Jyotirlinga by zodiac
Jyotirlinga by zodiac

Lord Shiva 12 Jyotirlinga: हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। वैसे तो पूरे साल में भगवान शिव की पूजा-आराधना और व्रत के लिए कई विशेष तिथियां होती हैं, लेकिन महाशिवरात्रि को शिव की आराधना के लिए सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस साल 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि का पर्व देशभर में मनाया जाएगा। इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में शिवजी की भव्य बारात निकाली जाती है, घर से लेकर मंदिरों में भगवान शिव के पूजा-पाठ किए जाते हैं। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिवभक्त महादेव के मंदिर जाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं।

महाशिवरात्रि के मौके पर जानते हैं भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में। इन 12 ज्योतिर्लिंगों को लेकर ऐसा कहा है कि जहां-जहां महादेव साक्षात प्रकट हुए वहां उनकी स्थापना हुई। इसलिए पुराणों में सभी ज्योतिर्लिंगों का खास महत्व भी बताया गया है। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों से पौराणिक कथा भी जुड़ी है। जानते हैं देश के किन कोनों में हैं ये 12 ज्योतिर्लिंग और क्या है इनका धार्मिक महत्व।

पहला ज्योतिर्लिंग, सोमनाथ

Lord Shiva 12 Jyotirlinga
Lord Shiva

12 ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ पहला ज्योतिर्लिंग है। यह गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र में चंद्रदेव ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव यहां प्रकट हुए थे। चंद्रदेव का एक नाम सोम है और उनके नाम पर ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा।

दूसरा ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन

आंध्र प्रदेश के कृष्णा नगरी तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शिवजी ज्योति के रूप में देवी पार्वती के साथ विराजित हैं। मानता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है।

तीसरा ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर

मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इसके पास ही शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर भी है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, यहां प्रतिदिन भगवान शिव की भस्म से आरती की जाती है। मान्यता है कि जो भक्त यहां पूजन-दर्शन करते हैं उन्हें अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है।

चौथा ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर

Omkareshwara Temple
Omkareshwara Temple

मध्य प्रदेश के इंदौर से तकरीबन 80 किमी की दूरी पर नर्मदा के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग ओंकार या ऊँ का आकार लिए है, जिस कारण इसका नाम ओंकारेश्वर पड़ा।

पांचवा ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ

Kedarnath Temple
Kedarnath Temple

उत्तराखंड का केदारनाथ चार धामों में एक है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाभारत काल में भगवान शिव ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिए थे।

छठा ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर

महाराष्ट्र के पुणे में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग और मोटेश्वर महादेव के नाम से भी माना जाता है। यह हिन्दुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

सातवां ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ

kashi vishwanath
kashi vishwanath

उत्तराखंड के काशी विश्वनाथ में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है. यहां शिव के साथ पार्वती भी विराजित हैं। ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र में जिसकी मृत्यु होती है, वह मोक्ष को प्राप्त करता है।

आठवां ज्योतिर्लिंग, त्र्यम्बकेश्वर

इसे हिंन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल माना जाता है, जोकि महाराष्ट्र के त्र्यम्बक गांव में गोदावरी नदी के निकट स्थित है। यहां स्थित शिवलिंग में ब्रह्म, विष्णु और शिव की एक साथ पूजा होती है। यहां गौतम ऋषि की तपस्या से शिव जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे।

नौवां ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ

baidyanath jyotirlinga
baidyanath jyotirlinga

झारखंड के देवघर में बाबा वैद्यनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है। यहां आने वाले भक्तों की मुराद भोलेनाथ पूरी करते हैं, इसलिए इसे कामना लिंग भी कहा जाता है।

दसवां ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर

गुजरात के द्वारका में स्थित इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन शिवपुराण में भी मिलता है। शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिवजी का एक नाम नागेशं दारुकावने बताया गया है, क्योंकि शिवजी नागों के भी देवता है।

ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग, रामेश्वरम

Rameswaram
Rameswaram

तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का विशेष धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि जब रामजी रावण वध के बाद लंका लौट रहे थे तो वे दक्षिण भारत में समुद्र किनारे रुके थे और समुद्र तट के रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। रामजी का बनाया शिवलिंग बाद में वज्र के समान हो गया। रामजी द्वारा बनाए जाने के कारण इसका नाम रामेश्वरम पड़ा।

बारहवां ज्योतिर्लिंग, घृष्णेश्वर

यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के वेरुल नामक गांव में स्थित है, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में आखिरी ज्योतिर्लिंग माना जाता है। पुराणों के अनुसार घृष्णेश्वर महादेव के दर्शन करने से दुख दूर होते हैं और हर प्रकार का सुख मिलता है।

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...