मुस्लिम समाज में शादी खत्म करने का सबसे घटिया तरीका माने जाने वाली एक साथ तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 6 महीने तक रोक लगा दी है। और जल्द ही संसद में इसके लिए कानून बनाने के आदेश भी दिए गए हैं। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर है। 
 
आपको बता दें कि तीन तलाक के खिलाफ पिछले साल उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसका नतीजा है कि इस देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार मिला।
 
कोर्ट ने क्या कहा –
 
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान बेंच ने 22 अगस्त मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। जहां एक तरफ मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा कि तीन तलाक की प्रथा 1400 साल पुरानी है और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा है, कोर्ट इसे रद्द नहीं कर सकता है। वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ़, जस्टिस आरएएफ़ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार मे तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया। तीनों जजों ने 3 तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। और कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है। तीन तलाक पर छह महीने की रोक लगाते हुए ये आदेश दिया कि इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा।
 
तीन तलाक फैसले पर औवेसी का रिएक्शन
 
ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्‍ता मौलाना यासूब अब्‍बास ने उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश का स्‍वागत करते हुए कहा कि अब देश में तीन तलाक के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्‍याय को रोका जा सकेगा।
 
कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हुए इन हस्तियों ने ट्वीट कर जाहिए की अपनी खुशी –