जानिए बेलपत्र का महत्व, इससे जुड़ी पौराणिक कथा और चढ़ाने के नियम-फायदे: Belpatra Importance
Belpatra Importance

Belpatra Importance: 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने वाला है। इस महीने का भक्त बड़ी ही बेसब्री से साल भर इंतजार करते हैं। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है। भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर सोमवार उनकी पूजा अर्चना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस बार सावन पर एक खास संयोग बन रहा है। दरअसल, 19 साल बाद पहली बार श्रावण में अधिकमास होने के कारण 8 सावन सोमवार व्रत और 9 मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं। इतना ही नहीं इस बार इस साल सावन 59 दिनों का होगा। ऐसे में भक्त सावन के हर दिन भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकेंगे। कई भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय चीज उन पर अर्पित करते हैं। आप भी ऐसा जरूर करते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं सबसे ज्यादा भोलेनाथ को बेलपत्र प्रिय है? अगर नहीं जानते हैं तो आज हम आपको बेलपत्र का महत्व, इससे जुड़ी कथा कहानी और फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए हैं।

भोलेनाथ को बेलपत्र है सबसे प्रिय

बेलपत्र को संस्कृत में बिल्व पत्र कहा जाता है। ये बेहद ही पवित्र होता है। भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय है। उनकी हर पूजा-अर्चना में इसे अर्पित किया जाता है। बेलपत्र का धार्मिक औषधीय और सांस्कृतिक महत्व पुराणों और वेदों में बताया गया है। हिंदू धर्म में बेलपत्र के पौधे को दृश्य वृक्ष कहा जाता है। सावन, शिवरात्रि या सोमवार को की जाने वाली शिव पूजा में बेलपत्र यानी बिल्व पत्रों को चढ़ाने का काफी ज्यादा महत्व माना गया है। मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है कि अगर बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है तो उसे भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

बेलपत्र की कहानी

Belpatra Importance and Story

पुराणों के मुताबिक, बेलपत्र से पूरे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। एक वक्त था जब माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। ऐसे में इस पेड़ में वह कई स्वरूपों में रहती हैं। बेलपत्र में उनके सभी स्वरुप बसते हैं। पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप, तनों में माहेश्वरी के स्वरूप, शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में पार्वती के रूप में वह बसती है। इसके अलावा भी उनके कई स्वरूप है जो इस वृक्ष में बसते हैं। माता पार्वती का प्रतिबिंब होने की वजह से बेलपत्र को भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। कहा जाता है बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मनुष्य ही नहीं देवता भी बेलपत्र के वृक्ष की पूजा करते हैं।

बेलपत्र के फायदे

बेलपत्र के पेड़ की छाल, जड़, फल और पत्ते सभी का इस्तेमाल अलग-अलग रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। बेलपत्र के पवित्र वृक्ष से मसूड़ों से खून आना, अस्थमा, पीलिया, पेचिश, एनीमिया और कई अन्य बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। इसमें विटामिन और खनिज, जैसे विटामिन A, C, कैल्शियम, पोटेशियम, राइबोफ्लेविन, फाइबर और B6, B12 और B1 भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। इसमें एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर के कई संक्रमणों का ठीक करने में मदद करते हैं। इसलिए कई लोग इसे घर में भी उगाना पसंद करते हैं और इसका नियमित रूप से सेवन भी करते हैं साथ ही पूजन में भी इस्तेमाल करते हैं।

इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र

बेलपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर नहीं तोड़ना चाहिए। संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी के साथ नहीं तोड़ना चाहिए। सिर्फ तीन पत्तियां ही तोड़कर भगवान शिव पर अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र एक ऐसा पत्ता है, जो कभी भी बासी नहीं होता है।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम

कहा जाता है कि भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। जी हां, चिकनी सतह की तरफ वाला भाग शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से इसे अर्पित करना चाहिए। ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...