखता है, जब वो कपास, तेल, नमक, गुड़, तिल, रोली आदि चीजें दूसरी सुहागिन महिलाओं को भेज करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धी आती है, साथ ही दूसरों के साथ रिश्तें हमेशा मधुर बने रहते हैं। 

यह भी पढ़ें –आज है गोपाष्टमी है, जानिए क्या है इसका पौराणिक महत्व

धर्म -अध्यात्म सम्बन्धी यह आलेख आपको कैसा लगा ?  अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही  धर्म -अध्यात्म से जुड़े सुझाव व लेख भी हमें ई-मेल करें-editor@grehlakshmi.com