कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अधूरा है। किसी भी वैदिक पूजा में तो हवन का महत्व और बढ़ जाता है। नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं।
आमतौर पर हवन के लिए आम की लकड़ी प्रयोग की जाती है। हवन-सामाग्री पूरी होनी चाहिए। सामग्री में जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। इसमें मिले तिल से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है। गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए होता है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के शुभ फल के लिए होती है। गाय का घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं।
हवन नवरात्र पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है। एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं। बगलामुखी पूजा के हवन में सरसों का प्रयोग किया जाता है। नवग्रह की लकड़ी का प्रयोग आपको प्रत्येक हवन में करना ही करना है।
जानें कि नवरात्र में किस मंत्र से करें हवन
- मुकदमे में विजय और विजय की प्राप्ति हेतु तथा राजनीति में सफलता हेतु श्री बगलामुखी मंत्र से हवन करें।
- श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं।
- बीज मंत्र – ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः है – इससे हवन करें।
- दुर्गासप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में वर्णित मंत्रों से हवन अवश्य करें।
- देहि सौभाग्य मारोग्यम देहिमें परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। – इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं।
- नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- श्री हनुमान चालीसा के मंत्रों से भी हवन कर सकते हैं।
ये भी जानें
- माता के 108 नामों से हवन करें।
- महामृत्युंजय मंत्र से हवन भी आपको स्वास्थ्य सुख प्रदान करेगा।
- माता दुर्गा के 32 नाम से हवन करें।
- नवरात्र में सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करके उसमें वर्णित बीज मंत्र से हवन करें।
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