sher ko svaasher
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एक कंजूस सेठ था। उसकी पत्नी बहुत भली थी। एक बार गाँव में सूखा पड़ा। पत्नी ने गाँव वालों की मदद के लिए पति से कहा कि वह उसे एक कुंआ खोदने के लिए कुछ लोग दे दे, ताकि गाँव के लोगों को कम-से-कम पीने का पानी मिले। सेठ ने साफ इंकार कर दिया। पत्नी ने एक नौकर की मदद से कुआँ खोदना शुरू कर दिया। वे रोजाना जब भी वक्त मिलता, कुआँ खोदने लगते और सेठ रोज उनका मजाक उड़ाता कि साल भर भी खुदाई करते रहो, यहाँ से पानी नहीं निकलने वाला।

एक दिन नौकर ने सेठानी को एक युक्ति समझाई और कुएं में थोड़ा सा तेल लाकर डाल दिया। फिर अगले दिन खुदाई करते समय वह जोरों से चिल्लाया कि मालकिन, यहाँ पानी तो नहीं, लेकिन तेल जैसा कुछ निकला है। यह बात सुनकर सेठ तुरंत वहाँ दौड़ा आया और कुएं में तेल पड़ा देखा।

उसे तेल देखकर बहुत लोभ हुआ। उसने बहाने से नौकर और अपनी पत्नी को बाहर भेज दिया और कुएं का तेल अपने कब्जे में लेने के लिए खेत से सारे मजदूरों को बुलाकर खुदाई शुरू करवा दी। जब सेठानी और नौकर बाजार से लौटे, तब तक कुआँ पूरा खुद चुका था और उसमें से पानी निकल रहा था। सेठ को तेल की बजाए पानी देखकर बहुत निराशा हुई। इसके बाद पत्नी ने उसे बताया कि उसने और उसके नौकर ने मिलकर क्या चाल चली थी। सेठ अपना सा मुँह लेकर रह गया।

सारः बुद्धिमत्ता, हमेशा ताकत और धन पर भारी पड़ती है।

ये कहानी ‘ अनमोल प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंAnmol Prerak Prasang(अनमोल प्रेरक प्रसंग)