power of mantras

Mantras Power in Shastra: धर्मग्रंथों में बताया गया है कि भगवान की पूजा, यज्ञ और हवन जैसे प्रत्येक शुभ कार्य की सिद्धि के लिए, देवताओं को प्रसन्न करने के लिए और तंत्र साधना के लिए मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। देवताओं की विशेष की कृपा पाने के लिए पुराणों, ग्रंथों आदि में अनेक मंत्रों का उल्लेख मिलता है। मंत्र से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति के आस पास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इन छोटे छोटे मंत्रों में असीमित शक्तियां होती हैं। आज इस लेख से हम जानेंगे कि मंत्र क्या होते है और मंत्र क्यों बनाए गए तथा इन मंत्रों महत्व क्या है।

शब्दों का समूह है ‘मंत्र’

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पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, “मननात त्रायते यस्मात्तस्मान्मंत्र उदाहृत” जिसका अर्थ है कि जिन शब्दों के चिंतन- मनन और ध्यान से व्यक्ति को संसार के सभी दुखों से मुक्ति, आत्मिक शांति और आनंद मिलता है, वही मंत्र है। एक अन्य श्लोक “मन्यते ज्ञायते आत्मादि येन” का अर्थ है कि शब्दों की ऐसी ध्वनि जिससे आत्मा को परमात्मा का ज्ञान हो वही मंत्र है। मंत्र संस्कृत भाषा के शब्दों का एक व्यवस्थित रूप है जो व्यक्ति के शरीर और मन को संतुलित करते हैं। पौराणिक हिंदू धर्म ग्रंथों के श्लोक और छंद भी शब्दों का समूह ही है। जब छंदों और श्लोकों के समूह को किसी बीज अक्षर की ध्वनि के साथ बोला जाता हैं तो शब्दों का समूह एक मंत्र बन जाता है जो बेहद प्रभावी होता है। जैसे कि ॐ, हीं, क्लीं, आदि बीज अक्षरों की ध्वनि है।

मंत्रों का इतिहास

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मंत्र, शास्त्रों में लिखे शब्दों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि मंत्रों की रचना पौराणिक काल के ऋषि मुनियों ने ध्यान और कठोर तपस्या के बाद अंतर्ज्ञान से की थी। ॐ के बीज अक्षर को सृष्टि की प्रथम ध्वनि कहा जाता है। माना जाता है कि ॐ बीज अक्षर स्वयं में एक मंत्र है। ॐ के साथ ही शास्त्रों के बाकि के छंदों और श्लोकों का उच्चारण किया जाता है। ॐ का अर्थ है मन के विचारों का या आत्मा का चिंतन करना। ॐ को ब्रह्म शब्द कहा जाता है, जिसका अर्थ है ऐसी ध्वनि जो स्वयं ईश्वर है। ॐ की ध्वनि के साथ मंत्रों का उच्चारण करने से मंत्रों की शक्ति बढ़ जाती है और मंत्र अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं। मंत्रों के प्रभाव से व्यक्ति को आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है।

मंत्रों का ज्योतिषी महत्व

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पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि मंत्रों के जाप से सृष्टि में सकारात्मक वातावरण बनता है। इन मंत्रों की ध्वनि की तरंगों से व्यक्ति की आत्मा के साथ साथ व्यक्ति की वाणी और कर्म भी शुद्ध एवं पवित्र हो जाते हैं। जब कोई व्यक्ति ध्यान लगाकर मंत्रों का जाप करता है तब व्यक्ति की आंतरिक शक्तियों में चेतना आती है जो व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा लाती हैं। यह ऊर्जा व्यक्ति को धर्म की राह पर चलने में सहायता प्रदान करती है। मंत्रों के जाप में इतनी शक्ति है कि मंत्रों के प्रभाव के कारण स्वयं भगवान अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं।

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