सफल और सुखमयी जीवन के लिए किसी भी मनुष्य का शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ होना बहुत ही आवश्यक है, लेकिन आजकल कोरोना महामारी के इस दौर में हर इंसान शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहा है। शारीरिक स्वास्थ्य पर तो ज्यादातर लोगों का ध्यान जाता है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य की तरफ बहुत ही कम लोग ध्यान देते हैं जबकि मानसिक अस्वस्थता आपके पूरे जीवन को प्रभावित करती है।  मानसिक स्वास्थ्य आमतौर पर तनाव से प्रभावित होता है। तनाव आज के जीवन में सामान्य हो गया है, जिसे कोई न चाहते हुए भी ले लेता है। इससे बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं लेकिन इससे छुटकारा पाना आसान नहीं होता। तनाव एक ऐसी बीमारी है, जिससे किसी भी  उम्र का व्यक्ति अछूता नहीं रहता फिर चाहे वह पुरुष हो, स्त्री हो या फिर बच्चे, सभी कहीं न कहीं इस तनाव नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं।

हालांकि महामारी के दौर में तनाव का असर स्त्रियों और पुरुषों पर अलग-अलग प्रकार से देखने को मिल रहा है। लेकिन महामारी से परे भी ज्यादातर महिलाओं पर इसका असर हमेशा ही देखने को मिलता है। महिलाओं में कुंठा या अवसाद आमतौर पर पाई जाने वाली तनाव संबंधी बीमारियां हैं। आमतौर पर पांच में से तीन महिलाएं इनसे पीड़ित होती हैं। महिलाओं में तनाव और अवसाद के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके ऊपर करियर, बच्चे, परिवार, दोस्त और स्वैच्छिक काम को लेकर अधिक दबाव होता है। एक सर्वे में भारतीय महिलाओं ने खुद को सबसे ज्यादा तनाव में बताया। कुछ वैज्ञानिकों का तो यह भी मानना है कि परिवार के सभी सदस्यों में से, अपने बच्चों पर खतरों के प्रति महिलाएं कुदरती तौर पर ज्यादा संवेदनशील होती हैं और उन्हें खतरों की ज़्यादा समझ होती है। वैज्ञानिक कहते हैं कि सामाजिक स्तर पर भेदभाव के कारण अधिकतर महिलायें शक्तिविहीन हो जाती हैं और परिस्थितियां उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पुरुषों की अपेक्षा अधिक बुरा प्रभाव डालती हैं। इसी वजह से तनाव के पलों में उनका व्यवहार भी पुरुषों की तुलना में अलग होता है। ऐसे में महिलाओं को खुद का ध्यान बहुत अधिक रखना पड़ता है।

वैसे महिलाओं में तनाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे सामान्य शारीरिक प्रक्रिया एवं जीवन स्थिति में परिवर्तन या खासतौर पर कुछ  तनावपूर्ण परिस्थितियां इत्यादि। बहुत-सी महिलाएं इन परिवर्तनों एवं परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढाल लेती हैं किंतु कुछ के लिए ये परिवर्तन अकारण ही तनाव पैदा करते हैं या मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। महिलाओं की मानसिक दशा एवं असंतुलन के लिए कई कारण गिनाये गये हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

बचपन

मानसिक तनाव व कुंठा बचपन से ही लड़की पर प्रभाव डालते हैं। लड़की होना ही तनाव का सबसे बड़ा कारण है। इसके कारण उसे सही ढंग से खाना, पढ़ाई, समय से डॉक्टरी सहायता, सबसे बढ़कर प्यार और देखभाल नहीं मिल पाती। दूसरे छोटी लड़कियों का यौन-शोषण भी जो आजकल बहुत सुना जा रहा है, तनाव का एक कारण है। हाल ही में शोध कार्यों से यह ज्ञात हुआ है कि बचपन का यौन- शोषण आगे चलकर उन्हें अपराधों, नशीली दवाओं के सेवन व वेश्यावृत्ति की ओर उन्मुख कर सकता है और उनकी किशोरावस्था व वयस्क जीवन में व्यक्तित्व संबंधी विकृतियां भी पैदा कर सकता है। 

रजोनिवृत्ति

महिला को रजोनिवृत्ति के उपरांत, हार्मोनल बदलाव के कारण भी मानसिक तनाव, उत्कंठा, बेचैनी व उदासीनता आ जाती है।

