Ujjain Mahakaleshwar
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Bhasma Aarti : उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती धार्मिक मान्यता और आध्यात्मिक महत्व के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह आरती हर दिन प्रात: समय पर होती है, जिसमें बाबा महाकाल के दर्शन के साथ भस्म का उपयोग करके विधिपूर्वक पूजा की जाती है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस आरती के दर्शन करने से उनके जीवन की सभी मुश्किलें और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही, यह मान्यता भी है कि भस्म आरती से व्यक्ति की नकारात्मकता, बुरी शक्तियां और काली नजर नष्ट हो जाती है, जिससे उसे मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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क्या शमशान से लाई जाती है भस्म आरती के लिए भस्म

भस्म आरती से जुड़े कई रहस्य समय-समय पर लोगों के मन में सवाल उठाते रहते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख यह है कि क्या भस्म वास्तव में शमशान से लाई जाती है या इसे किसी और तरीके से तैयार किया जाता है। भस्म आरती के लिए उपयोग की जाने वाली भस्म विशेष रूप से शमशान से नहीं लाई जाती, बल्कि इसे एक विशिष्ट प्रक्रिया के तहत तैयार किया जाता है। यह भस्म उस खास प्रकार के पूजा और तंत्र से निकलती है, जो धार्मिक अनुष्ठान और शास्त्रों के अनुसार होती है। भस्म का यह निर्माण पूरी तरह से विधिपूर्वक और पारंपरिक तौर पर किया जाता है, ताकि इसकी ऊर्जा और प्रभाव सही ढंग से प्राप्त हो सके।

पौराणिक कथाओं में महाकाल की भस्म का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, पहले महाकाल की आरती और श्रृंगार के लिए भस्म शमशान से लाई जाती थी। शमशान की भस्म को विशेष रूप से पवित्र और शक्तिशाली माना जाता था। इसे महाकाल के पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि इस भस्म में नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने की क्षमता मानी जाती थी। हालांकि, समय के साथ इस परंपरा में बदलाव आया, और अब भस्म को शमशान से लाने के बजाय, एक विधिपूर्वक तैयार करने का तरीका अपनाया गया है।

महाकाल की भस्म तैयार करने की आधुनिक प्रक्रिया

वर्तमान समय में महाकाल की भस्म को शमशान से नहीं, बल्कि एक विशेष प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले कपिला गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। गोबर के उपलों में शमी, पीपल, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाया जाता है। इन लकड़ियों का मिश्रण भस्म को शुद्धता और प्रभावशीलता प्रदान करता है। इसके अलावा, कई जड़ी-बूटियों का भी मिश्रण किया जाता है, जो भस्म को और अधिक शक्तिशाली बनाती हैं।

भस्म में कपूर और गुग्गल का मिश्रण

महाकाल की भस्म को सुगंधित बनाने के लिए कपूर और गुग्गल का भी उपयोग किया जाता है। यह दोनों तत्व न केवल भस्म को खुशबूदार बनाते हैं, बल्कि इसके प्रभाव को भी बढ़ाते हैं। इन सभी सामग्रियों के मिलाने से एक विशेष प्रकार की भस्म तैयार होती है, जिसका महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी है।

आयुर्वेदिक और ज्योतिषीय दृष्टि में महाकाल की भस्म का महत्व

महाकाल की भस्म का आयुर्वेद में भी बड़ा स्थान है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाती है, बल्कि इसके संपर्क से मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, महाकाल की भस्म का एक कण अगर किसी व्यक्ति के घर में रखा जाए, तो यह घर में नकारात्मकता को समाप्त करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसके साथ ही, भस्म के संपर्क से व्यक्ति के रोग और दोष भी समाप्त होने लगते हैं, जिससे उसका जीवन सुखी और समृद्ध बनता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...