Change Negative Thoughts: अक्सर आपने देखा या सुना होगा कि एक जिंदादिल और बेहद सकारात्मक सोचा वाला व्यक्ति जो जिंदगी को बेफिक्री से जीता था वो आज बेहद उदास और नकारात्मक सोच से घिर गया। उसके ऐसा होने के पीछे हालात और समय जिम्मेदार हो सकते हैं। उसकी जिंदगी में एक समय ऐसा आया हो कि वह डिप्रेशन में आ गया और उसने खुदकुशी कर ली। नकारात्मक सोच का प्रभाव दिमाग पर इतना होता है कि उससे निकलने का रास्ता बेहद कठिन लगने लगता है। नकारात्मकता में कुछ ऐसे पहलू होते है जो हमारे अंदर आदत बन जाती है। जैसे उदासी, डर, गुस्सा और जलन, जिसके कारण हमारी जिंदगी जीने का नजरिया बदल जाता है। और हम इसके घेरे से निकल ही नहीं पाते है। एक समय ऐसा आता है कि नकारात्मकता इतनी अधिक भारी हो जाती है कि इससे हम दिमागी रूप से अस्वस्थ हो जाते है। इस अवस्था को डिप्रेशन कहते है।
नकारात्मकता के कारण

जब व्यक्ति नकारात्मकता से घिरा होता है तो वे हर चीज़ को नकारात्मक तरीके से ही सोचता है। उनके सोचने समझने की शक्ति पर कुछ इस तरह प्रभाव पड़ता है कि वह हमेशा दुखी और परेशान नजर आता है। बहुत सी बातें होती है जिनके कारण व्यक्ति के दिमाग में नकारात्मकता घर कर जाती है। नकारात्मकता के बहुत से कारण हो सकते हैं-
रिलेशनशिप
अक्सर हम देखते है कि ज्यादातर लोग अपने किसी न किसी रिश्ते को लेकर परेशान होते हैं। जैसे दोस्तों, परिवार वालों,ऑफिस में साथ काम करने वाले कर्मचारी या फिर लाइफ पार्टनर, क्योंकि रिश्तों में कभी न कभी किसी मुद्दे पर नोकझोक होती रहती है। कई बार यही नोकझोक आपके अंदर नकारात्मक सोच को पैदा कर देती है।
जरूरतें
कई लोगों की जरूरतें अपने हिसाब से पूरी नहीं हो पाती है। उनकी ये जरूरत फिजिकली, इमोशनली या सोशल सपोर्ट हो सकता है। साथ ही जिंदगी से उनकी आकांक्षाएँ भी हो सकती है, जिनके पूरा नहीं होने पर वे नकारात्मक हो जाते है।
अतीत के बारे में सोचकर
कई लोगों में उनके अतीत में कुछ ऐसी घटना घटी होती हैं कि वह न चाहते हुए भी उसे नहीं भूल पाते है और वह उसे सोचकर हमेशा उदास रहते हैं। घटनाएं ऐसी घटी होती है कि उन पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ जाती है जिससे वे उससे उभर नहीं पाते है। और उनका रवैया नकारात्मक बन जाता है।
आस-पास का माहौल
हमारे आस-पास का माहौल ऐसा होता है कि उससे हमारा दिमाग नकारात्मक चीजों के बारे में ज्यादा सोचने लगता है। क्योंकि घर में या आस-पास बहुत से ऐसे लोग होते है, जो ऐसे विचारों को फैलाते है जिससे दूसरे के मन में ठेस पहुंचे। इसी तरह के माहौल के कारण ही नकारात्मक सोच इन्सान के दिमाग को प्रभावित करता है।
असफल होने पर
जीवन में कई लोग जो बार बार अपने करियर में या फिर अपने व्यापार में असफल हो रहे होते है तब भी उनके मन में नकारात्मक विचार पनपने लगते हैं। वह स्वयं को बेहद निराश महसूस करते है। असफलता के कारण वह कोशिश करना भी छोड़ देते है जिससे डिप्रेशन में चले जाते है।
चिंता करने के कारण
अक्सर ज्यादा चिंता भी नकारात्मक विचारों को उत्पन्न करती है। क्योंकि कई बार जब हम सोचते है कि हम ज्यादा चिंता नहीं करेंगे और फिर भी उसी के बारे में सोचते रहते है तो हमारे विचार नकारात्मकता में बदलने लगते है। क्योंकि किसी विषय में बहुत ज्यादा चिंता भी नकारात्मकता को जन्म देती है।
नकारात्मकता से होने वाले नुकसान

