एकादशी तिथि का व्रत रखने से सभी तरह के पापों से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैसा कि आप सभी को मालूम है कि हर महीने पड़ने वाली एकादशी का अलग एक नाम होता है वैसे ही हिंदी कैलेंडर के हिसाब से वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण में इस एकादशी को सौभाग्य प्रदान करने वाली कहा गया है। 30 अप्रैल को पड़ने वाली वरुथिनी एकादशी के इस व्रत को रखने से उपासक को बहुत लाभ मिलता है।

वरुथिनी एकादशी का महत्व
वैशाख माह में आने वाली इस एकादशी को सुख और सौभाग्य के लिए जाना जाता है। इस दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने और व्रत-कथा करने से भक्त को कई लाभ मिलते हैं। व्रत करने वाले के सभी पाप, ताप और दुःख दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय स्वर्ण दान करने से जो फल मिलता है। वही फल वरुथिनी एकादशी का उपवास रखने से मिलता है।
व्रत पूजा विधि
1. व्रत से एक दिन पहले यानि दशमी को एक ही बार भोजन करना चाहिए।
2. व्रत वाले दिन सुबह जल्दी स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करें।
3. इस दिन में तेल से बना भोजन, शहद, चना, मसूर की दाल, दूसरे का जूठा और कांसे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए। व्रत रखने वाले को सिर्फ एक ही बार भोजन करना चाहिए।
4. रात में भगवान का सुमिरन करते हुए जागरण करें और अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए।
वरूथिनी एकादशी तिथि व मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी – 30 अप्रैल 2019
एकादशी तिथि आरंभ – रात 10:04 (29 अप्रैल 2019)
एकादशी तिथि समाप्त – 12:18 (1 मई 2019)
पारण का समय – सुबह 06:44 से 08:22 बजे तक (1 मई 2019)
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