Geeta Gyan: संतुष्ट और खुश रहना ही जीवन है। जीवन में अनंत इच्छाएं और ख्वाहिशें होती हैं, जिन्हें हम पाने का भरभस प्रयास करते हैं। हमारी कोशिश और किस्मत से अगर हमारी कोई इच्छा पूरी भी हो जाती है तो मानव का स्वभाव कुछ ऐसा है कि वह इससे बेहतर की चाह रखने लगता है। यही असंतुष्टि उसके जीवन को निराशा की ओर ले जाती है। जबकि जीवन में आप तभी सुखी और खुश रह पाएंगे जब आप संतुष्ट रहेंगे।
ऐसे कई लोग हैं जिनके पास सबकुछ होते हुए भी वे संतुष्ट नहीं है, जबकि दूसरे उन्हीं चीजों को पाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। भगवत गीता में ऐसी ही बातें बताई गई हैं, जिसे जानने के बाद आपके नजरिए का रुख बदल जाएगा और आप हंसी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगेंगे। अगर आप भी अपने जीवन की निराशा को खुशियों में बदलना चाहते हैं तो गीता के इन बातों पर गौर करें।
गीता का उपदेश वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत की युद्ध भूमि पर दिया था। लेकिन श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए ये उपदेश आज देश-दुनिया में खूब प्रसिद्ध हैं। साथ ही भगवत गीता का नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति सुख, शांति, उन्नति और आनंद का अनुभव करते हैं।

इसलिए कहा जाता है कि, गीता का पाठ करना और उसका अनुसरण करना आज के समय में भी व्यक्ति के जीवन के लिए उतना ही कारगर है, जिसका कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में अर्जुन के लिए था। इसलिए हर व्यक्ति को गीता का पाठ करना चाहिए और इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। गीता में श्रीकृष्ण ने जीवन को आसान बनाने से लेकर खुश रहने के भी तरीके बताए हैं, जिसका यदि अनुसरण कर लिया जाए तो उसकी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। आइए जानते हैं इसके बारे में-
खुश रहने का मूल मंत्र

खुश रहने का सबसे बड़ा मूल मंत्र है संतुष्ट रहना और दूसरों से अपनी तुलना बंद करना। इसे लेकर श्रीकृष्ण कहते हैं कि, जीवन में केवल वही व्यक्ति खुश रह सकता है जो कभी दूसरों से अपनी तुलना नहीं करता। इसलिए आप जैसे हैं वैसे ही स्वयं को स्वीकार करें।
दुख से दूर रहने का मूल मंत्र
कष्ट और दुख किसी के जीवन में भी खुशी का कारण कभी नहीं बन सकते। अर्जुन को उपदेश देते समय श्रीकृष्ण ने उनसे कहा था कि, व्यक्ति को हर काम नि:स्वार्थ भाव से करना चाहिए और काम के बाद फल की इच्छा कभी नहीं रखनी चाहिए। श्रीकृष्ण की ये इस बात को अगर आप अपने जीवन में उतार लेंगे तो यकीन मानिए दुख और आपका रिश्ता ही खत्म हो जाएगा।
इन आदतों का करें त्याग

बात-बात पर शिकायत करने की आदत भी व्यक्ति को कभी खुश नहीं रहने देती है, उल्टा ये आदतें दुख का कारण बनती हैं। इसके साथ ही जो लोग वर्तमान को भूलकर हमेशा अतीत में ही डूबे रहते हैं या फिर भविष्य को लेकर भी अधिक चिंतत रहते हैं, वह भी कभी सुखी नहीं रह पाते। अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो इस आदत को जितनी जल्दी हो सके छोड़ दें।