- नकारात्मकता के कारण हम दूसरों से अपनी तुलना करने लगते हैं। और हमें उनकी जिंदगी अपने से बेहतर नजर आने लगती है। जिससे हमारा स्वयं का ही नुकसान होने लगता है। हम जिंदगी में उदासीनता महसूस करने लगते है।
- ज्यादा समय तक अगर हम स्वयं को नकारात्मकता के घेरे में रखते हैं तो हमें तनाव, डिप्रेशन और चिंता होने लगती है।
- नकारात्मकता के कारण हमें तनाव और चिंता ज्यादा होने लगती है जिससे रात में नींद आना कम हो जाता है। हम अनिद्रा के शिकार हो जाते है।
- रिश्तों में तनाव भी हमें नकारात्मक सोच के कारण आने लगता है। क्योंकि जब हम किसी इंसान को दोषी मानने लगते है। उसके बारे में हमारी सोच ही गलत बन जाती है। और हम उनसे दुर्वयवहार करने लगते है।
- क्या आपको पता है कि नकारात्मक सोच के कारण हमारे शरीर के अंदर दिक्कते आरम्भ हो जाती है जिससे लंबे तनाव के कारण शरीर में ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।
नकारात्मकता से कैसे दूर रहें

- सुबह उठना सबसे अच्छा माना जाता है इसलिए सुबह जल्दी उठें। क्योंकि जब सुबह सूर्य निकलता है, तो वह वातावरण बिल्कुल सुकून भरा होता है इससे आपके मन को शांति भी मिलती है।
- भगवान का ध्यान लगाएं और अपने मन को एकाग्र करें। अगर आप भगवान को थोड़ी देर के लिए भी याद करते है तो आपका मन पूरा दिन खुश रहता है।
- सुबह उठकर कसरत जरूर करें इससे नकारात्मकता दूर रहती है, क्योंकि व्यायाम करने से पूरी बॉडी में ब्लड सकुर्लेशन तेजी से घूमता है इसका असर आपकी सोच पर भी पड़ता है।
- खाने में हमेशा ताजा खाना ही खाएं क्योंकि इससे आप स्वस्थ रहेंगे और नकारात्मकता आपके पास भी नहीं आएगी।
- हर हाल में खुश रहना सीखें ये एक सबसे कारगर उपाय है नकारात्मकता से बचने के लिए। दिन में पांच दस मिनट के लिए जोर से हंसे इससे विचारों में सकारात्मकता आती है।
- बहुत से लोग अकेले रहना पसंद करते है इससे वे सभी से दूर हो जाते हैं। इससे उनकी जिंदगी में उदासीनता भर जाती है। जरूरी है कि आप अपने दोस्त बनाएं क्योंकि अगर जिंदगी में दोस्त होते है तो जिंदगी खुश मिजाज बन जाती है। साथ ही आपके अंदर सकारात्मक विचार पनपते है।
- कभी भी ऐसा महसूस न करें कि दूसरे की जिंदगी आपसे बेहतर है। क्योंकि हर किसी की जिंदगी अपनी होती है और उसे बेहतर भी बनाना हमारे हाथ में होता है। हम चाहे तो उसमें नकारात्मक घोले और चाहे तो सकारात्मक होकर जिंदगी जिएं।
(साइकोलॉजिस्ट, डॉ सचिन गुप्ता से बातचीत पर आधारित)