शहरीकरण

मानसिक स्वास्थ्य में सामाजिक पहलू को देखना भी अनिवार्य होता है। मानसिक स्वास्थ्य आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और जिंदगी को सही ढंग से जीने से जुड़ा है। ऐसे में भीड़-भाड़, सामाजिक परिवेश, सामाजिक सहायता की कमी और नकारात्मक जीवन घटनाएं, नौकरी से हाथ धोना जैसे कारण मानसिक तनाव को उत्पन्न करते हैं या बढ़ाते हैं।

यद्द्पि तनाव उत्पन्न होने के ये दो-तीन कारण प्रमुख समझे जाते हैं, लेकिन एक सत्य यह भी है कि बहुत से छोटे-छोटे कारण ऐसे भी होते हैं जिनको समझ पाना मुश्किल होता है और वे प्रत्यक्ष रूप से दिखाई भी नहीं देते लेकिन महिलाओं के मानसिक व्यवहार पर बहुत ही गहरा प्रभाव छोड़ते हैं, जैसे परिवार के सदस्यों से मनमुटाव, पति के साथ रिश्तों में कमी या बच्चों के साथ सही समन्वय न बन पाना इत्यादि। यूं तो तनाव एक मानसिक बीमारी है लेकिन इस तनाव के कारण शारीरिक बीमारियों का भी आगमन स्वत: ही हो जाता है जैसे-

उच्च रक्तचाप: आमतौर पर वयस्क महिलाओं की तुलना में वयस्क पुरुषों में उच्च रक्तचाप अधिक आम है, लेकिन यदि महिलाएं ज्यादा तनाव लेती हैं, तो उन्हें उच्च रक्तचाप का सामना करना पड़ सकता है।

कमर दर्द : कमर व पीठ का दर्द आज के समय में एक सामान्य सी बात हो गई है। हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी इसका जरूर सामना करता है। महिलाएं तनाव की वजह से कमर दर्द का सामना कर सकती हैं।

नींद में परेशानी : तनाव की वजह से महिलाओं की नींद खराब हो सकती है। आपकी नींद की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने सहित तनाव कई तरीकों से आपके जीवन को प्रभावित कर सकता है।

वजन का बढ़ना : क्या आप जानती हैं कि अधिक तनाव लेने के कारण आपका वजन भी बढ़ सकता है? तनाव से शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाता है। वजन बढ़ना उनमें से ही एक है। तनाव शरीर के फैट को एकत्रित करता है, जिसके कारण वजन बढ़ने लगता है। इसके अलावा डायबिटीज और हार्ट अटैक की समस्या भी हो सकती है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम: यदि महिलाएं तनाव लेती हैं तो उन्हें पेट या अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या का सामना करना पड़ सकता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार सबसे आम विकारों में से हैं। हालांकि तनाव एक गंभीर बीमारी है लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका कोई इलाज न हो। स्वयं की  थोड़ी सी कोशिश और मनोवैज्ञानिक और परामर्शदाता से अपने तनाव के विषय में बातचीत करने से महिला का भावनात्मक तनाव कम हो सकता है। साथ ही घर में पति एवं परिवार के अन्य सदस्यों के सहयोग से भावनात्मक तौर पर सहायक वातावरण बनता है। चेहरे पर छोटी सी मुस्कराहट, आराम और मनोरंजन भी इस दिशा में सहायक क्रियाएं हैं। इसके साथ ही कुछ छोटे-छोटे उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर हम तनाव से मुक्ति पा सकते हैं-

दिन की अच्छी शुरुआत  

आजकल हम सभी के दिन की शुरुआत ही आपाधापी से होती है। सुबह उठते ही घरेलू समस्याओं, पति और बच्चों से जूझते हुए जल्दी-जल्दी अपना नाश्ता लेते हैं और फिर एक लंबा सफर तय कर शहर के ट्रैफिक से बचते-बचाते जब ऑफिस पहुंचते हैं, तब तक हम तनाव में आ चुके होते हैं। बस उसे भड़कने के लिए एक चिंगारी की जरूरत होती है। क्यों न हम अपने दिन की शुरुआत एक पॉजिटिव एटीट्यूड और एक अच्छी  प्लानिंग के साथ करें। ऐसा करके न सिर्फ अनचाही स्थितियों से निपटा जा सकता है, बल्कि वर्कप्लेस स्ट्रेस को भी हैंडल करना आसान होगा।

