पुस्तक “बलवा” उन्होंने अपने स्वयं के अनुभवों से कहानी दर्ज की है जिसमें कि निहित स्वार्थ कैसे सांप्रदायिक संघर्ष पैदा करते हैं, यह दर्शाया गया है। हिंदी भाषा में प्रकाशित, उनकी यह पुस्तक अपने पाठकों को बहुत सम्मोहक और रोमांचक सामग्री देने का वादा करती है। उनकी अगली दो पुस्तकें ‘राजलीला’ और ‘साइबर सुपारी’ हैं।  
श्री नकवी के साथ बने इस संबंध पर बोलते हुए, डायमंड बुक्स के अध्यक्ष, श्री नरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा, “उनमे लेखन की जन्मजात प्रतिभा है, श्री नकवी का लेखन निस्संदेह पाठकों के लिए इंस्टेंट हिट साबित होता है। कहानी को रोमांचक और रहस्यमय तरीके से लिखना और चित्रित करना उनकी एक सहज शैली है। इस श्रृंखला में उनका पहला उपन्यास, सांप्रदायिक ताकतों से लोहा लेता दिखाई देता है, जो एक नैतिक सत्य प्रतीत होता है। नकवी जी ने उपन्यास की कहानी को इस तरह से बुना है कि पढ़ने वाले को यूँ लगता है जैसे सब कुछ हमारे सामने हो रहा है।”

 डायमंड बुक्स के बारे में:

12000 पुस्तकों की बैक लिस्ट के साथ, डायमंड बुक्स 1948 से प्रकाशन उद्योग में हैं। इसने 14 भारतीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जो 8- 80 वर्ष की आयु वाले पाठकों को विभिन्न धाराओं और विधाओं जैसे फिक्शन, नॉन- फिक्शन, संस्मरण कॉमिक्स, आत्मकथाएँ और बहुत कुछ के माध्यम से मनोरजन और जानकारियां उपलब्ध करवाती हैं।  पब्लिशिंग हाउस अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पाठकों को फिजिकल और डिजिटल श्रेणी के व्यापक वितरण चैनल के माध्यम से स्पर्श करता है।
डायमंड ने किरण बेदी, जोगिंदर सिंह, अशोक चक्रधर, काका हाथरसी, मुंशी प्रेमचंद, रवींद्र नाथ टैगोर, शरत चंद्र चट्टोपाध्याय, नरेंद्र कोहली, चित्रा मुद्गल, हिमांशु जोशी, विष्णु प्रभाकर जैसे कई प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकें प्रकाशित की हैं।