हिन्दी की एक प्रसिद्ध पत्रिका के संपादक ने महादेवी वर्मा जी को पत्र लिखकर पूछा था कि यदि दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी प्रकट होकर आपसे तीन वर माँगने को कहें, तो आप कौनसे तीन वर माँगेगी महादेवी वर्मा जी का उत्तर था-1। “हे ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री! तुम्हारा पूर्ण घर भौतिक संपन्नता से भरा है परंतु तुम इसके बंटवारे में पक्षपात करती हो, जिससे मानव समाज विषम है। पहला वर यह दो कि इस घर की निधि सबमें समभाग से बांट दोगी।”
हे उलूकवाहिनी! तुम दीप-वंदनवारों से आलोकित गृहों में आती हो, परंतु तुम्हारा वाहन प्रकाश सहन न कर सकने के कारण तुम्हे अंधेरी राहों में लाता है। साध्य और साधन का तत्वतः एक होना उचित है। अतः दूसरे वर में तुम अपने वाहन को आलोक से साक्षात्कार करने की शक्ति दो, जिससे तुम आलोकित कुटीरों या गृहों में दीपित भागों से आ सको।
“हे चिरचंचले! एक स्थान पर ठहरना तुम्हारा स्वभाव नहीं है। अतः तीसरे वरदान में तुम मनुष्य को ऐसी वीतरागता दो, जिससे वह तुम्हें अपने पास ठहराना ही न चाहे। स्वागत के साथ ही तुम्हारा ‘प्रस्थानकौतुक ‘प्रारंभ कर दे।’
ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं– Indradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)