समय का उचित प्रबंधन

बेहतर टाइम मैनेजमेंट के बहुत फायदे हैं। यह हमें फोकस रखता है, प्राथमिकताओं का बोध कराता है और तनाव को भी कम करता है। टाइम मैनेजमेंट को सुधारने का एक बहुत ही बेहतरीन तरीका यह है कि जरूरत से ज्यादा उम्मीद न पालें, रोजाना अपनी तरक्की पर चिंतन करें, रूटीन बनाकर चलें, ताकि प्राथमिकता के हिसाब से सारा काम समय रहते पूरा कर सकें। अपने प्लानिंग में कुछ रिजर्व समय भी रखें। इससे कोई व्यवधान आने पर भी काम को समय पर पूरा कर सकेंगे और कोई अनावश्यक तनाव भी नहीं लेना पड़ेगा।

मल्टीटॉस्किंग का भूत

कुछ महिलाएं अपनेआप को सुपर वूमन साबित करने के लिए एक साथ कई कामों को करने की कोशिश करती हैं। मल्टीटास्किंग करना अच्छी बात है लेकिन बहुत से लोग इसमें फिट नहीं बैठते। वास्तविकता यह है कि इसके फेर में पड़ने पर हमारी स्पीड और क्वालिटी सब सफर करने लगती है और हम तनाव का शिकार हो जाती हैं, इसीलिए आवश्यक है कि एक बार में एक काम को ही पूरा कीजिये और ज़रूरत पड़ने पर दूसरों की मदद लेने में हिचकिचाएं नहीं, फिर चाहे वह ऑफिस में कलीग हो या घर में पति।

विजन में स्पष्टता

जब हम कोई काम बिना किसी उद्देश्य के करते हैं, अपनी जरूरतों से भलीभांति वाकिफ नहीं होते हैं, तो यही सबसे अधिक हमारा तनाव बढ़ाता है। अगर हमें यह नहीं पता है कि खुद से हमें क्या चाहिए, तो हमेशा ऊहापोह में रहेंगे। इसलिए अगर कहीं कोई कंफ्यूजन लगे तो तुरंत उस संबंध में बात करनी चाहिए।

बेमन से काम

आजकल तनाव की एक वजह यह देखी जाती है कि हम जो काम कर रहे हैं, उससे खुश नहीं होते हैं या फिर उसमें हमारी कोई रुचि नहीं होती है। फिर भी बेमन से काम करते रहते हैं। घर-गृहस्थी संभालना और साथ ही वर्कप्लेस पर काम करना कई बार उबाऊ हो जाता है। ऐसे में हमें कभी-कभी खुद के लिए समय निकालना चाहिए। ऐसा कोई काम करना चाहिए, जिससे हमें दिली खुशी प्राप्त हो।

पर्याप्त भोजन और नींद

महिलाओं के साथ अक्सर यह परेशानी रहती है कि वे सबका ध्यान रखने के चक्कर में खुद अपना खाने और अपनी नींद का ध्यान नहीं रख पातीं हैं। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए 6-8 घंटे की नींद और पर्याप्त मात्रा में भोजन करना बहुत आवश्यक है।

सकारात्मक सोच

तनाव को दूर करने के लिए जीवन में सकारात्मक रवैया अपनाने की बहुत आवश्यकता होती है। तनाव जैसी गंभीर बीमारी में सकारात्मकता किसी भी इंसान के लिए औषधि का कार्य करती है।

ईवन के प्रति सकारात्मक रहें

महिलाएं किसी भी परिवार की रीढ़ होती हैं। एक मां, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में वे पूरे परिवार को संभालती हैं। इसीलिए परिवार के हर सदस्य को अपने परिवार की महिलाओं का विशेषरूप से ख्याल रखना चाहिए, भावनात्मक रूप से उन्हें समझने का प्रयास करना चाहिए। वैसे भी जीवन ईश्वर का दिया हुआ बहुत ही अनमोल तोहफा है। इसीलिए हर इंसान को अपनी जि़ंदगी को भरपूर जीना चाहिए। 

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