Sawan 2022: हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को पूरी तरह से समर्पित है। सावन के इस पावन महीने के आरंभ होते ही मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। दरअसल, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस पूरे महीने में आने वाले हर सोमवार को विशेष रुद्राभिषेक किया जाता है। शिव भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर दूध चढ़ाते हैं और जलाभिषेक भी करते हैं। साथ ही सावन के इस खास महीने मे दान का भी विशेष महत्व है। भक्तजन इन दिनो में पूरी तरह से भक्ति और आस्था के रंग में डूबे हुए नजर आते हैं और गरीबों को खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुएं दान करते हैं।
पूजा विधि
- सावन के महीने में आने वाले सभी सोमवार का व्रत करने के लिए प्रातः काल में स्नान के पश्चात पूजा के स्थान को पवित्र करके मंत्रों का उच्चारण करें।
- इसके बाद मंदिर जाकर भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करें और मन में व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद भोलेनाथ की पूजा अर्चना के अलावा माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भी अराधना करें।
- व्रत के दौरान सावन कथा का पाठ सुनें। पूजा संपन्न होने के उपरांत प्रसाद को सभी भक्तजनों में बांट दें।
इस सोमवार को बन रहा है अद्भुत संयोग
सावन के इस महीने में आने वाला चौथा सोमवार बेहद खास है। इस दिन महत्वपूर्ण संयोग बनता नजर आ रहा है। 8 अगस्त को आने वाले सावन के चौथे सोमवार के दिन एकादशी भी है। इस खास दिन पर आने वाली एकादशी को पवित्र एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से साधकों को भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा एक साथ प्राप्त होगी। इस महीने को अन्य महीनों की तुलना में बेहद खास माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सृष्टि के संचालन कर्त्ता भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं। इसलिए सावन महीने के देवता भगवान शिव बन जाते हैं और इस पूरे महीने भक्त शिव जी की पूजा करते हैं। सावन की खासियत ये है कि इस पूरे माह के सभी सोमवार को श्रावण सोमवार के नाम से ही पुकारा जाता है। इस महीने में होने वाली भगवान शिव की पूजा-अर्चना को बेहद शुभ माना जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो इस वर्ष सावन का महीना 14 जुलाई 2022 से आरंभ होकर 12 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर संपन्न होगा।
कब से शुरू है सावन 2022?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सावन मास की शुरुआत 14 जुलाई 2022 यानी गुरुवार से हो रही है। 18 जुलाई 2022 को सावन का पहला सोमवार रहेगा। 12 अगस्त 2022 को सावन मास समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी।
सावन सोमवार की सूची
सावन माह का प्रथम व्रत सोमवार : 18 जुलाई 2022
सावन का द्वितीय व्रत सोमवार : 25 जुलाई 2022ए
सावन का तृतीय व्रत सोमवार : 01 अगस्त 2022
सोमवार सावन का चतुर्थ व्रत सोमवार : 08 अगस्त 2022
महादेव की कृपा पाने के उपाय
- इस माह में दान का विशेष महत्व है। इस महीने में विशेष तौर पर पांच तरीकों का दान किया जाता है।
- अन्न का दान करें और किसी भी गरीब या फिर पशु और पक्षी को भोजन अवश्य कराएं।
- दीपदान का भी अपना विशेष महत्व है। इसमें आप नदी के जल में दीप छोड़े या मंदिर में भी दीप प्रज्जवलित करें।
- इस महीने में किसी गरीब यां जरूरतमंद व्यक्ति को दान में वस्त्र अवश्य दें।
- छायादान एक खास किस्म का दान है। इसके तहत एक कटोरी में सरसों के तेल में अपने चेहरे को देखकर उसे शनि भगवान के किसी भी मंदिर में दान में दें।
- किसी भी मंदिर, धार्मिक स्थल या फिर आश्रम में सेवा करके श्रम का दान दें।
सावन के व्रत का महत्व
इस व्रत को ज्यादातर महिलाएं अच्छे पति की चाहत को मन में लिए हुए करती हैं। कथाओं के मुताबिक पार्वती जी ने शिव से विवाह करने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखा था। इस उपवास अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहने की जरूरत है और इस दौरान अधिक से अधिक नेक कार्य करने चाहिए।
श्रावण में भगवान शिव की करें इस प्रकार से पूजा और इन बातों का ध्यान रखें :
- श्रावण के सोमवार को लोगों को सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखने की सलाह दी जाती है। कोई व्यक्ति दूध से शिवलिंग का अभिषेक कर सकता है, उपवास करने वाले भक्तों को दूध नहीं पीना चाहिए।
- सावन के इस पावन महीने में भक्तजन पूरी तरह से भक्ति में लीन नज़र आते हैं। ऐसे में सावन माह के दौरान भक्तों को मास और मदिरा के सेवन से परहेज करना चाहिए।
- भक्तों को इस महीने में बैंगन या बैंगन से तैयार व्यंजनों को खाने से बचना चाहिए क्योंकि पुराणों में इस सब्जी को अशुद्ध माना गया है।
- भगवान शिव की पूजा अराधना के अलावा भक्तों को सोमवार व्रत कथा भी अवश्य सुननी चाहिए।
- सोमवार व्रत के लिए भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठने का विधान है।
- श्रावण मास के दौरान भक्तों को अभिषेक करते समय हल्दी का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।
- भोलेनाथ की पूजा में बेल पत्र, धतूरा, भांग, चंदन, अक्षत या चावल अर्पित करना आवश्यक है।
- इसके अलावा विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से भी अभिषेक किया जाता है। तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।