कब है अनंत चतुर्दशी 2023, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व: Anant Chaturdashi 2023
Anant Chaturdashi 2023

Anant Chaturdashi 2023: भाद्रपद का पूरा महीना, भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित माना जाता है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में जन्माष्टमी के पर्व से लेकर शुक्ल पक्ष में वामन जयंती और अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरि की पूजा की जाती है। श्री हरि ने सृष्टि में धर्म का संतुलन बनाए रखने के लिए अनेक अवतार लिए थे। इनमें से श्री हरि का ही एक अवतार है ‘अनंत अवतार’। साल 2023 में श्री हरि के अनंत अवतार की पूजा का पर्व 28 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया है, जिसके कारण अनंत चतुर्दशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में श्री हरि की पूजा करने और गणेश जी का विसर्जन करने से व्यक्ति को सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज इस लेख से हम आपको अनंत चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उसके महत्व के बारे में बताएंगे।

अनंत स्वरूप का महत्व

Anant Chaturdashi 2023
Anant Chaturdashi 2023 Importance

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि श्री हरि ने सृष्टि के आरंभ में तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, तप, जन, सत और मह नाम के 14 लोकों की रचना की थी। इन सभी लोकों के पालनहार बनने के लिए श्री हरि 14 अवतारों के साथ प्रकट हुए जिससे श्री हरि का अनंत रूप बना। श्री हरि के अनंत रूप का न कोई आरंभ था और न ही कोई अंत। इसी कारण श्री हरि के इस रूप को अनंत कहा गया। अनंत सूत्र में लगी 14 गांठे श्री हरि के 14 लोकों का प्रतीक मानी जाती हैं। अनंत सूत्र की 14 गांठे व्यक्ति को उसके भय से मुक्ति दिलाती हैं। जो व्यक्ति अनंत चतुर्दशी के दिन श्री हरि की पूजा अर्चना करता है उसे सुख समृद्धि का अनंत फल प्राप्त होता है।

अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Anant Chaturdashi 2023
Anant Chaturdashi 2023 Puja

अनंत चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 27 सितम्बर 2023, बुधवार को रात 10 बजकर 18 मिनट से होगी। अनंत चतुर्दशी तिथि का समापन 28 सितम्बर 2023, गुरुवार को शाम 06 बजकर 49 मिनट पर होगा। इसलिए उदय तिथि के अनुसार अनंत चतुर्दशी का पर्व 28 सितम्बर, गुरुवार को मनाया जाएगा। 28 सितम्बर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से श्री की पूजा का शुभ मुहूर्त शुरू होगा। अनंत चतुर्दशी के दिन नहाकर पूजास्थल की सफाई करें। इसके बाद पूजा स्थल पर एक कलश रखें। इस कलश के ऊपर एक बर्तन रखें और उस बर्तन में कुश से बने हुए 14 अनंत रखें। इसके बाद पीले रंग के धागे में 14 गांठें लगाकर एक अनंत सूत्र बनाएं। इस अनंत सूत्र को श्री हरि की प्रतिमा के चरणों में अर्पित करें और धूप, बत्ती और दीपक जलाकर श्री हरि की पूजा करें। इसके बाद श्री हरि को भोग लगाएं। पुरुषों को दाएं और स्त्रियों को बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधना चाहिए।

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