Overview: दिसंबर में कब मनाई जाएगी गुरु गोविंद सिंह की जयंती
दिसंबर 2025 में 27 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह जयंती मनाई जाएगी। सिख समुदाय इस दिन कीर्तन, नगर कीर्तन, लंगर और सेवा करता है।
Guru Gobind Singh Jayanti 2025: सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती को सिख समुदाय में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। यह दिन केवल एक जंयती मात्र नहीं, बल्कि धर्म, साहस, बलिदान और समानता के आदर्शों को स्मरण करने का भी पर्व है। साल 2025 में दिसंबर महीने में गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती शनिवार 27 दिसंबर को मनाई जाएगी।
दिसंबर 2025 में कब है गुरु गोविंद सिंह जयंती

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। चूंकि सिख परंपरा में जन्मोत्सव का निर्धारण पारंपरिक पंचांग या नानकशाही कैलेंडर के अनुसार भी किया जाता है, इसलिए कई बार उनकी जयंती जनवरी और दिसंबर में दो अलग-अलग ग्रेगोरियन तिथियों में दिखाई देती है। 2025 में पौष शुक्ल सप्तमी 27 दिसंबर को पड़ रही है, इसलिए इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जयंती श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी।
गुरु गोविंद सिंह जयंती का धार्मिक महत्व

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म वर्ष 1666 में पटना साहिब में हुआ था। वे सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे। उन्होंने सिख समाज को खालसा पंथ की स्थापना के माध्यम से संगठित किया और संत-सिपाही की अवधारणा दी, जोकि आध्यात्मिकता के साथ साहस और आत्मरक्षा को भी महत्व देती है। बता दें कि पिता गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान के बाद 11 नवंबर 1675 में गुरु गोविंद सिंह ने सिख धर्म के 10वें गुरु के रूप में पद संभाला था।
गुरु गोविंद सिंह ने अन्याय, अत्याचार और धार्मिक असहिष्णुता के विरुद्ध आवाज़ उठाई और समानता, भाईचारे और मानव गरिमा का संदेश दिया। गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को पांच ककार- केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छा-धारण करने का निर्देश दिया।
गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर क्या करते हैं सिख समुदाय के लोग

- गुरु गोविंद सिंह जयंती पर सिख संगत पूरे श्रद्धा-भाव से धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। गुरु गोविंद सिंह जयंती सिखों को आत्मसम्मान, साहस और धर्मनिष्ठा की प्रेरणा देती है।
- गुरुद्वारों में विशेष आयोजन:- सुबह से ही गुरुद्वारों में गुरबाणी पाठ, शब्द-कीर्तन और अरदास होती है। गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन, शिक्षाओं और बलिदान पर प्रवचन दिए जाते हैं।
- नगर कीर्तन:- कई शहरों में भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब को सुसज्जित पालकी में विराजमान किया जाता है। संगत वाहेगुरु का जाप करते हुए शबद-कीर्तन गाती है।
- लंगर सेवा:- गुरु गोविंद सिंह जी के समानता के सिद्धांत को दर्शाते हुए लंगर का आयोजन किया जाता है। इसमें अमीर-गरीब, जात-पात और धर्म का भेद बिना सभी एक साथ पंगत में बैठकर भोजन करते हैं।
- सेवा और दान:- इस दिन सिख समुदाय के लोग निःस्वार्थ भाव से कार्य को विशेष महत्व देते हैं, जैसे- सफाई सेवा, रक्तदान, गरीबों को भोजन और वस्त्र वितरण।
