साईं बाबा की महिमा का गुणगान आज हर कोई करता है। गुरुवार के दिन लोग बाबा को खुश करने के लिए पूरी विधि-विधान से व्रत रखते हैं। साईं बाबा का व्रत एक बार शुरू करने के बाद लगातार 9 गुरुवार तक किया जाता है। फिर नौवें दिन व्रत का उद्यापन करके अगर फिर से व्रत शुरू करना हो, तो किया जा सकता है। आइए, जानते है क्या है विधि साईं बाबा व्रत उद्यापन की-
 
व्रत की उद्यापन विधि 
 
1. 9वे गुरूवार को उद्यापन किया जाना चाहिए।
2. सुबह नहाकर साईं बाबा की पूजा, कथा और आरती करें।
3. व्रत का उद्यापन करने के लिए कम से कम 5 गरीबों को यथाशक्ति भोजन अवश्य कराएं।
4. बाबा की महिमा का फैलाव और ज्यादा हो सके इसके लिए अपने सगे-सम्बन्धी या पडोसियों को किताबें यथाशक्ति भेट करें। 
5. इस प्रकार विधिपूर्वक उद्यापन करें। 
 
साईं बाबा व्रत कथा
 
एक शहर में कोकिला नाम की स्त्री और उसके पति महेशभाई रहते थे। दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय था। दोनों में आपस में प्रेम था पर महेश भाई में कभी-कभार झगड़ा करने की आदत थी लेकिन कोकिला अपने पति के क्रोध का बुरा न मानती थी। वह धार्मिक आस्था और विश्वास वाली महिला थी। उसके पति का काम-धंधा भी बहुत अच्छा नहीं था। इस कारण वह अपना अधिकतर समय अपने घर पर ही व्यतीत करता था। समय के साथ काम में कमी होने पर उसके स्वभाव में और अधिक चिड़चिड़ापन रहने लगा।
 
एक दिन दोपहर के समय कोकिला के दरवाजे पर एक वृद्ध महाराज आए। उनके चेहरे पर गजब का तेज था। वृद्ध महाराज के भिक्षा मांगने पर उसने उन्हें दाल-चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया। बाबा के आशीर्वाद देने पर कोकिला के मन का दुख उसकी आंखों से छलकने लगा। इस पर बाबा ने कोकिला को श्री साई व्रत के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को नौ गुरुवार तक एक समय भोजन करके करना है। पूर्ण विधि-विधान से पूजा करना और साई बाबा पर अटूट श्रद्धा रखना। तुम्हारी मनोकामना जरूर पूरी होगी।
 
महाराज के बताये अनुसार कोकिला ने गुरुवार के दिन साई बाबा का व्रत किया और नौवें गुरुवार को गरीबों को भोजन भी दिया। साथ ही साई पुस्तकें भेंट स्वरूप दीं। ऐसा करने से उसके घर के झगड़े दूर हो गये और उसके घर की सुख-शान्ति में वृद्धि हुई। इसके बाद दोनों का जीवन सुखमय हो गया।
 
एक बार उसकी जेठानी ने बातों-बातों में उसे बताया कि उसके बच्चे पढ़ाई नहीं करते यही कारण है कि परीक्षा में वे फेल हो जाते हैं। कोकिला बहन ने अपनी जेठानी को श्री साई बाबा के नौ व्रत का महत्त्व बताया। कोकिला बहन के बताये अनुसार जेठानी ने साई व्रत का पालन किया। उसके थोड़े ही दिनों में उसके बच्चे पढ़ाई करने लगे और बहुत अच्छे अंकों से पास हुए।