कम ही लोगों को पता होगा कि बाजार में काफी समय से महिला कंडोम भी मौजूद हैं। इसके पीछे शायद यही कारण है कि भारतीय समाज में महिला को आमतौर पर कोई महत्वपूर्ण फैसला करने का अधिकार नहीं है और जब मामला बच्चे पैदा करने का हो तब तो इस पर महिला को बोलने ही नहीं दिया जाता, खासतौर पर निम्न और मध्यम वर्ग के ऐसे घरों में जहां महिला को बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। भारत में गर्भनिरोध अब तक पुरुष-केंद्रित रहा है और इसे चुनने की आजादी भी पुरुषों के पास ही है।
ऐसे में महिलाओं के लिए कंडोम का बाजार में आना ठीक उसी तरह लग रहा है जैसे किसी ने उन्हें बच्चे पैदा करने या न करने का फैसला लेने
का अधिकार सौंप दिया हो। महिला कंडोम के बारे में लोगों की उदासीनता के ही कारण पिछले दिनों स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा ने स्वदेशी महिला कंडोम-वेलवेट का औपचारिक लांच किया। महिला कंडोम विवाहित महिलाओं को गर्भधारण में अंतर रखने, असुरक्षित गर्भपात के सदमे से बचाने और उनकी यौन स्वतंत्रता बनाए रखने के अलावा उनके प्रजनन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी अच्छा उपाय है। इस तरह यह महिलाओं के सशक्तिकरण में भी बेहतर भूमिका निभा सकता है।
महिला कंडोम के बारे में यू-ट्यूब पर डाले गए एक वीडियो में एक खूबसूरत संदेश के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि कंडोम खरीदने में कोई शर्म नहीं है और सुरक्षित शारीरिक संबंध हर महिला का अधिकार है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि एक महिला अपने पति की मर्जी के खिलाफ दुकानदार से उसी के सामने बिना किसी शर्म के कंडोम खरीदती है। इस वीडियो को करीब 30 लाख लोगों ने देखा है। वैश्विक स्तर पर महिला कंडोम का आविष्कार 1980 के दशक में किया गया था। भारत में व्यावसायिक रूप से इसका निर्माण सार्वजनिक इकाई एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ने ‘वेलवेट के नाम से वर्ष 2007 में शुरू किया। इसके बाद भारत, महिलाओं के लिए विशेष गर्भनिरोधक का निर्माण करने वाले अग्रणी दक्षिण एशियाई देशों में शामिल हो गया। लेकिन इसके बावजूद महिला कंडोम के बारे में लोग जितना कम जानते हैं, उतनी ही कम भारतीय बाजार में इसकी उपलब्धता भी है। इसकी असफलता के कारणों में देश की रूढि़वादी मानसिकता, कम जागरूकता, आसानी से सुलभ न हो पाने और संकोच प्रमुख हैं।
एचएलएफपीपीटी द्वारा कर्नाटक, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में कराए गए
एक अध्ययन में पता चला है कि महिला कंडोम में पसंदीदा गर्भनिरोधक और प्रजनन क्षमता को नियंत्रित करने के लिए सबसे सुरक्षित तरीकों में से एक बनने की क्षमता है। महिला कंडोम का विकास विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए किया गया है। इसे महिला सेक्स वर्करों के अलावा वर्तमान भारतीय महिलाओं और कम उम्र के दम्पतियों को लक्षित कर विकसित किया गया है और यह यौन संक्रामक रोगों और एचआईवी/एड्स के अलावा अवांछित गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात से तिहरी सुरक्षा प्रदान करने का आसान, सस्ता और सुरक्षित तरीका है। यूएनएफपीए का अनुमान है कि दुनिया भर में 21 करोड़ 50 लाख ऐसी महिलाएं हैं जो बच्चों की योजना/संख्या को सीमित करना चाहती हैं, लेकिन वे वर्तमान में किसी भी प्रकार के गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शोध के अनुसार विश्व में 25 लाख से अधिक किशोरियों को असुरक्षित गर्भपात प्रक्रियाओं से गुजरना और खतरों का सामना करना पड़ता है। महिला कंडोम-वेलवेट सेक्स के दौरान महिलाओं को सुरक्षा पर अधिक नियंत्रण देता है और इसका शैल्फ जीवन पांच वर्ष का है जबकि यह पुरुष कंडोम के समान ही प्रभावी और विश्वसनीय है। वेलवेट को इसी वर्ष डब्ल्यूएचओ और यूएनएफपीए द्वारा योग्य करार दिया गया है। ऐसे में जरूरत है कि देश में बढ़ती जनसंख्या को कम करने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, मां और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करने और एचआईवी/एड्स के प्रसार को रोकने के लिए महिला कंडोम की कम कीमत पर बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।
