Hindu Dharma : मंदिर को बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है, जहां पर जाकर व्यक्ति मन में शांति और प्रसन्नता महसूस करता है, कई बार लोग भगवान को अपना दुख बताने के लिए मंदिर जाते हैं, तो कई लोग भगवान को जो कुछ भी मिला है उसके लिए धन्यवाद करने के लिए मंदिर जाते हैं, तो कुछ लोग नियमित तौर पर मंदिर जाकर भगवान से खास मुलाकात करते हैं, मन ही मन में भगवान से बातें करते हैं, और मन में शांति का एहसास पाते हैं।
जब कभी भी हम भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं, तो हम हमारे साथ कुछ ना कुछ चीजों को जरूर लेकर जाते हैं। जैसे फूल, प्रसाद, अगरबत्ती, माचिस आदि। इनमें से कुछ चीज ऐसी भी होती है, जिन्हें मंदिर से घर वापस नहीं लाना चाहिए। चलिए हम आपको बताते हैं, कि ऐसी कौन-कौन सी चीज हैं, जिन्हें मंदिर से वापस घर नहीं लाना चाहिए।
खाली लोटा
जब आप मंदिर में जल चढ़ाने के लिए घर से लोटा लेकर जाते हैं, तब मंदिर से वापस घर आने के दौरान आप उस लोटे में प्रसाद या फिर फूल लेकर आएं। अगर लोटा खाली है, तो उसे मंदिर में ही छोड़कर आना चाहिए, फिर जब आप अगले दिन मंदिर जाए तो उस लोटे में फल या फूल लेकर आए। खाली लोटा घर लाना अच्छा नहीं माना जाता है।
तांबे या पीतल का दीपक
मंदिर में दिया जलाने को लेकर भी कई नियम बताए गए हैं, अगर आप मिट्टी का दिया जलाते हैं तो इससे कोई भी समस्या नहीं होती है क्योंकि मिट्टी के दीपक को शुद्ध माना जाता है। लेकिन अगर आप मंदिर में पीतल या तांबे का दीपक जला रहे हैं, तो ऐसे में जरूरी है कि आप उस दीपक को मंदिर में ही छोड़ कर आए, माना जाता है कि जलते हुए दीपक में नकारात्मक ऊर्जा को खींचने की शक्ति होती है। इसलिए अगर आप उसे घर लाएंगे, तो नकारात्मक उर्जा भी आपके साथ घर आ जाएगी।
शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए
अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है, या फिर शनि साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए एक बहुत ही सरल उपाय यह है कि जो भी चप्पल आप मंदिर पहनकर जा रहे हैं, उसे मंदिर में ही छोड़ आए। यह शनि के प्रभाव को कम करने में मदद करता है और नकारात्मक ऊर्जा को भी खुद से दूर करता है।
नकारात्मक भाव
मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान ही नहीं, बल्कि मन की शुद्धि और आत्मशांति का भी प्रतीक है। इसलिए जब भी आप मंदिर जाएं, अपने मन के सभी नकारात्मक भाव, जैसे क्रोध, इर्ष्या, और लोभ, भगवान के चरणों में समर्पित करके वहीं छोड़ आएं। यदि आप इन भावों को साथ लेकर लौटते हैं, तो आपकी पूजा का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता। मंदिर में अपने मन की अशुद्धियों को त्याग कर लौटना न केवल आपकी पूजा को सार्थक बनाता है, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार भी करता है।
