एक बार की बात है श्री राम के दरबार में सभी लोग उपस्थित थे। ये लोग थे देव ऋषि नारद, गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र। सिर्फ ये ही नहीं वहां बजरंग बली हनुमान भी थे। चर्चा का विषय था श्री राम का अस्तित्व। हनुमान जी सभी की बातें सुन रहे थे। लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रहे थे।
इतने में ही नारद जी ने अपने विचार रखे कि भगवान नाम का नाम तो उनसे भी बड़ा है और वह अपनी बात को साबित कर दिखाएंगे। उन्होंने दावा भी किया। इस बात के बाद सभा खत्म हो गई और सभी विद्वान गण सभा से जाने लगे। नारद जी एक कोने में खड़े खड़े मंद मंद मुस्कुरा रहे थे । उन्होंने हनुमान जी से सब का सत्कार करने के लिए कहा। हनुमान जी सभी गणमान्य व्यक्तियों का सत्कार करने के लिए उठे। नारद जी ने हनुमान जी से कहा, “विश्वामित्र तो एक राजा है, इसलिए उनका सत्कार कैसा”।
उनके कहे अनुसार उन्होंने हर ऋषि का बारी-बारी सत्कार किया लेकिन विश्वामित्र का नहीं। यह बात देखते ही विश्वामित्र क्रोधित हो गए और वह गुस्से में तमतमा उठे । रामचंद्र जी से उन्होंने, हनुमान जी को मृत्युदंड देने के लिए कहा।हालांकि श्री राम हनुमान जी से बहुत प्यार करते थे लेकिन विश्वामित्र उनके गुरु थे और वह गुरु की बात की अवहेलना नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने विश्वामित्र को वचन दिया कि वह हनुमान जी को मृत्युदंड देंगे। जब हनुमान जी को इस विषय में पता चला तो उनको कुछ समझ नहीं आया,’ क्या करें’! तब नारद जी ने कहा,’ तुम सिर्फ आंख बंद कर राम नाम जपते रहो’!
उनकी बात को मानते हुए हनुमान जी एक पेड़ के नीचे बैठकर राम नाम में लीन हो गए।अपने गुरु को दिए हुए वचन को पूरा करने के लिए जब श्री राम हनुमान जी को ढूंढते हुए उस वृक्ष के नीचे पहुंचे तो, उन्होंने उन पर तीर चलाने शुरू किए। लेकिन सब वार खाली गए। हार कर भगवान राम ने कई अस्त्र भी आजमाएं।
हालांकि उनका मन बहुत असमंजस की स्थिति में था कि ,”जो मेरा नाम इतनी तल्लीनता से जप रहा है; उसका कौन क्या बिगाड़ सकता है”? श्री राम के पास आखिरी वार बचा था प्रलयकारी ब्रह्मास्त्र! लेकिन यह ब्रह्मास्त्र का वार भी खाली गया।पर पृथ्वी पर प्रलय जैसे संकट के बादल मंडराने लगे। जिन्हें देखकर नारद जी घबरा गए और वह विश्वामित्र के पास गए। उनको पूरी बात बतायी। नारद जी की बात सुन विश्वामित्र जी ने भगवान राम को वचन मुक्त कर दिया।
नारद जी अपनी बात को सिद्ध करने में कामयाब हुए। उन्होंने साबित कर दिया था कि ,”भगवान राम का नाम,श्री राम से भी बड़ा है” । सच में दोस्तों भगवान राम का नाम उनके अस्तित्व से भी बड़ा है।
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