bhagwan shiv devotion blessed sawan month coming soon
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Holy month of Sawan: हिंदू ग्रंथ और शास्त्रों में श्रावïण के महीने में भगवान शिव और पार्वती माता के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि इस समय मूसलाधार वर्षा होने के कारण बहुत सी आपदाएं आती है जिन्हें हम भगवान शिव की पूजा करके टाल सकते हैं।

सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए जाना जाता है, जिसमें सभी लोग शिवरात्रि और सोमवार को भगवान शिव की पूजा और आराधना करते हैं। वहीं कई लोग भगवान शिव को श्रावण मास में खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा को लेकर जाते हैं। जो भी सावन के महीने में भगवान शिव
को प्रसन्न कर देता है भगवान शिव उससे खुश होकर उसके सभी दुखों को हर लेते हैं। वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर प्राप्त करने का आशीर्वाद भी देते हैं।
इस बार सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। दरअसल अधिक मास इस बार सावन में होने के कारण इस बार भक्तों को भगवान शिव की पूजा और अराधना करने के लिए लगभग दो माह का समय मिल रहा है। आइये हम आपको आज सावन मास से जुड़ी कुछ खास बातें बतायेंगे

सनातन धर्म में त्यौहार नक्षत्र समय दिन तिथि पर एवं मास का बहुत अनोखा महत्व है। इसी वजह से सावन महीने का भी अपना महत्व है। इसके बहुत से प्रमाणिक वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक तथ्य भी हैं।
आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह इस महीने कीटपतंगे अपनी सक्रियता पूरी तरह से बढ़ा देते हैं उसी प्रकार इंसानों को भी पूजा पाठ ज्यादा जोर-शोर से करना चाहिए। सावन के महीने में मूसलाधार वर्षा होने के कारण बहुत सी आपदाएं आती हैं, जिन्हें हम
भगवान शिव की पूजा करके टाल सकते हैं और वातावरण को शांत कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विष पिया था तब उनके शरीर का तापमान कम करने के लिए इंद्रदेव ने मूसलाधार बारिश की थी, जिसकी वजह से सावन के महीने में खूब बारिश होती है। जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार बारिश होने के कारण सब्जियों के पत्ते खराब हो जाते हैं।
अगर हम उन्हें खाते हैं तो बीमार होने का खतरा बढ़ जाएगा। इसको देखते हुए ही बारिश की शुरुआत से अंत तक लोग प्राचीन काल से व्रत रखते आये हैं, जिसे आज भी हम मानते हैं और इसका पालन
करते हैं।

सावन सोमवार को यदि व्रत रखकर इस कथा का पाठ किया जाए तो आपकी मनचाही इच्छा पूरी हो जाती है। चलिए जानते हैं इस पावन कथा के बारे में- एक साहूकार भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, बस एक पुत्र की इच्छा थी, जिससे बहुत दुखी रहता था। माता पार्वती भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं कि वह साहूकार को पुत्र का वरदान दे दें। भगवान शिव कहते हैं कि उस साहूकार के भाग्य में पुत्र का योग है ही नहीं। यदि उसे पुत्र का वरदान दे भी दिया जाए तो उसके पुत्र की 12 वर्ष की आयु में मृत्यु हो जाएगी। साहूकार यह सारी बातें सुन रहा था। पत्नी गर्भवती हुई और उसने एक खूबसूरत से बालक को जन्म दिया। साहूकार ने अपने
पुत्र की मृत्यु की बात पूरे परिवार से छुपा कर रखी। 11 साल की उम्र में सेठानी ने अपने पुत्र का विवाह करना चाहा, किंतु साहूकार ने उसे उसके मामा के साथ काशी पढ़ने के लिए भेज दिया। साहूकार ने यह भी कहा कि वे जहां भी रुके वहां ब्राह्मïणों को भोजन कराए और यज्ञ करे। रास्ते में
एक राजकुमारी का विवाह एक आंख से काने लड़के के साथ हो रहा था। राजकुमारी के पिता ने मामा को धन का लालच देकर साहूकार के सुंदर बेटे के साथ अपनी पुत्री का विवाह करवा दिया। साहूकार के बेटे ने राजकुमारी की चुनरी पर लिखा कि तेरा विवाह मेरे साथ हुआ है लेकिन तू जाएगी अपने राजकुमार के साथ। पता चलते ही राजकुमारी ने उसके साथ जाने को मना कर
दिया और बारात लौट गई। मामा और साहूकार का बेटा काशी पहुंच गए। 1 दिन यज्ञ के दौरान साहूकार के बेटे के प्राण निकल गए। भगवान शिव और माता पार्वती वहीं से गुजर रहे थे। उन्हें पता चला कि साहूकार के बेटे की मृत्यु हुई है तो माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि
उसे जीवित कर दिया जाए। साहूकार का बेटा ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए जीवित हो उठा और उसे धन-धान्य के साथ राजकुमारी के साथ विदा कर दिया गया।