क्या आप जानते हैं कि अंगूठी के बहाने श्रीराम ने हनुमान जी को अपने से दूर किया था। यह कथा भगवान श्री राम और हनुमान जी से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि हनुमान जी को यदि जरा सा भी इस बात का एहसास होता कि काल देवता विष्णु लोक से श्री राम को अयोध्या लेने आने वाले हैं, तो वह उनको अयोध्या की सीमा में ही नहीं आने देते। क्योंकि श्री राम और माता सीता की रक्षा की जिम्मेदारी उन्होंने ले रखी थी। 

क्योंकि श्री राम विष्णु जी के अवतार थे, इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी थी। यही वजह थी कि श्री राम ने हनुमान जी को बहाने से मुख्य द्वार से दूर हटाया था और अपनी अंगूठी को महल के फर्श में आ गई दरार में डाल दिया था। उसके फौरन बाद उन्होंने हनुमान जी को आदेश दिया कि अंगूठी निकाल दो। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए हनुमान जी, लघु रूप में आ, दरार के अंदर अंगूठी खोजने के लिए चले गए।

सामान्य दरार नहीं थी

लघु रूप में उस दरार के अंदर प्रवेश करने के बाद हनुमान जी को ज्ञात हुआ कि यह कोई सामान्य दरार नहीं बल्कि एक विशाल सुरंग है। वहां हनुमान जी को राजा वासुकी से मुलाकात हुई।  वह उनको अपने साथ नाग लोक ले गए जहां पर अंगूठियों का एक विशाल पहाड़ था । हनुमान जी आश्चर्य से भर गए तब राजा वासुकी ने कहा कि आप अपनी अंगूठी यहां से ढूंढ सकते हैं। यह सुनते ही हनुमान जी चिंता ग्रस्त हो गए क्योंकि इतने बड़े पहाड़ में वह श्रीराम की अंगूठी किस प्रकार ढूंढते और सोचने लगे यह तो  कूड़े के ढेर से सूई खोजने के समान है।उससे भी ज्यादा आश्चर्य उन्हें तब हुआ जब, उन्होंने जो भी अंगूठी उठाई वह अंगूठी श्री राम की अंगूठी होती। हनुमान जी असमंजस में पड़े कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे। हनुमानजी को इस तरह परेशान देखकर राजा वासुकि मुस्कुराए और उन्हें कुछ समझाने लगे।

पृथ्वी लोक और विष्णु लोक के लिए मिला ज्ञान

राजा वासुकी ने समझाना शुरु किया कि, पृथ्वी लोक में जो आता है उसे जाना भी पड़ता है। उनका इतना कहते ही, हनुमान जी को समझने में देर नहीं लगी कि भगवान श्रीराम पृथ्वीलोक छोड़कर विष्णु लोक जा रहे हैं।  उनका अंगूठी ढूंढ़ने के लिए आना और उसके बाद नाग-लोक पहुंचना, यह सब श्री राम का ही सोची-समझी निती थी। हनुमान जी इस एहसास के होते ही दुख से सरोबार हो गए थे कि उनका इस तरह से दरार के अंदर प्रवेश करना और नाग लोक में पहुंच जाना, उनको उनके कर्तव्य से भटकाने के लिए श्रीराम द्वारा रची गई सारी चाल थी। अब वह जब लौट कर जाएंगे तो श्री राम विष्णु लोक जा चुके होंगे और उनका पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो चुका होगा।

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