मैं हमेशा अपने लेख भाग्य के बारे में विस्तार से समझाने से शुरू करता हूं। मेरी राय में भाग्य के तीन अंश होते हैं। पहला है- ‘कुंडली भाग्य’ यानी इंसान की जन्म कुंडली से आने वाला भाग्य। इस प्रकार के भाग्य का अंश मेरी राय में हमारे समुचित भाग्य का 40 प्रतिशत होता है। हमारे कुंडली भाग्य को हम पूरी तरह कभी भी परिवॢतत नहीं कर सकते, क्योंकि मां के पेट में पुन: जाकर दोबारा नई और बेहतर कुंडली के साथ फिर जन्म लेने की सुविधा ईश्वर ने उपलब्ध नहीं कर रखी है। इसलिए एक बार हम एक प्रकार की कुंडली के साथ पैदा हो गए, सो हो गए। हमारा यह 40 प्रतिशत भाग्य तय हो जाता है, पर हां इसमें कुछ हद तक परिवर्तन किया जा सकता है। दूसरा 40 प्रतिशत भाग्य हमारा ‘भूमि भाग्य’ तय करता है। भूमि भाग्य यानी आपकी जगहों से आने वाला भाग्य, अगर आप घर से व्यवसाय करते हैं तो केवल आपका घर आपको 40 प्रतिशत भाग्य प्रदान करेगा, अन्यथा घर और दफ्तर दोनों मिलकर इस 40 प्रतिशत भाग्य को तय करेंगे और यहीं पर आती है वास्तुशास्त्र और फेंगशुई की भूमिका।

वास्तुशास्त्र और फेंगशुई अलग-अलग विज्ञान हैं, पर दोनों का लक्ष्य एक ही है। यानी आपका भूमि भाग्य सुधारना या बढ़ाना। मुझे दोनों ही विज्ञानों का गहरा ज्ञान और 23 वर्षों में किए गए 10,000 से भी ज्यादा केसिस का व्यावसायिक अनुभव है और इसी अनुभव के आधार पर मेरा यह साफ मत है कि तल मंजिली इमारतों में, जैसे आपका बंगला हो, तो उसमें वास्तु का उपयोग अच्छे परिणाम देता है और बहु मंजिली इमारतों में  अगर आपका फ्लैट या ऑफिस है तो उसमें फेंग  शुई का उच्चतम स्तर, जिसे फ्लाइंग स्टार फेंगशुई कहा जाता है वह विज्ञान बहुत ही अच्छे परिणाम देता है। लोगों में हमेशा यह जिज्ञासा रहती है कि इन दोनों विज्ञानों में फर्क क्या है?

मैं हमेशा यह कहता हूं कि ये दोनों विज्ञान होम्योपैथी और एलोपैथी जैसे हैं। दोनों ही से आपको भला किया जाता है, पर तरीके अलग-अलग होते हैं और दोनों ही के प्रभाव के क्षेत्र अलग-अलग होते हैं। अगर किसी मरीज को प्लेग जैसी तीव्र बीमारी है तो उसे होम्योपैथी नहीं देनी चाहिए, उसे एलोपैथी के एंटीबायोटिक से इलाज करके जल्द लाभ देना ठीक होगा। दूसरी तरफ अगर किसी मरीज को एग्ज़ीमा जैसा चर्म रोग या अस्थमा जैसी जीर्ण बीमारी हो तो एलोपैथी से कहीं बेहतर इलाज होम्योपैथी करेगी। ऐसा ही वास्तु और फेंगशुई के साथ है। तल मंजिली इमारतों में जैसे बंगले और फैक्ट्री शेड्स में वास्तु अच्छे परिणाम देता है और बहु मंजिली इमारतों के फ्लेट्स और ऑफिसों में फ्लाइंग स्टार फेंगशुई बहुत ही बढ़िया परिणाम देता है। यह वह फेंगशुई नहीं है जिसमें लॉफिंग बुद्धा, पवन घंटी, तीन पैर वाली मेंढक वगैरह चीजों को घर में रखा जाता है, वह तो फेंगशुई का न्यूनतम स्तर है, जिसे सिंबोलिक फेंगशुई कहते हैं। फ्लाइंग स्टार फेंगशुई उच्चतम स्तर का फेंगशुई विज्ञान है, जिसमें घर की कुंडली बनाई जाती है। आपका घर किस साल में बनकर तैयार हुआ था और उसके मुख्य द्वार की दिशा कौन सी है, इन दो चीजों पर उसकी कुंडली बनती है।

हमने देखा कि कुंडली भाग्य और भूमि भाग्य 40-40 प्रतिशत हमारे जीवन पर प्रभाव रखते हैं। तीसरा और आखिरी 20 प्रतिशत भाग्य हमारे कर्म से इस जीवन में हमें प्रभावित करता है। हम अपनी मेहनत और अच्छे कर्मों से भी हमारे भाग्य के 20 प्रतिशत का लाभ अपने वर्तमान जन्म में ले सकते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि भाग्य से नहीं केवल अपने कर्मों से ही शत-प्रतिशत परिणाम आते हैं, ऐसा मानते हैं। मैं उन्हें कहता हूं कि वे भी सही कह रहे हैं और मैं भी सही कह रहा हूं, वह ऐसे कि कर्म का शत-प्रतिशत प्रभाव है, पर हमारे बहुत सारे जन्मों की बात करें तब। केवल इस ही जन्म की बात करें तो कुंडली भाग्य और भूमि भाग्य 80 प्रतिशत प्रभाव रखता है और हमारा कर्म इस जन्म में केवल 20 प्रतिशत भाग्य देता है। यही कारण है कि 2 बच्चे एक ही समय पर, एक ही शहर में, एक ही तरह की कुंडली के साथ पैदा होते तो हैं, पर एक बच्चा एक बहुत ही बड़े करोड़पति खानदान में पैदा होता है और दूसरा बच्चा एक गरीब खानदान में पैदा होता है।

सोचिये! दोनों नवजात बच्चों ने कोई कर्म इस जन्म में तो अब तक नहीं किया फिर दोनों के जीवन रूपी दौड़ की शुरुआत इतनी भिन्न कैसे हो गई? एक ऐसे घराने में पैदा हुआ, जहां 1 लाख रुपयों की सिर्फ हैसियत थी और दूसरे के खानदान की हैसियत 100 करोड़ की थी। यह फर्क 10,000 गुने का है। सीधी सी बात है, दोनों बच्चों  के पिछले जन्म या जन्मों के कर्मों में बहुत ज्यादा फर्क था। अमीर खानदान में जन्मे बालक रूपी आत्मा में अपने पिछले जन्म में बहुत अच्छे कर्म किये थे, इसलिए ईश्वर ने उसे जीवन रूपी दौड़ में पैदाइश से ही बहुत-बहुत आगे शुरुआत करवाई।

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