कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
इस जगह को देखने और जानने समझने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं और कच्छ के रेगिस्तान में खो से जाते हैं।
3-Day Kutch Itinerary: गुजरात के सबसे लोकप्रिय स्थानों में गिना जाने वाला कच्छ सिर्फ़ पर्यटन ही नहीं बल्कि अनेकों विशेषताओं के लिए जाना जाता है। इस जगह का अपना एक बहुत ही ख़ूबसूरत इतिहास और भूगोल है जिसे समझने के बाद आपको इस जगह से प्यार हो जाएगा। यही कारण है कि इस जगह को देखने और जानने समझने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं और कच्छ के रेगिस्तान में खो से जाते हैं। इस जगह को बताने वालों का मानना है कि कच्छ शब्द का अर्थ संस्कृत में द्वीप होता है। प्राचीन काल में कच्छ के रण यानि की यह रेगिस्तान सिन्धु नदी के कारण दब गये थे। जिसकी वजह से यह अपने मुख्य क्षेत्र से अलग होकर पानी में डूब गए थे। सन 1819 में आए एक भूकम्प के कारण कच्छ भौगोलिक परिदृश्य एक बार फिर से बदला और सिन्धु नदी पश्चिम की तरफ बहने लगी और रण विशाल रेगिस्तान बन गया।
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पहला दिन

कच्छ का रण : कच्छ का रण देश के सबसे बड़े आकर्षण में से एक माना जाता है। यही वजह है कि लोग इसे अलग अलग वजहों से जाना जाता है। कुछ लोगों के लिए यह एक अजूबा है तो कुछ लोग इसे दुनिया के सबसे बड़े नमक के रेगिस्तान के रूप में देखते हैं। इस रेगिस्तान में लोग फोटोशूट आदि के लिए आते हैं और इस जगह पर मगधीरा और रामलीला जैसी कई बड़ी फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। पूर्णिमा की रात को तो इस जगह का नज़ारा देखते ही बनता है। जिसकी वजह से इस जगह पर दुनिया भर के सैलानी इकट्ठा होते हैं। इस जगह पर नवंबर से फरवरी तक हर साल रण उत्सव का आयोजन किया जाता है जोकि देश के सबसे लोकप्रिय उत्सव में शुमार है। इस जगह पर आयोजित होने वाले उत्सव में संगीत, संस्कृति और नृत्य जैसी विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। इस जगह पर आकर आप तरह तरह की साहसिक गतिविधियों का भी आनंद उठा सकते हैं।
विजय विलास पैलेस : विजय विलास पैलेस कच्छ के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। जिसकी वजह से इस जगह पर सैलानियों की भीड़ लगी रहती है। बताया जाता है कि इस पैलेस का नाम विजय विलास पैलेस युवराज श्री विजयराज के नाम पर रखा गया है। इसकी वास्तुकला और बनावट की बात की जाए तो यह ख़ूबसूरत इमारत लाल बलुआ पत्थर से बनी है और इस पर बेहतरीन पत्थर की नक्काशी की गई है। इस मंदिर में आकर आपको एक धार्मिक सौन्दर्यशास्त्र का अद्भुत नमूना देखने को मिलेगा। इस पैलेस की अपना एक विस्तार है जोकि 45 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस पैलेस का अपना एक निजी समुद्र तट और ख़ूबसूरत आवास है। इस पैलेस में कच्छ राज्य का शाही परिवार निवास करता है।
दूसरा दिन

मांडवी : मांडवी कच्छ का एक ख़ूबसूरत बीच है जोकि भुज से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह से समुद्र का बहुत ही ख़ूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है जहां पर सैलानी आकर अपना निजी समय बिताना और दूर तक फैले नीले पानी को देखना पसंद करते हैं। इस नीले पानी को देखकर ऐसा लगता है कि पूरा आकाश समुद्र में उतर आया है। इस जगह की रेत पर टहलने का भी अपना एक सकून है जो सैलानियों को ख़ूब भाता है। इस बीच पर आप सुबह और शाम के वक़्त लोगों को टहलते हुए आप देख सकते हैं। इस जगह से आप सूर्योदय और सूर्यास्त का मनोरम नज़ारा देख सकते हैं। यह जगह उन लोगों के लिए बहुत ही ख़ास है जो प्रकृति प्रेमी होते हैं और अपने जीवन में शांति और सकून चाहते हैं। इस जगह पर आकर आप तरह तरह के जलपक्षियों को भी देख सकते हैं।
आइना महल : भुज में स्थित आइना महल को देखने की इच्छा कच्छ आए है सैलानी की होती है। यह महल बहुत ही ख़ूबसूरत और आकर्षक है जिसे अपने इतिहास और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। हॉल ऑफ मिरर्स के नाम से लोकप्रिय आइना महल को देखने के लिए उन लोगों की रुचि सबसे ज़्यादा होती है जो कला रसिक और सौंदर्य प्रेमी हैं। इस जगह पर आपको कई तरह की ख़ूबसूरत और प्राचीन कला का संग्रह देखने को मिलेगा। इस महल का नाम आइना महल होने के पीछे इस महल में की गई काँच की तरह तरह की कारीगरी को जाता है। इस महल के स्तंभों और दीवारों पर कई तरह से काँच के काम किए गए हैं जिन्हें देखकर मन ख़ुश हो जाता है।
तीसरा दिन

भुजियो हिल : भुजियो हिल को कच्छ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शुमार किया जाता है। इस जगह से स्थानीय लोगों की आस्था जुड़ी हुई हैं। साथ ही यह कई तरह की लोककथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इस जगह से जुड़ी एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार यह कभी नागा सरदारों का घर हुआ करता था। इस जगह पर भुजंग देवता को समर्पित एक मंदिर भी है जिसमें इस जनजाति के अंतिम सरदार की पूजा साँप देवता के रूप में होती है। इस जगह से आसपास का बहुत ही ख़ूबसूरत और मनोरम दृश्य दिखाई देता है। इस जगह पर यदि आप जाते हैं तो भुजिया किले की भी एक झलक लेना चाहिए। यह क़िला शहर की रक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया था। यह भुजियो हिल के बाहरी किनारों पर बना क़िला इस नाग की कभी सुरक्षा करता था।
श्री स्वामीनारायण मंदिर : श्री स्वामीनारायण मंदिर हमारे देश के सबसे प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है। यही वजह है कि इस जगह पर देश के कोने कोने से श्रदालु आते हैं और अपनी आस्था प्रकट करते हैं। स्थानीय लोगों के लिए तो यह एक धार्मिक स्थल के साथ साथ धार्मिक पर्यटन स्थल भी है। इसी जगह पर एक हमीरसर नाम झील भी स्थित है, जो लोग इस मंदिर तक आते हैं, वह इस झील को देखने के लिए भी जाते हैं। यह एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है जो स्थानीय लोगों को शांति और सकून भरे पल बिताने की सहूलियत देता है। यह मंदिर काफ़ी पुराना है, ऐसा बताया जाता है कि इसका निर्माण 1822 के आसपास किया गया था लेकिन 2001 के आए भूकंप की वजह से यह नष्ट हो गया था। जिसके पश्चात एक नए मंदिर का निर्माण किया गया।
